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आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में रहने वाले 34 वर्षीय राजेंद्र प्रसाद द्वारा बनाए गए 'पेडल वाटर टैप' की हर जगह सराहना हो रही है। कुछ दिन पहले, जल शक्ति मंत्रालय ने भी सोशल मीडिया पर इस बारे में पोस्ट करते हुए उनकी तारीफ़ की।
'वाटर पेडल टैप' से आपको मटके या फिर किसी भी पानी के बर्तन को छूने की ज़रूरत नहीं है। आप सिर्फ अपने पैर से टैप करके पानी ले सकते हैं। इससे पानी बर्बाद होने से भी बचेगा और साफ़-सफाई भी बरकरार रहेगी। आज के समय में, जब स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत ही ज़रूरी है, इस तरह का इनोवेशन काफी कारगर साबित हो सकता है।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब राजेंद्र प्रसाद ने समाज की भलाई के लिए कोई इनोवेशन किया है। पिछले कई सालों से वह पानी के क्षेत्र में आविष्कार बना रहे हैं ताकि पानी की बर्बादी को रोककर, आम लोगों को शुद्ध और स्वच्छ पेय-जल उपलब्ध कराया जा सके। बोतल में लगने वाले छोटे से फिल्टर, ब्लुटोमीटर से लेकर कभी भी लाया और ले जाने वाला, ऑल टेरेन वाटर प्यूरीफायर बनाने तक, उन्होंने कई ज़रूरी आविष्कार किए हैं।
उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, "मैंने फार्मेसी विषय में अपनी पढ़ाई की लेकिन पानी के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा मुझे हनी बी नेटवर्क द्वारा संचालित शोधयात्रा के दौरान मिली। साल 2008 में मैंने शोधयात्रा में भाग लिया और देखा कि लोगों को पानी की कितनी समस्याएं हैं। कहीं पानी ही नहीं है तो कहीं लोग खारा और अशुद्ध पानी पीने के लिए मजबूर हैं। तब मुझे लगा कि कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हम लोगों की मदद कर पाएं और उनको स्वच्छ पानी मिले।"
राजेंद्र ने अपनी रिसर्च शुरू की और साल 2014 में उन्होंने अपना सबसे पहला इनोवेशन किया- ब्लुटोमीटर, जिसे किसी भी बोतल में लगाया जा सकता है और यह वाटर प्यूरीफायर की तरह काम करता है। लेकिन उनकी पहली कोशिश असफल रही और इसके बाद, उन्होंने कुछ समय के ब्रेक लेकर सिर्फ रिसर्च पर फोकस किया। इस दौरान वह बतौर शिक्षक एक कॉलेज में और कुछ प्राइवेट फार्मा कंपनियों में अपनी सेवाएं देते रहे। हालांकि, शुद्ध पानी लोगों तक पहुंचाने का उनका जुनून कम नहीं हुआ।
"मैंने साल 2018 से एक बार फिर ब्लुटोमीटर पर काम किया और इस बार मैं सफल रहा। इसके साथ ही, पिछले साल मैंने क्लेविनो नाम से अपना स्टार्टअप शुरू किया, यह 'क्लैवर इनोवेशन' का शॉर्ट फॉर्म है। इसके ज़रिए हमारा उद्देश्य 'प्रॉब्लम टू प्रोडक्ट' यानि कि समस्या का समाधान ढूँढना है," उन्होंने बताया।
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ब्लुटोमीटर, बोतल में लगने वाला वाटर प्यूरीफायर है जो तुरंत पानी को प्योरिफाई करता है। यह पानी से धूल-मिट्टी और हानिकारक रसायनों को दूर करता है। इसमें कोई भी टॉक्सिक चीज़ इस्तेमाल नहीं की गई है और इसे मैकेनिकल फिल्टर के रूप में तैयार किया गया है।
इसे कहीं भी यात्रा के दौरान उपयोग में लाया जा सकता है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल में बच्चों की वाटर बोतल में भी इसका अच्छा उपयोग है। राजेंद्र के मुताबिक उन्होंने लगभग 1500 ब्लूटोमीटर बेचे हैं और लगभग 800 मुफ्त में ग्रामीण लोगों को उपलब्ध कराएं हैं।
ब्लूटोमीटर के बाद सोलर वाटर प्यूरीफायर और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर काम किया। उनके ये प्रोडक्ट्स यदि सामुदायिक स्तर पर लगवाए जाएं तो काफी फायदेमंद साबित होंगे। उनके द्वारा डिज़ाइन किए गए प्रोडक्ट्स हैं:
सोलर वाटर प्यूरीफायर विद वाटर कूलर:
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इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें पानी को फिल्टर करने के लिए सोलर वाटर प्यूरीफायर लगा है और वह भी यह वाटर कूलर के साथ आता है। यह पोर्टेबल है और फोल्डेबल है, इसे कहीं भी लाया-ले जाया सकता है। आपको इसे बस किसी भी पानी के नल या स्त्रोत से कनेक्ट करना है और आपको तुरंत शुद्ध पानी मिलने लगेगा। इसे चलाने के लिए बिजली की ज़रूरत नहीं है, यह सौर ऊर्जा पर काम करता है। एक दिन में आपको इससे 500 से 700 लीटर शुद्ध पानी मिल सकता है।
राजेंद्र के मुताबिक, "इसका डिज़ाइन इको-फ्रेंडली है और इसमें कोई हानिकारक क्लोरोफ्लोरोकार्बन नहीं है। आप इसे स्कूल, अस्पताल, कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, रेलवे स्टेशन और पार्क आदि में लगा सकते हैं। फ़िलहाल, इसकी कीमत लगभग 50 हज़ार रुपये है। लेकिन हम इसे कम करने पर काम कर रहे हैं।"
रेन वाटर हार्वेस्टिंग+ सोलर वाटर प्यूरीफायर:
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इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि बारिश होने पर पानी त्रिपाल के बने 'उलटे छाते' से सीधा ड्रम में इकट्ठा होगा और फिर इससे जुड़े सोलर वाटर प्यूरीफायर द्वारा यह फिल्टर हो जाएगा। जिसे बाद में पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसका छोटा मॉडल 180 लीटर प्रतिदिन और बड़ा-एडवांस मॉडल 600 लीटर प्रतिदिन पानी दे सकते हैं। फिल्टर होने के बाद जो अशुद्ध पानी बचता है उसे घरेलू कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह डिज़ाइन - वाटर प्रूफ है। इसे आसानी से अस्मेबल किया जा सकता है और कहीं भी लगाया जा सकता है। इसमें बिजली की ज़रूरत नहीं होती है।
ऑल टेरेन वाटर प्यूरीफायर:
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इसकी खासियत यह है कि आप इस प्यूरीफायर को अपने साथ कहीं भी ले जा सकते हैं। आप इससे बारिश से लेकर बाढ़ तक का पानी प्यूरिफाय कर सकते हैं। राजेंद्र कहते हैं, "आपको किसी भी आपातकालीन स्थिति में बाहर से बड़े-बड़े टैंकर मंगवाने की ज़रूरत नहीं है। इस प्यूरीफायर की मदद से आप वहीं पर उपलब्ध पानी को फिल्टर करके पीने योग्य बना सकते हैं। एक घंटे में यह 50 लीटर पानी को प्यूरिफाय कर सकता है। इसमें 200 वाट के सोलर सिस्टम का इस्तेमाल हुआ है।"
वह आगे कहते हैं कि उन्हें ऑल टेरेन वाटर प्यूरीफायर बनाने की प्रेरणा तितली सायक्लोन के दौरान मिली। उन्होंने देखा कि किस तरह से लोग बाढ़ में फंसे हुए थे, चारों तरफ पानी ही पानी था लेकिन पीने योग्य एक बूंद भी नहीं। तब उन्हें लगा कि इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं के समय काम आने वाले आविष्कारों की बहुत ज़रूरत है। हालांकि, ये आविष्कार आम लोगों तक तभी पहुँच सकते हैं जब सरकार मदद करे।
"एडवांस होने के कारण इन आविष्कारों की कीमत काफी ज्यादा है जो आम लोगों के लिए जुटा पाना मुश्किल है। इसलिए मेरी कोशिश सरकारी संस्थाओं, सामाजिक संगठनों और सीएसआर के ज़रिए इन प्यूरीफायर सिस्टम को ज़रूरतमंद इलाकों में लगवाने की है। मुझे सोलर प्यूरीफायर के लिए कुछ ऑर्डर्स मिले हैं। लेकिन फ़िलहाल की स्थिति में हम सिर्फ 3 जगह ही इंस्टॉल कर पाएंगे," उन्होंने आगे कहा।
लॉकडाउन में उन्होंने 'वाटर पेडल टैप' के अलावा पॉट सोलर वाटर प्यूरीफायर भी तैयार किया है। यानी कि इस प्यूरीफायर को आप सीधा मटके पर लगा सकते हैं और इसकी कीमत महज 5200 रुपये है। वहीं 'वाटर पेडल टैप' को आप 700 रुपये में खरीद सकते हैं। हालांकि, अच्छी बात यह है कि राजेंद्र लगभग 15 वाटर पेडल टैप सिस्टम आंध्र-प्रदेश और ओडिशा बॉर्डर पर रहने वाले आदिवासियों के यहाँ मुफ्त में लगा रहे हैं।
"फ़िलहाल, हम इतने ही सिस्टम मुफ्त में लगा सकते हैं। लेकिन हमारी कोशिश है कि सामाजिक संस्थाएं आगे आएं और हम ज्यादा से ज्यादा जगह तक अपना यह आविष्कार पहुंचा सकें," उन्होंने कहा।
राजेंद्र प्रसाद को उनके आविष्कारों के लिए पुणे इंटरनेशनल सेंटर द्वारा आयोजित नेशनल कांफ्रेंस ऑन सोशल इनोवेशन 2019 में पुरस्कार से नवाज़ा गया। इसके साथ ही उन्हें हनी बी नेटवर्क द्वारा GYTI अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।
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राजेंद्र ने सभी आविष्कार बड़े स्तर पर समाज का भला कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए हम सबको आगे आना होगा। वह अपने स्तर पर अच्छी तकनीक बनाकर दे रहे हैं, ऐसे में यह सरकार और सामाजिक संस्थाओं की ज़िम्मेदारी है कि उनकी तकनीक कम से कम लागत में ज़रूरतमंदों तक पहुंचे।
अगर आप किसी ग्रामीण या आदिवासी या ज़रूरतमंद इलाके में कोई भी प्यूरीफायर सिस्टम लगवाना चाहते हैं तो उन्हें 7660052333 पर कॉल या फिर [email protected] पर ईमेल कर सकते हैं। उनका फेसबुक पेज देखने के लिए यहाँ पर क्लिक करें!
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