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एक शख्स की पहल से शुरू हुआ काम, 36 सालों से जरूरतमंद लोगों को मुफ्त में मिल रहा खाना

gangamata trust
Title : हर दिन बांटते 1500 लोगों को मुफ्त में खाना | Free Food | Humanity

आज भी देश में कई लोगों को दो वक़्त का खाना ठीक से नहीं मिल पाता और हम में से कुछ ही लोग होते हैं, जिन्हें समाज की इस कड़वी सच्चाई से फर्क पड़ता है। ऐसे कुछ लोगों में से भी बेहद कम लोग इस समस्या के बारे में सोचते हैं और इसे ख़त्म करने के लिए कुछ प्रयास करते हैं।  

बिज़नेस परिवार से ताल्लुक रखनेवाले जामनगर (गुजरात) के लावजी भाई पटेल उन्हीं कुछ लोगों में से एक हैं, जिन्होंने 80 के दशक में शहर के सरकारी अस्पताल के बाहर मरीजों के परिजनों को ज़रूरी सुविधाओं, यहां तक कि बिना खाने के तरसता देखा था।इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी लक्ष्मी पटेल से एक टिफिन बनाकर देने को कहा।  

उस दिन मात्र कुछ लोगों के लिए टिफ़िन सर्विस से शुरू हुआ यह काम, आज शहर का एक प्रसिद्ध ट्रस्ट बन चुका है, जिसके जरिए आज हर दिन 1500 लोगों को दो समय के भोजन सहित कई और तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं।  

15 सालों तक लावजी भाई ने खुद के खर्च पर किया काम 

Gangamata trust

दरअसल, जब लावजी भाई ने देखा कि सरकारी अस्पताल के बाहर बैठे ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर हैं, जो आस-पास के गांवों से अपने परिजनों के इलाज के लिए आते हैं और इन सभी लोगों के लिए शहर में रोज़ खाना खरीदकर खाना काफी महंगा हो जाता है, तो उन्होंने 1981 में इस काम की शुरुआत अपने घर से ही की थी। लेकिन समय के साथ जरूरतमंद लोग बढ़ने लगे और लावजी भाई का काम भी। 

लावजी भाई तेल और फ़ूड आइटम की ट्रेडिंग का काम करते थे और अपनी बचत से ही उन्होंने करीबन 1994 तक यह काम नियमित रूप से किया। और फिर ज्यादा लोगों की मदद करने के लिए, उन्होंने इसे एक ट्रस्ट में बदलने का फैसला किया, जिसके बाद उन्होंने ‘गंगामाता ट्रस्ट’ बनाया और उन्हें लोगों की मदद भी मिलने लगी। हालांकि, साल 2011 में लावजी भाई के निधन के बाद, आज उनके भांजे चंद्रेश भाई ने ट्रस्ट की जिम्मेदारी उठाई है।  

द बेटर इंडिया से बात करते हुए चंद्रेशभाई कहते हैं, “उस दौरान लावजी भाई के काम की तारीफ करते हुए,  जी जी हॉस्पिटल ने अपने कैंपस  में ही उन्हें एक कमरा और किचन बनाने के लिए जगह दी थी। लेकिन 1994 में हॉस्पिटल का रेनोवेशन हुआ और लावजी भाई को भी वह जगह खाली करनी पड़ी,  जिसके बाद उन्होंने,  शहर के नेहरू मार्ग पर अपनी सेविंग के 25 लाख खर्च करके ट्रस्ट के लिए एक जगह बनाई और यहीं से नया काम करना शुरू किया।”

Feeding Needy

चंद्रेश भाई ने बताया कि फिलहाल यह ट्रस्ट, हॉस्पिटल में आनेवाले गरीब परिवारों के साथ सड़क पर उन बुजुर्गों को भी खाना दे रहा है, जो अब काम करने की स्थिति में नहीं हैं। हां लेकिन यहां , युवा बेरोजगारों कोखाना नहीं मिलता।

 कोरोनाकाल में यह ट्रस्ट हर दिन 8000 लोगों तक भोजन पंहुचा रहा था।  हाल में भी वह डोनेशन के माध्यम से कम्बल, दवाइयां और कपड़ों जैसी चीज़ें लोगों तक पंहुचा रहे हैं।   

चंद्रेश भाई ने कहा कि ट्रस्ट की ओर से हर महीने भोजन का ही खर्च 25 हजार से ज्यादा है,  जिसे शहर के दाताओं की मदद से पूरा किया जा रहा है।   

चंद्रेश भाई ने अपने चाचाजी से मिली सीख को ही अपने जीवन का लक्ष्य बनाया है , इसलिए वह भी अपना पूरा जीवन इसी तरह जरूरतमंद लोगों की सेवा में ही गुजारना चाहते हैं।  

आप भी उनकी मदद करने के लिए यहां क्लीक करें।  

संपादनः अर्चना दुबे

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