आज के दौर में जहाँ इंसान किसी दूसरे की मदद करने के लिए जल्दी आगे नहीं आता, ऐसे में बेज़ुबानों के लिए कुछ करने वाले लोग कम ही होते हैं। लेकिन आज भी चंद लोग ऐसे हैं, जो पशु-पक्षियों की सेवा में अपना पूरा जीवन लगा देते हैं। ऐसे ही एक शख़्स हैं, दुनिया का सबसे बड़ा बर्ड फीडर बनाने वाले महाराष्ट्र के हरेश शाह, जिनका पक्षी प्रेम अब केवल उनके गांव तक ही सिमित नहीं रहा, बल्कि दुनिया तक पहुंच गया है।
इसका कारण है, उनका बनाया दुनिया का सबसे बड़ा बर्ड फीडर, जिसे उन्होंने अपनी खुद की सूझ-बूझ से तैयार किया है और अपने गांव में लगाया है।
इसके अलावा, पीपल गांव के रहनेवाले हरेश, साल 2014 से पक्षियों के लिए फीडर और घोंसले बनाकर बेचने का काम भी कर रहे हैं।
पक्षियों के लिए अपने प्रेम को एक मिसाल बनाने के लिए उन्होंने जो किया वह शायद ही कोई कर पाए। ऐसा नहीं है कि हरेश काफ़ी अमीर हैं, लेकिन उनका सेवा भाव उन्हें दूसरों से अलग और दिल से अमीर ज़रूर बना देता है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह बताते हैं, “जब तक मैं सक्षम हूँ, अपने स्तर पर पक्षियों की सेवा करता रहूँगा और दूसरों को भी प्रेरित करूँगा।"
कैसे मिली पक्षियों की सेवा करने की प्रेरणा?
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दरअसल, हरेश एक बेहद ही ग़रीब परिवार से आते हैं। साल 1989 में जब उनका परिवार पीपल गांव में रहने आया था, तब उनके पिता एक छोटी-मोटी नौकरी करते थे। वहीं, घर का ख़र्च चलाने के लिए उनकी माँ खाखरा का बिज़नेस करती थीं, जिसमें हरेश भी उनका हाथ बंटाते थे।
दसवीं की परीक्षा के बाद, उनके पास खाखरा लेने आने वाले एक ग्राहक ने उन्हें अपनी गहनों की दुकान में काम करने का ऑफर दिया। हरेश कहते हैं, “उस समय मुझे यह अंदाज़ा भी नहीं था कि सोना पीला होता है और चांदी सफ़ेद। लेकिन उन्होंने एक चपरासी से लेकर मालिक तक का सारा काम मुझे सिखाया। पक्षी प्रेम की प्रेरणा भी मुझे उन्हीं से मिली।"
जिस ज्वेलरी की दुकान में हरेश काम करते थे, उसके मालिक बहुत बड़े पशु प्रेमी थे। वह हर दिन 30 हज़ार से ज़्यादा रुपये अपनी गौशाला में गौ सेवा के लिए ख़र्च करते थे। उन्हें देखकर ही हरेश को यह एहसास हुआ कि उन्हें भी अपनी तरफ़ से जानवरों के लिए कुछ करना चाहिए।
क्योंकि उनके पास ज़्यादा पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने यह सोचा कि किस तरह कम ख़र्च में भी पशुओं की सेवा की जा सकती है! तभी उन्हें बर्ड फीडर बनाने का ख़्याल आया। उन्होंने पहले कुछ सैंपल्स तैयार किए, फिर ऐसे ढेरों फीडर्स बनाने लगे। इसके लिए उन्होंने अपने मालिक से 35 हज़ार रुपये उधार भी लिए थे।
हरेश के बर्ड फीडर क्यों हैं खास?
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हरेश ने मेटल का एक ऐसा फीडर बनाया, जिसमें एक किलो अनाज आराम से रखा जा सकता था और एक समय में चार से पांच पक्षी आराम से दाना खा सकते थे।
साल 2014 तक वह नौकरी के साथ-साथ, फीडर्स बनाकर बेचा करते थे और इसी तरह उन्होंने अपना 35 हज़ार का कर्ज़ा चुकाया था। इसके बाद, उन्होंने नौकरी छोड़कर, पक्षियों के फीडर्स और घोंसले वग़ैरह बनाने का काम पूरी तरह से शुरू कर दिया। अब वह अलग-अलग पक्षियों के लिए अलग तरह के घर बनाते और खाना-पानी देने के लिए फीडर बनाकर बेचते।
समय के साथ उनका काम आस-पास के शहरों के अलावा, दूसरे राज्यों तक फैल गया। वह बताते हैं, “मेरा फीडर 100% वर्जिन प्लास्टिक से बना होता है, जो आम फीडर्स के मुक़ाबले सालों साल चलता है। यही कारण है कि दूर-दूर से लोग इसका ऑर्डर देते हैं।" शुरुआत में उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इस काम में इतनी सफलता मिलेगी।
कैसे आया सबसे बड़ा बर्ड फीडर बनाने का ख़्याल?
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हरेश कहते हैं, “पक्षियों के लिए काम करते हुए मुझे एहसास हुआ कि लोगों में अभी भी इनके प्रति पर्याप्त जागरूकता नहीं है।” वह अपनी तरफ़ से कोशिश करते कि लोगों को पक्षियों के लिए घोंसला और फीडर रखने के लिए प्रेरित करें। इसलिए उन्होंने कुछ बड़ा करने का सोचा, जो लोगों के लिए एक मिसाल बन सके और उनकी आँखें खुलें।
उन्होंने जब दुनिया का सबसे बड़ा बर्ड फीडर बनाने का फ़ैसला किया, तब उन्होंने सबसे पहले अच्छे से रिसर्च की। वह कहते हैं, “मुझे पता चला कि यूएई में 345 किलो का दुनिया का सबसे बड़ा फीडर मौजूद था। इसके बाद, मैंने 500 किलो का फीडर बनाने का फ़ैसला किया। तक़रीबन तीन बार अलग-अलग डिज़ाइन पर काम करने के बाद, आख़िरकार मेरा चौथा डिज़ाइन सफल रहा।"
वैसे, वह बना तो 500 किलो का फीडर रहे थे, लेकिन बनने के बाद उनका फीडर 700 किलो से भी ज़्यादा और दुनिया का सबसे विशाल बर्ड फीडर बन गया।
इसे गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी जगह मिल गई। उन्होंने अपनी जीवन की कमाई के लगभग तीन लाख 80 हज़ार रुपये इस बर्ड फीडर को बनाने में ख़र्च कर दिए।
गांव वालों को भी हुआ फ़ायदा
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इस बर्ड फीडर में दाना रखने का काम भी हरेश खुद के ख़र्च पर ही करते हैं। इसके लिए वह एक हफ़्ते के लिए क़रीब 250 से 300 किलो आनाज ख़रीदते हैं। वहीं, उनके बनाए इस अनोखे फीडर में हर दिन लगभग दो से ढाई हज़ार चिड़ियां और दूसरे पक्षी आते हैं।
हरेश बताते हैं कि इस फीडर से पक्षियों की संख्या बढ़ी है और इससे आस-पास के किसानों को बहुत फ़ायदा हुआ है।
दरअसल, पीपल गांव के आस-पास कई लोग अंगूर की खेती करते हैं। उनकी फसलों में लगने वाले छोटे कीड़े, चिड़िया अपने बच्चों को खिलाने के लिए ले जाती हैं। इससे किसानों को अब ज़्यादा कीटनाशक डालने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
ऐसा नहीं है कि किसानों को हाल में ही यह फ़ायदा हुआ है। हरेश ने पहले से ही गांव में अपने एक किलो वाले 100 से ज़्यादा फीडर्स लगाए थे, जिनसे पक्षियों की संख्या बढ़ रही थी। लेकिन छोटे-छोटे सौ फीडर्स के बाद भी उनको संतुष्टि नहीं हुई, वह चाहते थे कि कुछ ऐसा किया जाए, जो लोगों के सामने एक बड़ा उदाहरण बने और आख़िरकार उन्होंने इसे मुमकिन कर दिखाया।
आज Amazon पर भी उनके बनाए बर्ड फीडर्स काफ़ी मशहूर हैं। अपनी कोशिशों के ज़रिए वह लोगों को पक्षी प्रेम के लिए प्रेरित कर रहे हैं। आप भी उनसे बल्क में या अपने घर के लिए फीडर ख़रीदना चाहें, तो उनकी 'अमी जीव दया' वेबसाइट पर विज़िट कर सकते हैं।
संपादन- भावना श्रीवास्तव
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