कहते हैं कि अगर आपके हाथ में हुनर हैं तो आप न सिर्फ अपना, बल्कि दूसरों का जीवन भी संवार सकते हैं। जैसा कि आंध्र प्रदेश की 24 वर्षीया जी. कामाक्षी कर रही हैं। नौकरी के संग, वह एक छोटा-सा बिज़नेस कर रही हैं। साथ ही, दूसरी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हेंडीक्राफ्ट प्रोडक्ट्स की मुफ्त में ट्रेनिंग भी दे रही हैं।
एक मध्यम-वर्गीय परिवार से आने वाली कामाक्षी बचपन से ही पेपर क्राफ्ट, ज्वेलरी मेकिंग, पेंटिंग जैसी चीजें करती आ रही हैं। अब अपने इन्हीं हुनर को उन्होंने एक अतिरिक्त कमाई का जरिया बना लिया है।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए कामाक्षी बताती हैं, “मेरे लिए बिज़नेस से भी ज्यादा यह पैशन का काम है। क्योंकि मैं अपने आसपास लड़कियों को संदेश देना चाहती हूं कि अपने हाथ के हुनर से वह आत्मनिर्भर बन सकती हैं। मुझे बचपन से ही अलग-अलग चीजें करने का शौक रहा है। सातवीं कक्षा से मैंने पेपर क्राफ्ट करना शुरू किया था। इसके बाद, मैं हर साल छुट्टियों में कुछ नया सीखती थी। आज मुझे 16 तरह के क्राफ्ट्स आते हैं जिनमें मेहंदी आर्ट, झुमका, बैंगल मेकिंग, आर्ट डिज़ाइन आदि शामिल हैं।”
कृष्णा जिला स्थित सीतारामपुरम की रहने वाली कामाक्षी ने साल 2018 में अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की थी। इसके बाद वह राज्य स्तर की परीक्षाओं की तैयारी में जुट गयी। फिलहाल, वह तेलापरोलु सचिवालय में महिला पुलिस पद पर नियुक्त हैं। इसके साथ ही, ‘अनुश्रीनू कलेक्शन’ के नाम से अपना यह छोटा-सा बिज़नेस चला रही हैं।
तीन हजार के निवेश से 30 हजार की कमाई
“मैं हमेशा से अपने दोस्तों को खुद अलग-अलग चीजें जैसे खूबसूरत ग्रीटिंग कार्ड्स, हाथ से बनाए झुमके या चूड़ियां गिफ्ट करती हूं। पिछले साल मुझे मेरी एक सहेली ने खासतौर पर डिज़ाइनर चूड़ियां बनाने के लिए कहा। मैंने उसे चूड़ियां बनाकर दी तो उसे बहुत पसंद आई और उसने इनके मुझे पैसे दिए। हालांकि, मैंने यह किसी ऑर्डर की तरह नहीं किया था। लेकिन उसके जरिये मुझे और भी बहुत से लोग चूड़ियों के लिए संपर्क करने लगे। जब मुझे कई महिलाओं ने संपर्क किया तो मैंने बाजार से 3000 रुपए का सामान खरीदा और ऑर्डर्स पर काम शुरू किया,” उन्होंने बताया।
कामाक्षी ने सिर्फ तीन हजार रुपए निवेश किए और इसके बाद उन्हें लगातार ऑर्डर मिलते रहे। अपनी कमाई में से कुछ वह वापस निवेश करने लगी तो कुछ बचत। कामाक्षी कहती हैं, “3000 रुपए के निवेश से मैंने 30 हजार रुपए तक की कमाई की है। अब लगातार ऑर्डर बढ़ रहे हैं। कुछ समय पहले मैंने अपना एक फेसबुक पेज बनाया है और इंस्टाग्राम अकाउंट भी। लेकिन मैं महीने में बहुत ही सिमित ऑर्डर पर काम करती हूं। क्योंकि इन ऑर्डर पर काम करने के लिए मेरे पास सिर्फ रविवार का दिन होता है।”
कामाक्षी सुबह से शाम तक अपनी नौकरी करती हैं। उन्हें सिर्फ रविवार के दिन छुट्टी मिलती है और इसी दिन वह अपने ऑर्डर्स पर काम करती हैं। उन्होंने बताया कि ग्राहकों को उनके उत्पाद इसलिए पसंद आते हैं क्योंकि वह बाजार से अलग डिज़ाइन और अच्छी गुणवत्ता उन्हें देती हैं।
उनकी एक ग्राहक, सिवजी कहती हैं कि उन्होंने कामाक्षी से चूड़ियां और झुमके बनवाये थे। दोनों ही चीजें बाजार में मिलने वाले उत्पादों से ज्यादा खूबसूरत और हल्के वजन की थी। जिस कारण इन्हें पहनना भी आसान है।
वह कहती हैं, “मैंने जितना सोचा था कामाक्षी से उससे कहीं ज्यादा अच्छे उत्पाद बनाकर दिए। वह भी किफायती कीमत पर। यदि मैं बाजार से यह सब खरीदती तो पैसे ज्यादा खर्च करने पड़ते।”
दूसरों को बना रहीं हैं आत्मनिर्भर
कामाक्षी कहती हैं कि जब उनके ऑर्डर्स बढ़ने लगे तो उन्हें लगा कि उन्हें दूसरी महिलाओं को भी यह काम सिखाना चाहिए। ताकि अगर वह कभी ऑर्डर न पूरा कर पाएं तो किसी और को काम मिल सकता है। “इसके अलावा, मैंने देखा था कि कैसे कोरोना महामारी और लॉकडाउन में लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इसलिए भी मुझे लगा कि अपना हाथ का काम आने से ये महिलाएं अपने परिवार की मदद कर पाएंगी। मैंने अब तक सात महिलाओं को ट्रेनिंग दी है और वे अपना काम भी कर रही हैं,” वह बताती हैं।
अपने घर पर आस-पास की महिलाओं को ट्रेनिंग देने के साथ-साथ कामाक्षी को जब भी मौका मिलता है, वह सरकारी स्कूलों, संगठनों के साथ मिलकर भी ट्रेनिंग प्रोग्राम्स करती हैं। उनका मानना है कि स्कूल की पढ़ाई के दौरान बच्चों को इस तरह के क्राफ्ट्स भी सिखाने चाहिए ताकि आगे चलकर कोई छात्र अपनी रूचि के अनुसार अपने हुनर को भी कमाई का जरिया बना सके। अगर हम बचपन से बच्चों को यह सब सिखाएंगे तो प्रैक्टिस भी अच्छी हो जाएगी और उनके हाथ में सफाई आएगी।
उनसे ट्रेनिंग लेने वाली हसीना बताती हैं कि उन्होंने उर्दू माध्यम से पढ़ाई की है। लेकिन उनके गांव के आसपास उन्हें नौकरी के ज्यादा मौके नहीं मिले और बिगड़ते हालातों में वह अपने परिवार की आर्थिक मदद करना चाहती हैं। “मैंने बहुत कोशिश की लेकिन नौकरी नहीं मिल पाई। ऐसे में, मुझे पता चला कि कामाक्षी मुफ्त में महिलाओं को हाथ का काम सिखाती हैं। मैंने भी उनके पास आना शुरू किया और अब मैं काफी कुछ सीख चुकी हूं। उन्हें जो भी ऑर्डर मिलते हैं, वह उनमें से हमें भी काम देती रहती हैं और मैं खुद भी अपने स्तर पर काम कर रही हूं,” हसीना ने आगे कहा।
कामाक्षी कहती हैं कि उनका उद्देश्य एकदम से लाखों कमाना नहीं है। वह सिर्फ रविवार के दिन काम करके भी अच्छा कमा पा रही हैं और आगे बढ़ रही हैं। हर महीने उनके ऑर्डर बढ़ रहे हैं और खासकर कि त्योहारों पर उनके पास काफी ऑर्डर आते हैं। जैसे अभी दिवाली के लिए उन्हें ऑर्डर मिलने लगे हैं। “यह ऐसा काम है जिसे कोई भी कहीं से भी कर सकता है। आजकल सबकुछ ऑनलाइन मिल भी जाती हैं और आप अपनी चीजें ऑनलाइन बेच भी सकते हैं। इसलिए मैं अपने जैसी सभी लड़कियों को संदेश देती हूं कि पढ़ाई के साथ-साथ हाथ का काम भी सीखें और आत्मनिर्भर बनें,” उन्होंने अंत में कहा।
अगर आप उनके बनाये प्रोडक्ट्स खरीदना चाहते हैं तो उनका फेसबुक पेज देख सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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