एक डॉक्टर जिसने कैंसर से लड़ाई में दान कर दी जिंदगी भर की कमाई!

यूं तो आपने बहुत सारे चिकित्सको के बारे में पढ़ा और सुना होगा लेकिन समाज के हित के लिए अपनी जिंदगी भर की कमाई एक अस्पताल के निर्माण के लिए दान कर दें, ऐसे चिकित्सक देश और दुनिया में विरले ही है।

यूं तो आपने बहुत सारे चिकित्सको के बारे में पढ़ा और सुना होगा लेकिन समाज के हित के लिए अपनी जिंदगी भर की कमाई एक अस्पताल के निर्माण के लिए दान कर दें, ऐसे चिकित्सक देश और दुनिया में विरले ही है।

उड़ीसा के राउरकेला जिले के, डॉक्टर एस. के. घोष ऐसे ही चंद लोगो में से है, जिन्होनें कैंसर से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए अपनी जिंदगी भर की कमाई दान कर दी।

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डॉ.घोष

पटना मेंडिकल कॉलेज से एमबीबीएस , एमएस, ग्लास्गो यूके से व एडिनबरा से एफसीआरएस की डिग्री लेने वाले डॉ. एस के घोष ने अपनी जीवन भर की कमाई यानी करीब 3 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कैंसर अस्पताल निर्माण के लिए दान कर दिया।

राउरकेला स्टील प्लांट द्वारा संचालित इस्पात जनरल अस्पताल में सेवा दे चुके डॉ घोष ने पश्चिम ओडिशा में कैंसर मरीजों के इलाज के लिए कैंसर अस्पताल के निर्माण का संकल्प लिया और उसी संकल्प को धरातल पर लाने के लिए सिविल लाइन्स इलाके में स्थित अपने घर सहित अपनी जीवन भर की कमाई भारत सेवाश्रम संघ को दान में दे दी। संघ की ओर से  राउरकेला स्थित वेदव्यास के गोपपाली में कैंसर अस्पताल का निर्माण कार्य शुरु किया जा चुका है।

मिशन कैंसर के नासुर से जरुरतमंदों को बचाने की..

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डॉ. घोष ने अपनी ३ करोड़ से अधिक संपत्ति कैंसर के अस्पताल के लिए दान कर दी

डॉ. एस. के. घोष ने 1967 में इंगलैंड में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद राउरकेला के इस्पात जनरल अस्पताल में अपनी सेवाएं देनी शुरू की। इसके एक वर्ष के बाद ही उन्होंने जरुरतमंद तथा गरीब तपके के लोगों की सेवा के लिए नौकरी छोड़ दी। इसके बाद वे रामकृष्ण मिशन से जुड़े और शहर एवं गांव के गरीब तपके के लोगों के इलाज के लिए सेवाएं देनी शुरू की। कलुंगा मिशन अस्पताल से भी जुड़कर अपनी जनसेवा के मिशन को इन्होनें पूरा किया। गरीबों के इलाज के साथ-साथ गोपबंधुपाली में गरीब बच्चों के लिए आनंदधाम के संचालन में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

कैंसर के खिलाफ लड़ी लड़ाई…

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टीबीआई की टीम जब राउरकेला के लाइफलाइन अस्पताल में डॉ. घोष से मिलने पहुंची तो दर्जनों मरीजों की भीड़ थी। 85 साल के डॉ घोष अपनी सेहत की परवाह किए बिना आज भी मरीजों के लिए समय निकालते है।

टीबीआई से खास बातचीत में डॉ. घोष ने बताया कि कैंसर के मरीजों के लिए एक विश्वस्तरीय अस्पताल का निर्माण उनका सपना है ताकि पश्चिमी ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, बंगाल के लोगों को कैंसर के ईलाज के लिए बाहर न जाना पड़े।

बढ़ती उम्र की छाप डॉ घोष की सेहत पर साफ़ दिख रही थी मगर उनके हौसलो पर उनकी उम्र का कोई प्रभाव नज़र नहीं आया।

वे आगे बताते है कि –

अपने 45 साल के प्रैक्टिस में मैंने कई परिवारो को कैंसर के नासुर की वजह से बर्बाद होते हुए देखा है, कई मरीज तो इलाज के अभाव में चल बसते है, साथ ही उनके परिवार की आर्थिक हालत भी दयनीय हो जाती है। सामान्य तौर पर लोग इस रोग के नाम से डर जाते है।”

डॉ. घोष आगे कहते है कि –

“पहले और दूसरे स्तर पर कैंसर का ईलाज संभव है लेकिन जागरूकता के अभाव के कारण लोगों को पता ही नहीं चल पाता है कि उन्हें कैंसर है। कैंसर के तीसरे स्तर पर कुछ प्रतिशत इलाज अगर संभव भी है तो इतना महंगा है कि वो आम आदमी के वश में नहीं है। पश्चिमी उड़ीसा में इस रोग के इलाज का कोई इंतजाम नहीं था जिसकी वजह से मैने इस मिशन को अपनी जिंदगी का लक्ष्य बनाया।”

डॉ. घोष ने कैंसर के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है, इसी क्रम में 2002 में उन्होने पुष्पांजली कैंसर फाउंडेशन की स्थापना भी की थी।

यह संस्था लोगों को कैंसर के बारे में जागरुक करती थी , साथ ही हफ्ते में एक दिन बाहर से विशेषज्ञ चिकित्सक को भी जरुरतमंदों के लिए बुलाया जाता था।

टीबीआई से बातचीत करते हुए डॉ घोष बताते है कि –

“मुझे मलाल है कि मैं अपने 45 साल के करियर में कैंसर रोगियों के लिए कुछ नही कर पाया, इस बीमारी से मैने हजारों परिवारो को उजड़ते देखा है। लिहाजा इस क्षेत्र में काम करने वाले बड़े संगठनों के साथ जुड़कर मैने राउरकेला में एक बड़े कैंसर अस्पताल के निर्माण की नींव रखी है और अपनी पूरी संपत्ति दान कर दी।”

दूसरे एशियन खेल में 100 मीटर दौड़ में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके डॉ घोष बताते है कि-

”स्वामी विवेकानंद को मैं आदर्श मानता हूं। स्वामी विवेकानंद ने त्याग व सेवा की सीख दी है। कैंसर एक ऐसा रोग है जो रोगी के साथ-साथ उसके परिवार को भी बर्बाद कर देता है, यही वजह रही मेरे इस मिशन की , मेरे पास समाज का दिया जो कुछ भी था मैनें उसे कैंसर अस्पताल के निर्माण के लिए दान कर दिया।“

चेहरे पर संतोष से लबरेज डॉ घोष बताते है कि,

“भारत सेवा संघ कैंसर अस्पताल का निर्माण शुरू कर चुका है और मुझे ये वादा किया गया है कि उस अस्पताल में गरीब और जरुरतमंदों का इलाज मुफ्त होगा। मेरे जीवन का बस यही सपना है कि कैंसर अस्पताल के माध्यम से मैं गरीबों के चेहरे पर खुशियाँ ला सकूँ।”

कैंसर अस्पताल के लिए करें आर्थिक मदद…

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भारत सेवाश्रम संघ के महासचिव स्वामी विश्वात्मानंद ने टीबीआई को बताया कि-

“डॉ घोष ने कैंसर के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी है और भारत सेवाश्रम संघ इस लड़ाई को आगे ले जायेगा। कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए भारत सेवाश्रम संघ ने राउरकेला में अस्पताल का निर्माण शुरू कर दिया है, लेकिन पैसे का संकट बरकरार है।”

भारत सेवाश्रम संघ स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में जरुरतमंदो के लिए काम करती है। गरीब और जरुरतमंदों के लिए देश भर में संघ के कार्यकर्ता काम कर रहे है। स्वामी विश्वात्मानंद के मुताबिक राउरकेला से सटे राज्य, आदिवासी बहुल राज्यों में कैंसर के इलाज की सुविधा नहीं है, इसी को ध्यान में रखते हुए संघ की यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है और कम संसाधन में भी वे इस अस्पताल को शुरू कर रहे है।

डॉ एस के घोष और भारत सेवाश्रम संघ के कैंसर के खिलाफ मिशन को साकार करने के लिए आप भी जुड़कर कैंसर अस्पताल के लिए आर्थिक सहयोग कर सकते है। ज्यादा जानकारी एवं सहयोग करने के लिए भारत सेवाश्रम संघ के वेबसाईट पर जाएँ या संघ के महासचिव स्वामी विश्वात्मानंद -09477201865 से संपर्क कर सकते है।

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