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पेशे से सीए रह चुकी देविका, पशुओं के संरक्षण के लिए बना रही है चमड़ा-मुक्त जूते!

पशुओं के प्रति प्रेमभाव रखने वाली देविका ने जब भारत में चमड़े और कैनवस जूतो के बीच की खाई को देखा तो उन्होने अपना पेशा छोड़ हमे चमड़े की जगह एक बेहतर उत्पाद उपलब्ध कराने की ठानी और अपना खुद का एक  ब्रांड स्थापित किया।

“मुझे जानवरों से बहुत प्यार है,” देविका श्रीमल बापना अपने ब्रांड केनाबीस को शुरू करने के बारे में अपने मुख्य उद्देश्य को बयां करते हुए कहती हैं।

पशुओं के प्रति उनके  प्रेम व PETA स्वयंसेवी के रूप में काम करने से इन्हें  और जागरूक और संवेदनशील जीवन जीने की प्रेरणा मिली। उन्होंने अपने जीवन जीने के तौर–तरीकों में बहुत बदलाव किए पर जब बात जूतों पर आई तो उनके पास कोई विकल्प नहीं था।

“मुझे चमड़े के जूतों का विकल्प नहीं मिला,” देविका कहतीं हैं। “मैं लंदन में रहती थी जहां सर्दियों में लेदर ही सर्वोत्तम विकल्प था, जब मैं भारत आई तो देखा कि बाज़ार में कई बड़े ब्रांड थे जो चमड़े  के जूते बनाते थे पर जब चमड़े के अलावा कोई उत्पाद लेने जाओ तो उसकी गुणवत्ता संतोषजनक भी नहीं थी इस तरह से बाज़ार में दोनों उत्पादों के बीच एक बड़ी खाई थी।” उन्होंने सोचा कि ना तो वो चमड़े के जूते पहनेगी और न ही निम्न गुणवत्ता के जूते पहन कर अपने पैरो को तकलीफ देंगी और फिर उन्होने अपने खुद के जूते बनाने की ठानी।

2015 में देविका ने भारत में निर्मित अपना ब्रांड केनाबीस बाज़ार में उतारा जो PETA द्वारा अनुमोदित था।

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यह बदलाव देविका, जिन्हें डिजाइनिंग का कोई अनुभव नहीं था, के लिए आसान नहीं था। एक सीए के रूप में प्रशिक्षित, ‘अर्नेस्ट एंड यंग, डेलॉयट’ जैसी बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों में काम का अनुभव रखने वाली  देविका के लिए पेशे में यह 180 डिग्री का बदलाव आसान नहीं था। “यह मेरे लिए एक बिना तैयारी के छलांग लगाने जैसा था पर केनाबीस जल्द ही अपने 2 साल पूरे कर लेगा और इसे बाज़ार में मिल रही सफलता शानदार है,”

केनाबीस महिलाओं के लिए लेदर के उपलब्ध विकल्पों जैसे जूट व केनवास के जूते बनाने में अपनी खासियत रखते हैं। जो बात इस ब्रांड को बाज़ार में उपलब्ध अन्य निर्माताओं से अलग करती है वह है, गुणवत्ता और डिजाइन पर दिया जाने वाला खास ध्यान जो की इन मटिरीयल का इस्तेमाल करने वाले अधिकतर निर्माताओं द्वारा अनदेखा किया जाता है।

  “हमारे सभी उत्पाद फैशनेबल और टिकाऊ हैं, इन्हें बनाने में किसी जानवर के साथ अत्याचार नहीं होता। इन जूतों का हर हिस्सा कई परीक्षणों से गुजरता है। मैं खुद इन जूतों का इस्तेमाल करती हूँ जिससे मुझे इनकी गुणवत्ता का पता चल सके और हमारे ग्राहकों से मिलने वाली हर शिकायत व सुझाव का ध्यान रखा जाता है,” देविका बताती हैं।

“हम बाज़ार में चल रहे ताज़ा ट्रेंड्स का भी ध्यान रखते हैं, और हर 2 महीने में कोई नया डिज़ाइन बाज़ार में उतारते हैं,” वे आगे जोड़ती हैं। खेल के बारे में सोचते ही आपके दिमाग में बस कैनवास के बने सफ़ेद जूतों का ही ध्यान आता होगा पर कैनाबीस के पास इसके भी बेहतरीन विकल्प मौजूद है, कैनाबीस में आपको हील वाली सैंडल, बिना हील के चप्पल और पशुप्रेमी बूट के भी विकल्प मिलेंगे जो आमतौर पर मिलने मुश्किल है।

देविका ने 22 डिजाइन के साथ शुरू किया था और आज देविका के ब्रांड में 60 डिजाइन है जिसमें चमकदार रंग, प्रिंट्स व एम्ब्रोयडरी के डिजाइन शामिल है।

“हम एक छोटी टीम है और हमारा दृष्टिकोण व्यवहारिक व क्रियाशील है,” देविका कहती हैं। यह कुछ इस तरह है कि हो सकता है कि अगर आप कस्टमर केयर पर फोन लगाए तो इस ब्रांड के संस्थापक ही आपका फोन उठाए।

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बाज़ार की दशा को देखते हुए यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि देविका ले लिए शुरुआती दौर में दिल्ली और आस-पास के इलाकों से अपने उत्पाद के लिए कच्चा माल जुटाना, अपनी डिजाइन को मूर्त रूप देना, पैकेजिंग, गुणवत्ता बनाए रखना, विपणन व बिक्री जैसे मुख्य कार्य कितने मुश्किल रहे होंगे।  

भारतीय फैशन बाज़ार के विश्लेषण से यह पता चलता है कि भारत में ऐसे उत्पाद जिन्हें बनाने में जानवरो पर अत्याचार नहीं किए गए हों की मांग बढ़ी है, पर उपभोक्ताओं के पास ज्यादा विकल्प नहीं है खासकर के जूतों में। बाज़ार में जो इस तरह के ब्रांड उपलब्ध है वे ब्रांड आम ग्राहक की पहुँच से बहुत दूर है।

देविका किसी भी तरह का लेदर या फ़र अपने डिजाइन में इस्तेमाल नहीं करतीं, और उत्साह से जानवरों के अधिकार के लिए लड़ती हैं। वे कहतीं है, “मेरा बचपन से सपना है कि मेरा 1 पालतू जानवर हो, पर मेरे साथी यह नहीं चाहते, इसीलिए मैं खुले घूमने वाले बेसहारा कुत्तों के साथ खेल कर अपनी यह इच्छा पूरी कर लेती हूँ, मैंने उन्हे नाम दिये है और वे मेरे साथ साथ अब मेरी गाड़ी भी पहचानने लगे हैं।”

जब देविका किसी घायल जानवर को देखतीं है तो वे उसे एक एनजीओ ‘फ्रेंडिकोज’ ले जाती हैं, “हमने जब एक बार हमारे ब्रांड के लिए धन जुटाया था तो उसका एक हिस्सा ईस्ट कैलाश में गायों के शेल्टर बनाने के लिए दिया,” वे बात करते हुए बताती हैं।

डिजाइनों में अपने नए शोध और जानवरो के प्रति सहानुभूति वाले दृष्टिकोण के चलते, आज देविका की पहुँच उन लोगो तक हो गयी है जो कोई भी उत्पाद खरीदते समय यह ध्यान रखते है कि उसे बनाने में पर्यावरण को क्षति न पहुंची हो।

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देविका के मन में सतत विकास की अवधारणा सदा बनी रहती है, “हमे अभी भी निर्माण में प्लास्टिक का उपयोग करना पड़ता है, मैं प्लास्टिक के विकल्पो को आज़माना पसंद करूंगी और अपने जूतों को पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल बनाऊँगी” देविका बताती हैं। वे रिसाइकिलिंग की अवधारणा पर भी कार्य कर रही है, “हम पुराने जूतो को नयी डिजाइन में बदलना चाहते है। हम निर्माताओं से बात कर रहे है कि वे अपने खराब जूते हमें उपलब्ध कराये, हम ग्राहकों को भी प्रोत्साहित करते हैं कि वे अपने पुराने जूते यहाँ लाये।”

दो साल के भीतर ही केनाबीस 8 मल्टी ब्रांड स्टोर्स में विस्तृत हो चुका है, और ऑनलाइन भी उपलब्ध है। पूरे भारत में अपने उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए केनाबीस ब्रांड सोशल मीडिया, प्रदर्शनियों, व रिटेल बिक्री माध्यम का सहारा ले रहा है। देविका इस बात को साबित करने के अपने मिशन पर तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं कि लेदर का जूता ही आपका सर्वोत्तम विकल्प नहीं हैं।

केनाबीस के उत्पाद उनकी वेबसाइट पर देखे। अगर आप देविका से संपर्क करना चाहते है तो यहाँ क्लिक करके कर सकते हैं।   

मूल लेख: सोहिनी डे


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