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अरनमुला, केरल के पथानामथिट्टा जिला एक छोटा सा गाँव है। यह अपने लोकप्रिय मंदिरों और हर साल होने वाले स्नेक बोट रेस के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व तो है ही, लेकिन COVID-19 लॉकडाउन के दौरान यह एक दूसरी वजह से चर्चा में रहा और वह है गेंदा फूल की खेती।
आप यदि अरनमुला जाएंगे तो देखेंगे कि वहाँ एक एकड़ जमीन फूलों से भरी है। इसमें हजारों सुंदर पीले गेंदे के फूल खिले हैं।
महामारी के दौरान हर कोई जब अपने घरों में बंद था, तब इन सुंदर फूलों की खेती आखिर कैसे संभव हुई? दरअसल, इसका श्रेय जाता है 72 साल के पूर्व इंजीनियर कृष्णन नायर को, जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपने समय का सही सदुपयोग करने का फैसला किया।
लीबिया और उत्तरी अफ्रीका में लगभग तीन दशकों तक एक तेल रिफाइनरी में काम करने के बाद कृष्णन नायर 2004 में केरल लौट आए।
वह कहते हैं, '' मेरी ज़िंदगी का अधिकांश हिस्सा एक एनआरआई के रूप में ही गुजरा है। अपने देश वापस लौटने के बाद मेरे पास अलग-अलग चीजों को करने और अपने पैशन प्रोजेक्ट्स के लिए पर्याप्त समय था। ''
लीबिया में अपनी नौकरी से रिटायर होने के बाद कृष्णन नायर केरल में एक निवेशक के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद उन्होंने अपनी दो एकड़ जमीन में कुछ करने का फैसला किया।
कृष्णन नायर कहते हैं, “मेरे घर के ठीक बगल में स्थित खाली जमीन पथरीली थी और कई सालों से बंजर पड़ी थी। मुझे कभी खेती करने का समय नहीं मिल पाया। इसके अलावा मुझे खेती का काम भी नहीं आता था। लॉकडाउन के बाद मैंने देखा कि उत्तर भारत से आने वाले बहुत सारे फूल विक्रेताओं और ट्रकों का आना बंद हो गया। केरल के बाजार में बिकने वाले गेंदा के फूलों की खपत में हल्की गिरावट आ गई।”
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तब कृष्णन नायर ने अपनी बंजर जमीन में गेंदे के फूल की खेती करने का फैसला किया। वह बताते हैं, “मेरे पास संसाधन और समय था। फूलों के लिए बाजार भी खुला था। इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न गेंदे के फूलों की खेती की जाए? ”
बेंगलुरु के पास होसुर के अपने दोस्तों से संपर्क कर कृष्णन नायर ने उनसे गेंदे के लगभग 1,000 पौधे लिए। उन्होंने उनसे खेती के बारे में सलाह और जानकारी भी इकट्ठा की।
उन्होंने बताया, "लोगों में एक गलत धारणा यह है कि केरल में गेंदे के फूल की अच्छी खेती नहीं होती है। लेकिन यह गलत धारणा है। गेंदे के फूल की खेती सबसे आसान है, इसलिए मैंने इसे उगाने का फैसला किया। गेंदे के पौधे रोपना आसान था। लेकिन चूंकि जमीन पथरीली थी, इसलिए मिट्टी को तैयार करने में बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ी। यहाँ तक कि मिट्टी को खेती के योग्य बनाने के लिए मुझे जेसीबी लाना पड़ा। मैंने मिट्टी के पोषक तत्वों को बढ़ाने के लिए कैल्शियम पाउडर जैसे जैविक उर्वरकों का भी इस्तेमाल किया।”
वह कहते हैं, "मैंने पौधों के लिए जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल किया क्योंकि गेंदा छोटा और संवेदनशील फूल है और किसी भी केमिकल का छिड़काव करने से इसका विकास प्रभावित होगा।"
एक महीने में नायर का खेत सुंदर और ताजे गेंदे के फूलों से भर उठा।
वह आगे बताते हैं, “सच कहूँ तो मैं खुद हैरान था कि फूल इतनी जल्दी और तेजी से कैसे खिलने लगे। मुझे यकीन नहीं था कि इन फूलों के लिए जलवायु की स्थिति सही साबित होगी, लेकिन यह बिल्कुल सही निकला।”
कृष्णन नायर के खेत से हर दिन लगभग 15-20 किलोग्राम गेंदे के फूल निकलने लगे। इन्हें वह बाजारों में बेचकर हर महीने लगभग 35,000 रुपये की कमाई करने लगे। पिछले कुछ महीनों में कोझेनचेरी, पठानमथिट्टा के फूल विक्रेता हर दिन उनके खेत से फूल खरीदते हैं।
कृष्णन नायर कहते हैं, “मैंने मुनाफे के लिए खेती शुरू नहीं किया था। यह केवल लॉकडाउन के दौरान कुछ अच्छा करने के लिए एक प्रोजेक्ट था। लेकिन इन छह महीनों में यह एक बिजनेस बन गया और शहर में कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है ताकि वह अपने दम पर कुछ खेती करना शुरू कर सकें।”
गेंदे की खेती आसान लग सकती है, लेकिन इसके बारे में कृष्णन नायर कहते हैं कि आप सिर्फ तभी मुनाफा कमा सकते हैं जब आप खेती में अपना समय दें और कड़ी मेहनत के लिए तैयार रहें।
वह कहते हैं, "हालांकि इसमें पानी की बहुत आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन पौधों को नियमित पानी देना पड़ता है। फूलों को तोड़ना भी एक मुश्किल काम है और पूरे खेत से फूल तोड़ने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है, जो एक बहुत ही थकाऊ काम है। लेकिन एक बार जब पौधे जमीन में जड़ पकड़ लेते हैं, तो इनका रखरखाव अधिक आरामदायक हो जाता है। इन महीनों में मेरे पास एक स्थानीय किसान आया और उसने मेरी मदद की। मेरी दोनों बेटी विदेश में बस गई हैं। मेरी पत्नी पूरा सहयोग करती हैं।”
कृष्णन नायर कहते हैं कि गेंदे के फूलों की खेती की खासियत यह है कि इसे कीड़े ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं। हफ्ते में एक बार जैविक उर्वरकों का छिड़काव करने से फूल ताजे और हेल्दी रहते हैं। उन्होंने बताया कि वह दूसरे किसानों के लिए एक मॉडल बनाना चाहते हैं ताकि वह भी अच्छा मुनाफा कमा सकें।
मूल लेख- SERENE SARAH ZACHARIAH
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