भारत में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में इतनी संभावनाएं हैं कि यदि इसका उपयोग बेहतर ढंग से किया जाए, तो हमारी कोयला, पेट्रोलियम जैसे ऊर्जा के संसाधनों पर निर्भरता काफी कम हो सकती है और इसके परिणामस्वरूप, हमें वायुमंडल में सीएफसी, कार्बन डाईऑक्साइड जैसे कई खतरनाक गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
आज जब सरकारी एजेंसी, धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों, निजी संगठनों और यहाँ तक कि घरों में भी दैनिक ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए अक्षय ऊर्जा के विकल्प को अपनाया जा रहा है, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि देश में सौर ऊर्जा का भविष्य काफी उज्जवल है।
उदाहरण के तौर पर, आज तिरुपति, माउंट आबू और शिरडी जैसे तीर्थ स्थलों पर खाना पकाने के लिए मेगा-स्केल सोलर स्टीम सिस्टम को स्थापित किया गया है, जिससे हर दिन हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए खाना तैयार करने में मदद मिलती है।
अब, यदि कोई इन प्रणालियों को छोटे पैमाने पर खाना बनाने के लिए विकसित कर दे, तो निश्चित रूप से गैस सिलेंडर या इंडक्शन पर आपकी निर्भरता आपातकालीन स्थितियों के लिए ही रहेगी।
फिर, जरा सोचिए कि यदि आपकी गर्म और लजीज इडली धूप से बनी हुई हो तो?
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सोलर सॉल्यूशंस में माहिर केरल के कोच्चि स्थित क्राफ्टवर्क सोलर नाम की कंपनी ने एक ऐसा मशीन तैयार किया है, जिसमें इडली और अन्य उबले हुए खाद्य पदार्थों को सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए बनाया जाता है। यह कंपनी पिछले दो दशकों से सोलर इंडस्ट्री में है और वॉटर हीटर, ड्रायर और फोटोवोल्टिक (PV) आदि जैसे सौर ऊर्जा से संचालित कई मशीनों को बना चुकी है।
इन्हीं कारणों से, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उनके नवाचार कार्यों को गैर-पारंपरिक ऊर्जा और ग्रामीण प्रौद्योगिकी एजेंसी (ANERT) द्वारा तिरुवनंतपुरम में आयोजित “अक्षय उर्जा उत्सव - 2018” में काफी सराहा भी गया।
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क्राफ्टवर्क के प्रबंध निदेशक केएन अय्यर ने द बेटर इंडिया को बताया, “यह तिरुपति मंदिर में लगे स्टीम कुकिंग सिस्टम की तरह ही काम करता है और इसमें हमने बस सोलर कम्पोनेन्ट को छोटा किया है। इडली ओवन से जुड़े स्टीमर्स, पैराबोलिक रिफ्लेक्टर द्वारा संचालित होते हैं, जो भाप उत्पन्न करने के लिए एक छोटे से क्षेत्र में सूर्य की रोशनी को निर्देशित करते हैं। यह मशीन 130 डिग्री सेल्सियस के ताप तक पहुँच सकता है, और इससे तेल को भी गर्म किया जा सकता है।”
कंपनी ने अपने अनुसंधान और विकास के जरिए एक वर्ष में सौर-संचालित कुकर को विकसित किया है। इसके तहत उनका लक्ष्य स्कूल या कैंटीन जैसे कम आबादी वाले जगहों पर सौर ऊर्जा के जरिए खाना तैयार करने की आदत को बढ़ावा देना है।
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इस विषय में अय्यर बताते हैं, “हमारा ध्यान ऐसे छोटे संस्थानों पर है, जहाँ खाने की तैयारी सुबह 9 से 2 बजे के बीच की जाती है। इससे ऐसे संस्थानों में पारंपरिक बॉयलरों के उपयोग को कम करने में मदद मिल सकती है और इनका इस्तेमाल सिर्फ बैकअप के रूप में किया जा सकता है।”
क्राफ्टवर्क उन कंपनियों में से एक है, जिसे ANERT ने अपनी ’गो सोलर’ के लिए सूचिबद्ध किया है, इसके तहत संगठन का उद्देश्य ऊर्जा कुशल व्यवहारों को प्रोत्साहित करने के लिए बाजार में सौर ऊर्जा संचालित उपकरणों को बढ़ावा देना है।
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फिलहाल, क्राफ्टवर्क सोलर के दक्षिण भारत में 5000 से अधिक ग्राहक हैं और 1993 में स्थापित इस कंपनी ने पूरे केरल और तमिलनाडु में 20 हजार से अधिक सोलर थर्मल इकाईयों को स्थापित किया है।
क्राफ्टवर्क सोलर के बारे में अधिक जानने के लिए, यहाँ क्लिक करें। आप उन्हें info@kraftworksolar.com पर मेल भी कर सकते हैं।
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