प्रतीकात्मक तस्वीर (विकीमीडिया कॉमन्स)
हाल ही में, आईआईटी कानपूर के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा 'मेटामटेरियल' बनाया है, जिसकी बनी वर्दी पहनने से या फिर जिसके बने कवर्स से अपनी जीप आदि ढकने से सेना के जवानों को कोई भी रडार या फिर सेंसर नहीं पकड़ पायेगा। दरअसल, यह मटेरियल रडार किरणों को अपने में अवशोषित करने की क्षमता रखता है, जिससे कोई भी दुश्मन जवानों का पता नहीं लगा सकता।
इस आविष्कार का प्रयोग करके किसी भी रडार, मोशन-डिटेक्टिंग ग्राउंड सेंसर और थर्मल इमेजिंग सिस्टम से बचा जा सकता है।
इस आविष्कार को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने मंजूरी दी व फंड किया है। आईआईटी कानपूर के दो प्रोफेसरों ने मिलकर इसे बनाया है - इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग से प्रो.कुमार वैभव श्रीवास्तव और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के जे रामकुमार।
साल 2010 से इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा था। इस मटेरियल की लैब-टेस्टिंग की जा चुकी है और अब यह फ़ील्ड टेस्टिंग के लिए तैयार है।
सबसे अच्छी बात यह है कि यह तकनीक स्वदेशी है और अब इसके चलते भारत को किसी और देश से तकनीक के आयात-निर्यात पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। सैनिकों की वर्दी और जीप आदि के लिए कवर के अलावा अब ये रिसर्चर और भी ऊँचे दर्ज़े का मटेरियल बनाने पर काम कर रहे हैं, ताकि इसे एयरक्राफ्ट में भी इस्तेमाल किया जा सके।
साथ ही, यह मटेरियल काफ़ी लचीला है और किसी भी तरह की मौसमी परिस्थितियों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
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