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Home आविष्कार नीरव फ़ूड मशीन: एक किसान के छोटे-से जुगाड़ से शुरू हुई थी यह करोड़ों की कंपनी

नीरव फ़ूड मशीन: एक किसान के छोटे-से जुगाड़ से शुरू हुई थी यह करोड़ों की कंपनी

राजकोट की एक कंपनी, 'नीरव फ़ूड मशीन' आज देश-विदेश में अपनी रोटी मेकर, गार्लिक पीलर और आटा गूंथने की मशीनें बेचती है; लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि इस काम की शुरुआत रसिकभाई रंगानी नाम के किसान ने एक छोटी सी मशीन बनाकर की थी।

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Machine by farmer (1)

कभी-कभी एक छोटी सी शुरुआत जीवन में बड़े बदलाव ला सकती है। ऐसी ही एक कोशिश आज से 12 साल पहले, राजकोट के एक किसान ने भी की थी, जिसका फल आज उनके बेटे और 'नीरव फ़ूड मशीन' के मालिक भोग रहे हैं।

बचपन से ही जुगाड़ू दिमाग के रसिकभाई रंगानी अपने पुश्तैनी खेतों में खेती किया करते थे। वह अपने भाई के साथ खेती का काम भी संभालते थे और कुछ छोटी-छोटी चीज़ें  भी बनाते रहते थे।  

उस दौरान बाज़ार में विदेशी ऑटोमैटिक मशीनें बहुत बिक रहीं थीं, लेकिन ये भारत में काफ़ी महंगी थीं। रसिकभाई ने देखा कि कई लोगों के पास इन्हें ख़रीदने के पैसे नहीं हैं, इसलिए उन्होंने जुगाड़ से एक आटा गूंथने की सस्ती मशीन बनाने का फैसला किया। इस काम में उनके चचेरे भाई चंदूभाई ने उनका साथ दिया जो पहले से ही राजकोट में कास्टिंग का काम किया करते थे।    

उनकी बनाई मशीन आस-पास के लोगों और मशीन डीलर्स को बहुत पसंद आई और बाद में यही उनका बिज़नेस 'नीरव फ़ूड मशीन' बन गया।
आज रसिकभाई भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी बनाई आटा गूंथने की मशीन आज तक उनकी कंपनी का बेस्ट सेलिंग प्रोडक्ट है।
रसिकभाई के छोटे बेटे नीरव रंगानी कहते हैं, “खेती से जुड़ने से पहले मेरे पिता और उनके बड़े भाई फ्रिज बनाने का काम करते थे। लेकिन पुश्तैनी खेतों को संभालने के लिए उन्होंने खेती शुरू की। चूँकि उनके पास कास्टिंग का अच्छा ज्ञान था इसलिए हम भाई-बहनों के जन्म के बाद उन्हें लगा कि अपने इस ज्ञान का इस्तेमाल करके कुछ और बिज़नेस भी करना चाहिए। इसी सोच के साथ मेरे पिता ने मशीन बनाने का काम शुरू किया। वहीं मेरे बड़े पापा ने खेती संभाली। साल 2009 में जब मेरे पिता ने यह मशीन बनाई थी, तब भारत में सिर्फ़ इंदौर और कोयंबत्तूर में ऐसी मशीनें बनती थीं , जो काफ़ी महंगी भी थीं। इसलिए गुजरात में मेरे पिता की बनाई मशीन जल्द ही काफ़ी लोकप्रिय हो गई।"

Owners of nirav machines rangaani brothers
Rangani Brothers

अपने बिज़नेस पर था विश्वास  

उस दौरान रसिकभाई ने दूसरे डीलर्स के ज़रिए गांव से ही मशीन बनाकर बेचना शुरू किया। उनके बड़े बेटे कल्पेश ने उनका साथ दिया और मार्केटिंग का काम संभाला। रसिकभाई एक किसान थे, इसलिए उन्हें बिज़नेस का ज़्यादा आईडिया तो नहीं था, लेकिन अंदाज़ा था कि आने वाले समय में ऐसी मशीनें लोगों के काफ़ी  काम आएंगी। 

कल्पेश बताते हैं, “उस समय महीने की चार से पांच मशीन्स  ही बिकती थीं; लेकिन मेरे पिता को इस काम पर विश्वास था और वह हमें भी अलग-अलग तरह की मशीनें बनाने का आईडिया देते रहते थे।"

हालांकि, नीरव फ़ूड मशीन की शुरुआत के कुछ समय बाद ही रसिकभाई का निधन हो गया। नीरव ने बताया कि एक साल बाद ही, मशीन बनाते समय हुई एक दुर्धटना में रसिकभाई का निधन हो गया था।

 यह समय परिवार के लिए काफ़ी मुश्किलों भरा था; लेकिन उनके बाद भी उनकी मशीन लोगों के बीच लोकप्रिय बनी रही।  

यही कारण था कि उनके बेटों ने पिता की बनाई मशीन को बेचना जारी रखा और उनके काम को भी। 

Rasik bhai rangani farmer who made aarta dough machine
रसिकभाई रंगानी

आज नीरव फ़ूड मशीन बनाते हैं 100 से ज़्यादा मशीनें

कल्पेश और उनके भाई हितेश राजकोट में पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने पढ़ाई बीच में ही छोड़कर काम से जुड़ने का फैसला किया। इसके बाद, उन्होंने एक मसाला मिक्सिंग मशीन बनाई और राजकोट में ही एक छोटा मैन्युफैक्चरिंग सेटअप तैयार कर लिया। 

दो साल बाद कल्पेश ने अपने सबसे छोटे भाई, नीरव के नाम से मशीन मेकिंग का बिज़नेस, बड़े स्तर  पर शुरू किया। अब वह खुद ही अपनी बनाई मशीन्स पूरे गुजरात में बेचने लगे ।  

शुरुआत से ही उनका मकसद था कि वह छोटे साइज़ की, सस्ती मशीनें बनाएं  ताकि फ़ूड बिज़नेस से जुड़े छोटे कारोबारियों का काम आसान हो  सके। 

नीरव बताते हैं, “हमारे पास भारत की सबसे पहली लहसुन छीलने  की मशीन बनाने का पेटेंट है। जब हमारी कंपनी ने यह मशीन बनाई थी, तब भारत में  ऐसी मशीनें बाहर  से ही मंगवाई जाती थीं।"

jugadu machine by Rasik bhai turned into a company

आज-कल 'नीरव फ़ूड मशीन’ के बेस्ट सेलिंग प्रोडक्ट्स, रसिकभाई की बनायी आटा गूंथने की मशीन और गार्लिक पीलिंग मशीन हैं। इसके साथ-साथ उनकी रोटी मेकिंग मशीन विदेशों में भी  बिकती है।  

उनके पास तक़रीबन 35 से 40 मशीनों के पेटेंट रजिस्टर्ड  हैं , जो कई तरह के  साइज़  और मॉडल में आती हैं। 

रंगानी ब्रदर्स हाल में अपनी इस कंपनी से सालाना दो करोड़ से ज़्यादा का टर्नओवर बना रहे हैं। अपनी कंपनी के ज़रिए वे ऐसे प्रोडक्ट्स बनाने की कोशिश करते हैं, जिससे आम आदमी या छोटे व्यापारियों का काम आसान हो सके, क्योंकि यही उनके पिता का भी सपना था।  

आप रंगानी ब्रदर्स के बिज़नेस के बारे में और ज़्यादा जानने के लिए उनकी वेबसाइट पर विज़िट कर सकते हैं।  

संपादनः अर्चना दुबे

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