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शार्क टैंक इंडिया के मंच पर कच्छ के एक छोटे से गांव, भरदोई की रहनेवाली पाबी बेन रबारी अपनी कला और कहानी लेकर पहुंची थीं। अपने जीवन के संघर्ष को उन्होंने जिस सादगी से शार्क्स के सामने रखा, पूरी दुनिया उनके जज़्बे की कायल हो गई।
मात्र चौथी तक पढ़ीं, पाबी बेन अपनी खुद की एक वेबसाइट चलाती हैं, जिसके ज़रिए वह अपने हाथों से बने प्रोडक्ट्स सिर्फ देश में ही नहीं, दुनियाभर में पहुंचा रही हैं। पाबी बेन वह कलाकार हैं, जिन्होंने कच्छ की विलुप्त हो रही पारंपरिक कला को अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक खास पहचान दिलाई है।
वह अपने इस काम की वजह से, कला के क्षेत्र में एक जाना माना नाम बन चुकीं हैं और उनकी वेबसाइट अच्छी खासी कमाई भी करती है। लेकिन अपने जैसी और 1000 पाबी बेन बनाने के मकसद से ही वह शार्क टैंक इंडिया पर पहुंची थीं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया, "फंड से ज्यादा मुझे इस बात की खुशी है कि मैं अपनी कहानी शार्क टैंक के मंच के ज़रिए दुनिया के सामने रख पाई। इससे कई और महिलाओं को हिम्मत मिली होगी।"
आसान नहीं था, मजदूरी करने से लेकर फैशन ब्रांड बनाने तक का सफर
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दरअसल, पाबी बेन का परिवार सालों से भेड़-बकरी चराने का काम करता था। पांच साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने अपने पिता को खो दिया था, जिसके बाद पाबी बेन सहित उनकी तीन बहनों की ज़िम्मेदारी उनकी माँ के ऊपर आ गई थी।
उस कठिन समय में, पाबी बेन अपनी माँ के साथ मिलकर भेड़-बकरी चराने के साथ-साथ, कई और काम भी करने लगीं और पारम्परिक कच्छी कला का अभ्यास भी करती रहीं। शादी के बाद, जब उन्होंने देखा कि उनके जैसी कई महिलाएं इस कला में माहिर तो हैं, लेकिन खुद की पहचान नहीं बना पातीं। तब पाबी बेन ने आस-पास के संस्थानों में अपने बनाए प्रोडक्ट्स बेचना शुरू किया।
लेकिन जीवन का टर्निंग पॉइंट तब आया, जब वह कारीगर क्लिनिक नाम की एक सोशल एंटरप्राइस चलाने वाले नीलेश प्रियदर्शी से मिलीं। कारीगर क्लिनिक के ज़रिए, उन्हें खुद का ब्रांड बनाने का मौका मिला। अहमदाबाद की यह संस्था देशभर के कारीगरों के साथ काम कर रही है।
पाबीबेन ने साल 2016 में अपने खुद के ब्रांड 'पाबी बेन डॉट कॉम' की शुरुआत की, जिसके बाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की मदद से पूरे देश में उनके बनाए बैग्स, कपड़े और सजावटी सामान बिकने लगे। वहीं शार्क टैंक इंडिया पर पंहुचकर, पाबी बेन ने अपनी इस कहानी को सभी शार्क्स के सामने रखा और सबका दिल जीत लिया।
फ़िलहाल, वह अपने बिज़नेस के ज़रिए, 300 से ज्यादा महिलाओं को रोज़गार दे रही हैं। लेकिन उनका सपना है कि वह करीबन 1000 महिलाओं को एक नई पहचान दें।
आप पाबी बेन और उनकी साथी रबारी महिलाओं के बनाए प्रोडक्ट्स उनकी वेबसाइट से खरीद सकते हैं।
संपादनः अर्चना दुबे
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