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April 2025: इन गुमनाम नायकों को आपने दी पहचान

आपके प्यार ने इन गुमनाम नायकों को दी पहचान!

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March 2025: इन गुमनाम नायकों को आपने दी पहचान

आपके प्यार ने इन गुमनाम नायकों को दी पहचान!

1. दिहाड़ी किचन को अमेरिका से मिली मदद

नेक काम की शुरुआत किसी एक को करनी होती है। अगर इरादे अच्छे और पक्के हो तो नेक काम में लोगों का साथ अपने आप ही मिल जाता है। लखनऊ के ‘दिहाड़ी किचन’ की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
जिसे आप सभी ने ढेर सारा प्यार दिया। हमारे वीडियो को देखकर आप सभी मदद के लिए आगे गए और कुछ लोगों ने तो आर्थिक सहयोग भी किया।

दरअसल, लखनऊ का ‘दिहाड़ी किचन’ जिसे पिछले 8 सालों से चला रहे हैं एक दिहाड़ी मज़दूर पिता के बेटे सोमनाथ कश्यप। सोमनाथ ने ग्रेजुएशन के बाद स्लम के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था लेकिन खुद बहुत संघर्षों से लड़कर पढ़ाई पूरी करने वाले सोमनाथ जानते थे कि बच्चों को शिक्षा से पहले खाने की जरूरत है।  सोमनाथ बच्चों को खाना खिलाना तो चाहते थे लेकिन वह खुद किसी तरह गुजारा कर रहे थे तो इसके लिए पैसे कहाँ से लाते? ऐसे में उन्हें एक आईडिया आया, उन्होंने कुछ दोस्तों की मदद ली को केटरिंग बिज़नेस में थे। धीरे-धीरे उनके इस नेक काम की खबर पूरे लखनऊ को हो गयी एक ओर भूख से परेशान दिहाड़ी मजदूरों की कतार बड़ी होने लगी।
पिछले 8 साल से दिहाड़ी किचन में  महीने के 20 दिन करीब 8000 पैक्ट्स खाना जरूरतमंद लोगों में बांटा जाता है।


उनकी कहानी को ढेर सारा प्यार देने के लिए दिल से शुक्रिया।

2. ‘मोहरान फार्म्स’ में देश भर से पहुंचे लोग

मुंबई से बस कुछ घंटे की दूरी पर बसा है एक सुन्दर और ताज़गी से भर देने वाला फार्म स्टे!

जब सचिन अधिकारी अपनी 4 साल की बेटी की तबीयत के कारण शहर छोड़कर इस पुश्तैनी फार्म में आए, तो उन्होंने सिर्फ मिट्टी से नहीं, ज़िंदगी से रिश्ता जोड़ा।

आज यह फार्म न सिर्फ़ उनकी बेटी की मुस्कान वापस लाया, बल्कि The Better India मराठी पर फ़ीचर होने के बाद
यह जगह सैकड़ों लोगों की पसंदीदा डेस्टिनेशन बन गई है। जो कभी एक निजी आशियाना था, वो अब बना है सुकून तलाशते मेहमानों का दूसरा घर।

3. बीना कलथिया का 'बुजुर्गों का स्कूल' बना कईयों के लिए प्रेरणा

 इस डिजिटल युग में हमारे बुज़ुर्ग अक्सर घर में अकेले रह जाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 48 वर्षीय बीना कलथिया में एक Senior Citizen Center शुरू किया, जहां वह प्रौढ़ शिक्षा दे रही हैं। उन्होंने अब तक कई बुजुर्गों को पढ़ना-लिखना सिखाया है।

उनकी कहानी को देशभर के लोगों का ढेर सारा प्यार मिला। कई लोगों ने उनके काम की तारीफ की तो कुछ लोगों ने ऐसा ही स्कूल खोलने के लिए उनसे राय मांगी। बिना को उम्मीद है आने वाले समय में ऐसे और प्रयास होंगे और हमारे कई बुजुर्ग शिक्षित हो पाएंगे।