/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2020/09/Featured-6.jpg)
घर की जमीन आमतौर पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सौंपी जाती है। इसे लोग अपने-अपने तरीके से इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोग इसे विरासत समझकर अपना कहते हैं। कुछ लोग इसी जमीन के प्रति लालच दिखाते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी जमीन का भरपूर लाभ उठाते हैं और उसे बढ़ाते हैं।
केरल में अलाप्पुझा जिले के एक कस्बे में रहने वाले 40 वर्षीय मैथ्यू मथान अंतिम कैटेगरी में आते हैं।
/hindi-betterindia/media/post_attachments/2020/09/Mathew-2.jpg)
पेड़-पौधों से लगाव उन्हें अपने माता-पिता से विरासत में मिला। साथ ही मैथ्यू को आर्किटेक्चर डिजाइन में भी काफी दिलचस्पी है। उन्होंने अपने नए घर को अपने हिसाब से डिजाइन किया है। घर के अंदर दो पुराने पेड़ हैं। एक आम के फलों से लदा हुआ तो दूसरा जामुन से।
उनका घर 3700 वर्ग फुट के क्षेत्र में बना है जिसमें 600 वर्ग फुट में आम और 200 वर्ग फुट में जामुन के पेड़ हैं। उनका घर दो एकड़ की एक ऐसी ज़मीन पर है , जहाँ उनके माता-पिता और भाई-बहनों ने अपने घर भी बनाए हैं।
मैथ्यू कहते हैं, "काम के चलते हम (पत्नी और दो बच्चे) कोचीन में शिफ्ट हो गए थे। लेकिन चार साल पहले मेरे माता-पिता ने मुझे अपना घर बनाने के लिए दो एकड़ की जमीन से मुझे एक प्लॉट दिया। जब मैं अपने घर की डिजाइन की प्लानिंग कर रहा था तो रास्ते में दो पेड़ आ रहे थे और उन्हें काटना ही एकमात्र रास्ता था। लेकिन ये पेड़ मेरे बचपन से ही हैं। मुझे याद है कि मैं बचपन में अपने पाँच भाइयों के साथ इन पेड़ों पर चढ़ता-उतरता था। इसलिए मैंने इन्हें काटने के बजाय कुछ अलग करने का फैसला किया।”
डिजाइन का निर्णय
मैथ्यू के घर के अंदर प्रवेश करते ही सूरज की रोशनी और ताजी हवा से भरपूर बड़ा सा लिविंग रूम नजर आता है। 25 साल से भी अधिक पुराने जामुन के पेड़ के कारण घर के अंदर एक छोटा लेकिन सुंदर सा आँगन बन पाया।
मैथ्यू कहते हैं, “मैंने अपने लिविंग रूम में 200 वर्ग फुट जगह उस पेड़ के लिए छोड़ा। ऊपर 15 वर्ग फुट खुली जगह है जहाँ पेड़ की शाखाएं फैलनी शुरू होती हैं। नीचे छाल के चारों ओर दो मीटर की खुली जगह है जिसमें कोई फर्श नहीं है और सीधे मिट्टी नजर आती है। मिट्टी तक पर्याप्त हवा और पानी पहुंचने के लिए इतना जगह छोड़ना जरूरी था।”
/hindi-betterindia/media/post_attachments/2020/09/Jamun-tre.jpg)
घर का निर्माण शुरू करने से पहले मैथ्यू ने यह समझने की कोशिश की कि पेड़ की जड़ें कितनी गहराई तक फैली हैं और इससे घर की नींव को क्या नुकसान पहुंच सकता है। वह कहते हैं, “इसके लिए मैं किसी स्पेशलिस्ट के पास नहीं गया बल्कि मैंने इस विरासत की देखभाल करने वालों से संपर्क किया जिन्हें पेड़-पौधों के बारे में किसी पर्यावरणविद् के जितना ही ज्ञान होता है। पेड़ों की जड़ें घर की तरफ नहीं बढ़ रही थी इसलिए मुझे यकीन हो गया कि इससे घर को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।”
पेड़ के चारों ओर बने लिविंग रूम की छत अधिक ऊंची नहीं है और यह उनके फर्नीचरों को सुरक्षित रखती है। आगे एक लंबा गलियारा डाइनिंग रुम की ओर जाता है जो एक बड़े आंगन में खुलता है, जिसमें आम का एक पेड़ लगा हुआ है।
इस पेड़ के लिए मैथ्यू ने 600 वर्ग फुट जगह छोड़ी है। घर के अंदर तेज धूप को रोकने के लिए उन्होंने अपनी छत को पूरी तरह से शीशे से कवर किया है।
/hindi-betterindia/media/post_attachments/2020/09/Mango-tree.jpg)
वह बताते हैं, “चूंकि हर समय घर में सूरज की रोशनी आती है, ग्लास गर्मी को रोकता है इसलिए मैंने इससे कवर किया है। यह कमरे को गर्म होने से रोकता है। मैंने आँगन के चारों ओर फर्न की कई किस्में लगाई है ताकि हवा ठंडी के साथ ही घर की खूबसूरती बनी रहे। ”
आम के पेड़ में ऊपरी हिस्से पर 15 वर्ग फुट खुली जगह है जिसमें शाखाएं आसानी से फैलती हैं और बारिश का पानी जड़ों तक पहुँचता है। वहाँ उनके दो बच्चे बारिश में खेलते हैं जबकि मैथ्यू और उनकी पत्नी चाय का लुत्फ उठाते हैं।
मैथ्यू कहते हैं, “शुरू में मेरी पत्नी घर के अंदर पेड़ होने को शक की नजर से देखती थी। उसे चिंता थी कि पेड़ के कारण कहीं घर के अंदर गिरगिट और अन्य कीड़े न आएं। लेकिन पेड़ों को बचाने की मेरी योजना को सुनने के बाद उसने मुझे पूरा सहयोग किया। हालांकि कुछ गिरगिट और कीड़े आते हैं लेकिन वह घर से प्यार करती है। हमने इसके चारों ओर काम करने के तरीके ढूंढ लिए हैं।”
घर में तीन बेडरूम, एक किचन और एक छत है। घर का निर्माण पूरा होने में एक साल से अधिक समय लगा था। इसे बनाने में स्थानीय कच्चे माल का इस्तेमाल किया गया था और पूरे प्रोजेक्ट में उन्हें 2 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आई।
प्रेरणा
मैथ्यू पहले एक स्वतंत्र फोटोग्राफर और विज्ञापन फिल्म निर्माता के रूप में काम करते थे। अपने पेशे के कारण वह केरल में रिसॉर्ट्स और होटलों के लिए भी वीडियो शूट किया। इन शूटिंग के दौरान ही उन्हें अपने डिजाइनिंग के शौक के बारे में पता चला।
मैथ्यू बताते हैं, "मुझे शूटिंग के लिए कमरे को डिजाइन करना पड़ता था। कभी-कभी मैं इसे बेहतर से बेहतर बनाने के तरीके के बारे में भी सोचता था। पाँच साल पहले मैंने केरल में एक रिसॉर्ट के कुछ कमरों को डिजाइन किया, जिसे हिल्स और ह्यूस कहा जाता है। मैंने आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने वाले अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर इसे डिजाइन किया था। रिसॉर्ट के मालिक को यह काफी पसंद आया और इस तरह उसके लिए मेरा प्रोजेक्ट पूरा हुआ। जल्दी ही उसने मुझसे कुछ और कमरे, सिट-आउट और एक स्विमिंग पूल डिजाइन करने के लिए कहा।”
मैथ्यू कहते हैं, “2015 में मैंने ‘इन माई प्लेस’ नाम का एक ऑर्गेनाइजेशन शुरू किया। हम बुटीक रिसॉर्ट्स और घरों को डिजाइन करने पर फोकस करते हैं।”
‘वीना-बाई द बीच’ नाम के एक रिसॉर्ट के मालिक बिजॉय कोशी कहते हैं कि मैथ्यू का उद्देश्य हमेशा एक ऐसी डिजाइनिंग होती है जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। मराई तट पर 200 साल पुरानी एक हवेली है जिसमें एक पेड़ के ऊपर एक अनोखा रिसेप्शन एरिया है।
कोशी कहते हैं, “मैथ्यू की खासियत यह है कि कि वह प्रकृति से छेड़छाड़ किए बिना उस जगह को बेहद खूबसूरत बना देते हैं। हवेली में कुछ पेड़ थे जिन्हें उन्होंने ऊपरी डेक-आउट और एक पेड़ को रिसेप्शन एरिया में बदल दिया। चूंकि हवेली में कुछ ही पेड़ थे इसलिए मैथ्यू ने अधिक पौधे लगाकर इसे एक आकर्षक गार्डन में बदल दिया जो सीधे बीच की ओर जाता था। वह जगह का कुछ इस तरह से इस्तेमाल करते हैं कि देखने वाले को ताज्जुब होता है। ”
कुमिली में हिल्स एंड ह्यूज नाम से एक रिसॉर्ट चलाने वाले संजू जॉर्ज का कहना है कि जो लोग रिसॉर्ट आते हैं, वे मैथ्यू द्वारा डिज़ाइन किए गए आरामदायक कमरों में रहने के बाद खुद को तरोताजा और उर्जा से भरपूर महसूस करते हैं।
संजू कहते हैं, "मैं कई सालों से मैथ्यू को जानता हूँ। भले ही फोटोग्राफी उनका पेशा रहा हो लेकिन वह काफी दूरदर्शी भी हैं। उन्होंने इस छोटी सी जगह को स्वर्ग जैसा बना दिया। कमरे बहुत साधारण हैं, फिर भी इनमें एक अलग आकर्षण दिखता है। ”
/hindi-betterindia/media/post_attachments/2020/09/Hills-and-hues.jpg)
मैथ्यू अब तक वह आठ प्रोजेक्ट पूरा कर चुके हैं और फिलहाल अपनी चचेरी बहन के साथ अपने खुद के प्रोजेक्ट पर कुछ काम कर रहे हैं। उन्होंने अभी हमें जगह या प्रोजेक्ट के बारे में नहीं बताया है लेकिन मैथ्यू कहते हैं कि यह एक ऐसी जगह होगी जहाँ लोग शोरगुल से दूर कुछ सुखद समय बिता सकेंगे।
मूल लेख-ROSHINI MUTHUKUMAR
यह भी पढ़ें- मिट्टी के बर्तनों की छत व सूखी डालियों के खंभे, प्रकृति की गोद में बना है यह घर
/hindi-betterindia/media/post_attachments/2020/09/Ferns.jpg)
/hindi-betterindia/media/post_attachments/2020/09/Upper-deck.jpg)