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गरीबों का मुफ्त इलाज करते हैं यह डॉक्टर, कई बार खुद की जेब से देते हैं दवा के पैसे भी

Ranchi Doctor treating poor for free

रांची, झारखंड के 52 वर्षीय डॉ. अनिल कुमार पिछले कई सालों से गरीब और जरूरतमंदों का इलाज मुफ्त में कर रहे हैं।

“जब मैं स्कूल में था और डॉक्टर बनने के सिर्फ सपने देखता था तो माँ की एक बात बहुत प्रभावित करती थी। वह हमेशा कहती हैं कि डॉक्टरों को गरीबों और जरूरतमंदों का इलाज मुफ्त में करना चाहिए। कोई व्यक्ति अपने घर में दो समय का खाना मुश्किल से जुटा पा रहा है। तो उसके लिए बीमारी में डॉक्टरों की फीस और दवाइयों का खर्च उठा पाना कितन मुश्किल होगा,” यह कहना है झारखंड के रांची में रहने वाले 52 वर्षीय डॉक्टर अनिल कुमार का। साल 1995 में अपनी मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने वाले डॉ. अनिल ने गुजरात और झारखंड के सरकारी स्वास्थ्य विभागों में कई सालों तक अपनी सेवाएं दी हैं। 

अब पिछले कुछ सालों से, वह रांची के एक प्राइवेट अस्पताल में काम कर रहे हैं। साथ ही, अपना एक क्लीनिक भी चलाते हैं। हालांकि, शहर में उन्हें लोग ‘गरीबों का मुफ्त इलाज करने वाले’ डॉक्टर के रूप में जानते हैं। दिलचस्प बात यह है कि डॉ. अनिल ने कभी इस बात का बखान नहीं किया कि वह सालों से जरूरतमंद मरीजों का इलाज बिना किसी फीस के कर रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन और कोरोना महामारी के दौरान जब उन्होंने लोगों की मदद के लिए ‘Save Life Mission’ के नाम से व्हाट्सऐप ग्रुप शुरू किए तो लोगों को उनके काम के बारे में पता चला। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए डॉ. अनिल ने कहा, “मुझे माँ की बातों से प्रेरणा मिली और जब मेरा एमबीबीएस में दाखिला हुआ तो मैंने ठान लिया कि डॉक्टर बनने के बाद मैं जरूरतमंदों का इलाज मुफ्त में करूंगा। इसे मैं अपनी खुशकिस्मती ही समझता हूं कि पढ़ाई के दौरान जो प्रण लिया था, उस पर आज भी कायम हूं। इस काम के पीछे कोई खास उद्देश्य नहीं है। बस मुझे लगता है कि इस तरह से मैं समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा हूं।” 

Doctor checking patients
Dr. Anil in his clinic

हर दिन तीन-चार घंटे देखते हैं जरूरतमंद मरीजों को 

डॉ. अनिल कुमार कहते हैं, “मैं अपनी क्षमता के अनुसार लोगों की मदद करता हूं। जब भी कोई मरीज मेरे क्लीनिक में आता है तो उन्हें देखकर ही उनकी आर्थिक स्थिति का अंदाजा हो जाता है। मैंने कई सालों तक ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी काम किया है। इसलिए मुझे अनुभव है कि लोग कितनी मुश्किलों से अपने घर को चलाते हैं। कई बार उनके लिए दवाइयां खरीदना भी बहुत बड़ी बात हो जाती है। इसलिए मैं इस तरह के मरीजों से कभी कोई फीस नहीं लेता हूं। यदि मुमकिन हो पाता है तो मैं उन्हें दवा भी खरीदकर दे देता हूं।” 

सामान्य बुखार, ब्लड प्रेशर जैसी बिमारियों के मरीज उनके पास आते रहते हैं। उनके एक मरीज नंदू कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों में नंबर आने में ही कई घंटे लग जाते हैं। ऐसे में, डॉ. अनिल उम्मीद की किरण हैं। अगर कभी भी कोई आपातकालीन परिस्थिति हो तो सबसे पहले डॉ. अनिल के क्लीनिक ही आते हैं। क्योंकि यही एक जगह है, जहां आपसे फीस के लिए कोई कुछ नहीं कहेगा।

कोरोना में शुरू किया ‘Save Life Mission’

डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि साल 2020 में फरवरी के महीने से कोरोना महामारी का अंदाजा लगना शुरू हो गया था। दूसरे देशों में हालातों को देखते हुए उन्हें समझ में आने लगा था कि हो सकता है कि वह नियमित तरीके से मरीजों को न देख पाएं। इसलिए उन्होंने फरवरी, 2020 में ही एक व्हाट्सऐप ग्रुप, ‘सेव लाइफ मिशन’ की शुरुआत कर दी थी ताकि जो लोग उन तक पहुंच न पाएं, उन्हें वह ऑनलाइन परामर्श दे सकें। और ऐसा हुआ भी। क्योंकि देखते ही देखते मार्च 2020 में कोरोना के मरीज बढ़ने लगे और लॉकडाउन शुरू हो गया। 

पिछले लगभग डेढ़ साल में उन्होंने व्हाट्सऐप पर तीन ग्रुप शुरू किए हैं। इन ग्रुप्स में 500 से ज्यादा लोग उनसे जुड़े हुए हैं। उन्होंने लोगों को उनके लक्षणों के आधार पर चिकित्सीय परामर्श दिए। कई बार उन्होंने मरीजों की हालत गंभीर होने पर उनके लिए अस्पतालों में बेड का इंतजाम भी कराया।

Patients sitting in doctor clinic

उन्होंने बताया, “व्हाट्सऐप के जरिये हर तबके के लोग मुझसे जुड़े हुए हैं। मैंने कभी भी किसी को ऑनलाइन परामर्श देने के लिए मना नहीं किया। न ही इसके लिए कोई फीस ली। क्योंकि यह हमारा काम है। अगर इस मुश्किल घड़ी में भी मैं पहले पैसों के बारे में सोचूंगा तो क्या फायदा एक डॉक्टर होने का।” 

रांची के कुच्चू (Kuchu) गांव के राजेश कहते हैं कि पिछले 15 साल से वह डॉ. अनिल को जानते हैं। क्योंकि उस समय डॉ. अनिल उनके गांव में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे थे। “मैंने हमेशा देखा कि वह लोगों की मदद करते हैं। कभी भी कोई भी अगर उनके पास इलाज के लिए पहुंचता है तो जो उनसे सम्भव हो पाता है, जरूर करते हैं। उनका स्वभाव भी बहुत ही सौम्य है और इसलिए मरीजों को उनसे संपर्क करने में हिचक भी नहीं होती है। उनके व्हाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से भी बहुत लोगों को मदद मिली है। मेरे माता-पिता को कोरोना के लक्षण होने पर मैंने उनसे संपर्क किया। उनसे परामर्श लेकर माता-पिता की घर पर ही देखभाल की गयी और आज वे दोनों बिल्कुल स्वस्थ हैं,” उन्होंने कहा। 

डॉ. अनिल कहते हैं कि उनसे जब तक सम्भव हो पाएगा। वह लोगों की मदद करते रहेंगे। अगर किसी को भी चिकत्सीय परामर्श की जरूरत है तो 7909032457 पर व्हाट्सऐप के माध्यम से जुड़कर उनसे सलाह ले सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

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