छात्रों, शिक्षकों और परिवारों के व्यवहार में एक व्यापक बदलाव लाने के लिए और शहर में प्लास्टिक वेस्ट की समस्या से निपटने का देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड (DSCL) ने बहुत ही क्रियात्मक समाधान निकाला है।
2 सितम्बर 2019 को DSCL ने ‘स्वच्छता ही सेवा’ कैंपेन के अंतर्गत एक महीने का ‘प्लास्टिक वापसी’ अभियान शुरू किया। इस अभियान में देहरादून के 5,200 से भी ज्यादा स्कूल छात्रों ने पूरे दिल से भाग लिया।
इस पूरे अभियान के बारे में जानने के लिए द बेटर इंडिया ने DSCL के सीईओ डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव से बात की और साथ ही, DSCL के प्रोजेक्ट पार्टनर ‘गति’ संगठन के फाउंडर अनूप नौटियाल से भी बात की।
प्लास्टिक वापसी अभियान
“देहरादून शहर 100 वार्ड्स में बंटा हुआ है और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट इनमें से 10 वार्ड्स में चलाया जा रहा है। इन 10 वार्ड्स में 20 सरकारी स्कूलों ने अभियान में भाग लिया,” श्रीवास्तव ने बताया।
उनकी टीम ने हर एक स्कूल में एक शिक्षक को इस अभियान के लिए नियुक्त किया और उसे ‘प्लास्टिक योद्धा’ का टैग दिया गया। इसके साथ ही, हर एक क्लास में से एक छात्र को ‘प्लास्टिक प्रहरी’ नियुक्त किया गया और इस तरह से इन 20 स्कूलों में 168 प्रहरी नियुक्त हुए।
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इसके पीछे का उद्देश्य नागरिकों का ही एक समूह तैयार करना था जो कि अपने आस-पड़ोस, घरों, और दुकानों आदि से प्लास्टिक वेस्ट को इकट्ठा करें। “छटी कक्षा से लेकर बड़ी कक्षाओं के 5200 छात्रों ने इस अभियान को स्वीकारा और इसमें अपना योगदान दिया। शायद यह कहना सही होगा कि उनके योगदान ने ही हमें आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी।”
प्लास्टिक प्रहरी और प्लास्टिक योद्धा का महत्व
ये सभी 168 प्लास्टिक प्रहरी, अपनी-अपनी क्लास के मोनिटर हैं और उन पर ज़िम्मेदारी थी कि वे इस अभियान के बारे में अपने आस-पड़ोस में जागरूकता फैलाएं और यह कैंपेन ज़मीनी स्तर तक पहुंचे। ‘प्लास्टिक योद्धा’ लगातार DSCL के सम्पर्क में रहते थे।
इन छात्रों ने, 30 दिनों में 3 लाख से भी ज्यादा प्लास्टिक की वेस्ट चीजों को इकट्ठा किया, जिनका कुल वजन 555 किलोग्राम था। इसमें प्लास्टिक रैपर, स्नैक्स पैकेट, पॉलिथीन आदि शामिल हैं। इस कैंपेन के ज़रिये छात्रों ने कचरे को अलग-अलग करने और इसके प्रबंधन के बारे में सीखा।
भागीदारी
इस अभियान में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले तीन टॉप स्टूडेंट हैं- सलोनी, सनातन धर्म कन्या इंटर कॉलेज की दसवीं कक्षा की छात्रा, जिन्होंने 9476 प्लास्टिक की वेस्ट चीजें इकट्ठी की, जीजीआईसी की दसवीं कक्षा की छात्रा रोज़ी ने 4250 चीजें इकट्ठा की और नेहा, सीएनआई गर्ल्स इंटर स्कूल की बारहवीं कक्षा की छात्रा, जिन्होंने 4247 चीजें इकठ्ठा की।
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सबसे ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा करने वाले स्कूलों में, राजकीय इंटर कॉलेज, जिन्होंने 45,152 प्लास्टिक की वेस्ट (38 किलोग्राम) चीजें इकट्ठी करके दीं और राजकीय प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं, जिन्होंने लगभग 9 किलोग्राम प्लास्टिक वेस्ट इकट्ठा किया।
प्लास्टिक रीसाइक्लिंग
“इस अभियान के दो उद्देश्य थे- एक तो प्लास्टिक को इकट्ठा करना, दूसरा इसे रीसायकल करना। हमने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम की मदद ली, जो कि प्लास्टिक वेस्ट को डीजल में कन्वर्ट करते हैं। उनके पास एक प्लांट है, जिसकी क्षमता 1, 000 किलोग्राम प्लास्टिक को 800 लीटर डीजल या फिर 700 लीटर पेट्रोल में कन्वर्ट करने की है,” श्रीवास्तव ने बताया।
“हमने इस कैंपेन के एक पूरे चरण को पूरा कर लिया है। प्लास्टिक, पेट्रोलियम से बने हाइड्रोकार्बन होते हैं, जिन्हें फिर से तरल ईंधन में बदला जा सकता है,” उन्होंने आगे कहा। “इसके अलावा, हमने कुछ प्लास्टिक वेस्ट नगर निगम को सड़क निर्माण के लिए भी दिया है।”
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हर एक राज्य अपने यहाँ प्लास्टिक की समस्या को हल करने के लिए कोई न कोई तकनीक अपना रहा है। ऐसे में, देहरादून का यह अभियान बहुत से छात्रों और उनके परिवारों में एक जागरूकता लाने में सफल रहा है।
Summary: With an intent to trigger a behavioural change in students, teachers, and families, Dehradun Smart City Limited (DSCL) has come up with an innovative way of tackling its plastic waste issue. Under its Swachhata Hi Seva campaign launched on 2 September 2019, DCSL has flagged off a month-long initiative called ‘Plastic Wapsi Abhiyaan’ (Return the Plastic). The campaign saw the wholehearted participation of more than 5,200 school students.