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कोरोना महामारी के संक्रमण की वजह से जब देश भर में लॉकडाउन लगाया गया था उस दौरान मानो जिंदगी थम सी गई थी। इस दौरान लोगों को कई मानसिक और शारीरिक तकलीफों का सामना करना पड़ा। साथ ही, बाजार बंद होने के कारण लोगों को छोटी-छोटी चीज के लिए भी कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा था।
लेकिन, उस कठिन दौर में झारखंड के जमशेदपुर के इस भाई-बहन ने मिलकर, एक ऐसा जुगाड़ किया, जिससे पूरे परिवार की बाजार पर निर्भरता कुछ हद तक कम करने में काफी मदद मिली।
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दरअसल, साइकिल और अनाजों को पीसने के लिए चक्की, दोनों की प्रकृति एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है, लेकिन जमशेदपुर के रहने वाले मंदीप तिवारी और उनकी बहन सीमा ने मिलकर लॉकडाउन के दौरान कसरत करने वाली साइकिल से जुगाड़ कर आटा चक्की बना दी। जिससे परिवार के सदस्य घर में व्यायाम करने के साथ ही, गेहूँ भी पीस सकते हैं।
कैसे आया विचार
इस अनोखे चक्की के बारे में मंदीप ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरा लोहा सप्लाई करने का बिजनेस है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान काम और जीम बंद होने के कारण फिटनेस खराब हो रहा था। वहीं, मिल बंद होने के कारण रोटी के लिए शुद्ध आटे की भी दिक्कत हो रही थी। इस चुनौती से निपटने के लिए हमने कुछ जुगाड़ करने का फैसला किया।”
वह आगे बताते हैं, “इसके बाद हमने अपने कामगार से दिल्ली से कसरत करने वाली साइकिल को और मिर्जापुर से पुराने जमाने में अनाजों को पीसने के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली दो चक्की को मंगाया। जबकि, छोटी-छोटी चीजों को स्थानीय बाजार से खरीद कर इसे असेम्बल कर दिया।”
मंदीप कहते हैं कि साइकिल के पैडल को चक्की के एक्सेल से जोड़ा गया है, जबकि चक्की के ऊपर एक गोलाकार बर्तन रखा गया है, जिसमें गेहूँ डाल कर साइकिल चलाई जाती है। पैडल चलाने पर चक्की घुमने लगती है और आटा बनने लगता है। इसके साथ ही जिम गए बिना ही लोगों की कसरत भी हो जाती है।
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मंदीप की बहन सीमा बताती हैं, “लॉकडाउन की वजह से परिवार के लोगों को फिटनेस की काफी समस्या आ रही थी। इसलिए इंजीनियर भाई के साथ मिलकर हमने कुछ अनूठा प्रयोग करने का प्रयास किया।”
वह आगे बताती हैं, “इसमें आधे घंटे में डेढ़ किलो गेहूँ की पिसाई होती है। यह आटा डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें आटा जलता नहीं है।”
आज के दौर में शहरों में जीम का काफी चलन है, लेकिन एक मेंबरशिप कार्ड पर एक ही व्यक्ति एक्सरसाइज कर सकता है। जबकि, इस तरह के प्रयोग में एक बार निवेश करने के बाद पूरा परिवार शारीरिक रूप से सेहतमंद रहने के साथ ही, खुद पीसे गए आटे से पौष्टिक आहार भी प्राप्त कर सकते हैं।
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कितना हुआ खर्च
मंदीप बताते हैं, “इस साइकिल को बनाने में करीब 15 हजार रुपए खर्च हुए। इसमें मैनुअली आटा पीसने के अलावा, चना और कई मसालों को भी पीसा जा सकता है। लेकिन, इसके लिए हाई रोटेशन स्पीड चाहिए होता है, जो पैडल के जरिए कठिन होता है। इसलिए इसमें मोटर लगाकर घर में ही, सभी जरूरी चीजों की पिसाई की जा सकती है।”
आते हैं कई पड़ोसी भी
सीमा बताती हैं, “इस मशीन के बनने के बाद, हमारे यहाँ कई पड़ोसी आटा पीसाने और व्यायाम करने आते हैं। हमें उनकी मदद करने के बाद काफी खुशी होती है।”
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क्या है भविष्य की योजना
मंदीप कहते हैं, “इसे लेकर मेरा कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है। लेकिन, इस जुगाड़ ने मुझे और मेरे परिवार को लॉकडाउन के दौरान, मुश्किल हालातों में सेहतमंद रहने में काफी मदद की। इसके साथ ही, छोटी ही सही, लेकिन हर महीने परिवार के लिए जरूरी पैसे को भी बचाने में मदद मिली है।”
वीडियो में देखें कैसे काम करती है यह साइकिल:
द बेटर इंडिया इस तरह के आविष्कार की सरहाना करता है और साथ ही भाई-बहन की इस जोड़ी को शुभकामनाएं देता है।
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संपादन - जी. एन झा