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रांची में खुला पौधों का शॉपिंग मॉल! एक इंजीनियर की अनोखी पहल

मिलिए, रांची के सौरभ कुमार से, जो पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, लेकिन पौधों और हरियाली के अपने शौक़ के कारण उन्होंने नौकरी करने के बजाय पौधे उगाना शुरू किया। आज वह इंडोर पौधों का एक अनोखा शॉपिंग मॉल चला रहे हैं और लोगों के घर के अंदर हरियाली फैला रहे हैं।

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आपने अपने शहर में एक से बढ़कर एक बड़ी-बड़ी नर्सरी देखी होंगी। लेकिन झारखंड की राजधानी रांची में बना है पौधों का एक शॉपिंग मॉल।

जी हाँ! शॉपिंग मॉल इसलिए, क्योंकि यहां सभी पौधें एक मॉल जैसे माहौल में 'इंडोर' लगे हुए हैं और यही बात इसे आम नर्सरी से अलग बनाती है। इस नर्सरी को 23 साल के सौरभ कुमार चलाते हैं, जो पेशे से एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, लेकिन हरियाली और पौधों के अपने प्यार को अपना काम बनाने के लिए उन्होंने नौकरी करने के बजाय यह अनोखा मॉल शुरू किया।

पर्यावरण से प्रेम करने वाले सौरभ चाहते हैं कि वह कुछ ऐसा करें, जिससे हर कोई पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक कदम आगे बढ़ाते हुए पेड़-पौधों से जुड़े और उनसे प्यार करे। ऐसे में उन्होंने एक ऐसी नर्सरी तैयार की है, जो किसी मॉल से कम नहीं। 

सौरभ बताते हैं कि आजकल छत, बालकनी और आंगन आदि की कमी के कारण जो लोग पौधे नहीं लगा रहे हैं। उन सभी लोगों को वह घर के अंदर पौधे लगाने में मदद करना चाहते हैं।  

यही कारण है कि उन्होंने अपनी इस नर्सरी में सिर्फ इंडोर उगने वाले पौधे ही रखे हैं। उनके पास इंडोर पौधों की 300 से ज्यादा किस्में मौजूद हैं। 

Saurabh Kumar At His Plant Mall
Saurabh Kumar At His Plant Mall

नर्सरी नहीं, पौधों का यह अनोखा मॉल हो गया मशहूर 

सौरभ के पिता की चाह थी कि उनका बेटा भी पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी करे, लेकिन सौरभ जब 12वीं में थे, तब से उन्होंने सोच लिया था कि उन्हें पेड़-पौधों से जुड़ा कोई व्यवसाय ही करना है। 

परिवार की ख़ुशी और एक डिग्री हासिल करने के लिए उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने घर से ही पौधे उगाना और उनकी नर्सरी का काम शुरू किया। बाद में अपने पिता से आर्थिक मदद लेकर उन्होंने एक इंडोर सेटिंग वाली नर्सरी तैयार करवाई। 

आज उनकी 'बेबी प्लांट नर्सरी' रांची वालों को खूब पंसद आ रही है। सौरभ इसके ज़रिए कई लोगों को रोज़गार देने के साथ,  शहर के घरों को हरियाली से भरने का काम भी कर रहे हैं। उनकी नर्सरी के बारे में ज़्यादा जानने के लिए आप उन्हें यहां सम्पर्क कर सकते हैं।  

संपादन- अर्चना दुबे

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