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देश में हुनरमंद लोगों की कमी नहीं है। कई ऐसे लोग हैं, जिनके पास भले ही इंजिनियरिंग की डिग्री नहीं है लेकिन वह हर दिन कुछ न कुछ नया अविष्कार (Innovation) कर रहे हैं, जिसका लाभ समाज को मिल रहा है। आज हम आपको एक ऐसे ही युवा से रू-ब-रू करवा रहे हैं, जिन्होंने एक से बढ़कर एक इनोवेशन किए हैं, जिससे किसानों को लाभ मिल रहा है और सबसे रोचक बात यह है कि इन अविष्कारों के पीछे उनके माता-पिता हैं।
अंडमान और निकोबार के पोर्टब्लेयर के रहने वाले 22 वर्षीय दीपांकर दास बहुत कम उम्र से ही अपने आस-पास की समस्यायों को अपने छोटे-बड़े आइडियाज से हल करने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक उन्होंने कई ऐसे छोटे-बड़े इनोवेशन किए हैं, जिससे लोगों को लाभ मिल रहा है।
दीपांकर ने बचपन से ही अपने माता-पिता को खेतों में कड़ी मेहनत और काम करते हुए देखा है। यहाँ तक कि खुद दीपांकर ने समय-समय पर पार्ट टाइम काम किए हैं ताकि वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने इनोवेटिव आइडियाज पर काम भी कर सकें।
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दीपांकर ने द बेटर इंडिया को बताया, "मैं अपने माता-पिता का दर्द अच्छे से समझ सकता हूँ। हर रोज़ 5-6 किमी चलकर वह खेतों में काम करने जाते हैं ताकि हमारा घर चल सके। दिन-रात मेहनत करके भी सिर्फ इतना ही हो पाता कि हमें दो वक़्त खाना अच्छा से मिलता। मैं उनके लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकता तो इसलिए अपने आइडियाज से उनके काम की परेशानियों को हल करने की कोशिश करता हूँ।"
बचपन से मशीनों को खोलने और बनाने में रूचि रखने वाले दीपांकर के इनोवेशन का सफ़र बहुत कम उम्र से ही शुरू हो गया था। वह स्कूल में ही थे जब उन्होंने खुद मिट्टी के खिलौने बनाकर बेचे हैं। वह खुद महंगी चीजें नहीं खरीद सकते थे और इसलिए उन्हें अगर कबाड़ में कोई चीज़ जैसे खिलौना कार या फिर कोई गैजेट मिल जाता तो उन्हें इकट्ठा कर लेते थे। घर पर उन्हें खोलकर अलग-अलग चीजें ट्राई करते और इस तरह से उन्हें मशीनों का अच्छा एक्सपोज़र हुआ और उन्होंने इनकी वर्किंग को समझा।
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उन्होंने अपने माता-पिता की परेशानी को देखते हुए कृषि से जुड़े कई यंत्र बनाए हैं। जैसे उन्होंने खोदी लगाने के लिए साइकिल बेस्ड फावड़ा बनाया। इसके बाद, उन्होंने देखा कि उनकी माँ को दूर से पानी भरकर लाना पड़ता है और वह भी सिर पर रखकर। इसलिए उन्होंने पहिये से चलने वाली एक ट्राली बनाई, जिससे महिलाओं का पानी लाने का काम आसान हो जाये। अपने समुदाय में उन्होंने मछुआरों की समस्या को भी समझा। स्टोरेज की व्यवस्था न होने के कारण उन्हें मछलियाँ कम दाम में भी बेचनी पड़ती थी।
दीपांकर कहते हैं, "मैंने मछली व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए सोलर पावर से चलने वाला डीप फ्रीज़र सिस्टम बनाया ताकि उनके लिए स्टोरेज आसान हो। इसी तरह सोलर पावर से चलने वाली एक हैंड वॉशिंग सिस्टम भी मैंने बनाया।”
इसके बाद उन्होंने नारियल जैसे फल को तोड़ने के लिए एक मशीन बनाई।
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दीपांकर कहते हैं, “मैंने अब तक जो भी इनोवेशन (Innovation ) किए हैं, सभी पुरानी और बेकार चीज़ों को इस्तेमाल करके किए हैं। मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है। अक्सर खेतों में दाल की हार्वेस्टिंग के दौरान माँ और पिताजी के हाथ छिल जाते थे। दाल को फिर निकालकर साफ़ करना और भी मेहनत भरा काम था। खेतों में किसानों के लिए थ्रेशर मशीन खरीदना नामुमकिन सा रहता है क्योंकि ये काफी महंगी होती हैं और ज़्यादातर मशीन बिजली से चलतीं हैं। इसलिए मैंने सोलर पॉवर से चलने वाली सोलर पल्स थ्रेशर मशीन बनाई।”
वैसे तो उन्होंने यह मशीन साल 2013 में ही तैयार कर लिया था और अपने माता-पिता के साथ खेतों पर इसका ट्रायल भी किया। लेकिन उन्हें अपने इनोवेशन को साल 2015 में एक राष्ट्रीय स्तर देना का मौका मिला। उन्होंने अपनी मशीन का मॉडल नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के इगनाइट अवॉर्ड के लिए भेजा और उनका सिलेक्शन भी हुआ। उन्हें उस साल राष्ट्रीय अवॉर्ड से भी नवाज़ा गया।
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इसके बाद उन्हें NIF द्वारा इंडोनेशिया में भी एक साइंस एक्जीबिशन के लिए भेजा गया। दीपांकर ने प्रोफेसर अनिल गुप्ता के मार्गदर्शन में इस सोलर थ्रेशर के एडवांस लेवल पर काम किया और पेटेंट के लिए भी अप्लाई किया।
दीपांकर ने सोलर पॉवर का उपयोग धान के लिए एक सोलर ड्रायर बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया है। उनके इनोवेशन (Innovation) और इनोवेटिव तरीकों को देखते हुए हनी बी नेटवर्क के फाउंडर प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने भी दीपांकर की काफी मदद की है। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण दीपांकर ने दसवीं कक्षा के बाद डिप्लोमा किया था।
इसी दौरान उनका सम्पर्क प्रोफेसर गुप्ता से हुआ। उन्होंने जब दीपांकर के छोटे-बड़े इनोवेशन और उनके समुदाय में इन इनोवेशन (Innovation) के इम्पैक्ट के बारे में सुना तो उन्होंने उनकी मदद करने की ठानी।
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प्रोफेसर गुप्ता ने दीपांकर का दाखिला अहमदाबाद के इंजीनियरिंग कॉलेज में कराया और फ़िलहाल, वह इंजीनियरिंग में दूसरे वर्ष के छात्र हैं। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ वह NIF से जुड़े हुए हैं और अलग-अलग इनोवेशन पर काम कर रहे हैं। दीपांकर का सपना है कि वह अपनी पढ़ाई अच्छे से पूरी करके, अपनी सभी आइडियाज पर काम करें ताकि अपने देश और अपने लोगों के लिए कुछ कर पाएं।
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