यह कहानी है तीस साल के उस दंपति की, जो पांच साल पहले अमेरिका चले तो गए। लेकिन देश के मिट्टी की खुशबू और लगाव ने उन्हें 5 साल बाद वापस वतन बुला लिया। संदीप जोगीपारती और कविता गोपू, अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते थे। साल 2018 में, भारत आने के बाद कुछ महीने तक वे एक अमेरिकी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करते रहे। लेकिन उद्यमी बनने का विचार उनके मन में बना रहा।
संदीप ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। लेकिन मेरे मन में हमेशा अपना बिजनेस शुरु करने का विचार चलता रहा। मैं इस बारे में परिवार और दोस्तों के साथ बातें किया करता था। पांच साल तक अमेरिका में काम करने के बाद, मैंने इसके लिए काफी पैसा भी जोड़ लिया था।”
मीठे की चाहत से मिला बिजनेस आइडिया
उन्हें बिजनेस करना है ये तो काफी पहले से पता था, लेकिन किस चीज़ का बिजनेस करेंगे इसका कोई आइडिया नहीं थी। उनका मन था कि मिठाई से संबंधित कोई बिजनेस किया जाए। क्योंकि वे खुद मीठे के काफी शौकीन रहे हैं।
संदीप कहते हैं, “मुझे खाना खाने के बाद कुछ मीठा खाने की आदत है, खासकर लड्डू। मेरे घर में हमेशा एक मिठाई का डिब्बा मौजूद रहता है। लेकिन परिवार वाले मुझे अक्सर रिफाइंड चीनी से बनी चीजों से दूर रहने की सलाह देते थे। उनका कहना है कि इसके बजाय एक चम्मच गुड़ खा लो तो बेहतर रहेगा।” बस यहीं से उनके मन में हेल्दी लड्डू के बिजनेस का आइडिया आया।
फिर साल 2019 में, संदीप और कविता ‘लड्डू बॉक्स’ के साथ बाजार में उतरे। उनके इस बॉक्स में लड्डुओं की 11 वैरायटी हैं, जो गुड़, बाजरा, रागी, दाल आदि से बनाए जाते हैं। एक साल के अंदर उनके स्टार्टअप ने 55 लाख का कारोबार किया है। रोजाना कुछ मीठा खाने की चाहत को लेकर, संदीप का कहना है कि सिर्फ वही ऐसे नहीं हैं जो रिफाइंड शुगर को लेकर चिंतित हैं, उनके दोस्त, परिवार और आस-पास रहने वाले कई लोग एक ही समस्या का सामना कर रहे थे।
ऐसे शुरु हुआ लड्डु बॉक्स का सफर
संदीप बताते हैं, “मार्किट रिसर्च के दौरान मैंने, जिससे भी बात की, हर कोई मीठे का ऐसा विकल्प चाहता था, जो टेस्टी और हेल्दी दोनों हो। जब मैंने उन्हें गुड़ से बनी न्युट्री बार के बारे में बताया तो उन्होंने उसमें कोई रूचि नहीं दिखाई, लोग कुछ देशी चाहते थे।” संदीप आगे बताते हैं कि लड्डू हर किसी की पसंद था। क्योंकि इन्हें आसानी से खाया जा सकता है और ये टेस्टी भी होते हैं।
फिर संदीप और कविता ने परिवार में पीढ़ियों से चली आ रही मिठाइयों की रेसिपी पर काम करना शुरु कर दिया।
संदीप कहते हैं, “हमारे दादा-दादी पारिवारिक समारोह में मिठाइयां बनाने के लिए तरह-तरह की चीजों का इस्तेमाल किया करते थे। पहले हमें उनकी अहमियत नहीं पता थी। लेकिन अब लगता है कि हर चीज़ कितनी जरुरी है। मसलन, उड़द की दाल से बने लड्डुओं में आयरन कूट-कूट कर भरा होता है, वहीं अल्सी के लड्डू भी एनर्जी से भरपूर होते हैं।”
इस लड्डू में हैं कई गुण
संदीप और कविता साबुत अनाज, बाजरा, घी और गुड़ जैसी देशी चीजों से लड्डू बनाना चाहते थे और उन्होंने ऐसा किया भी। वे रसोई में तब तक इन रेसिपीज पर काम करते रहे, जब तक परफेक्ट हेल्दी लड्डू तैयार नहीं हो गए।
उन्होंने रागी, फॉक्सटेल और फिंगर बाजरे से 11 प्रकार के लड्डू बनाए। सभी तरह के बाजरे में भरपूर पोषण होता है। कोदो बाजरा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखता है, तो रागी बल्ड शुगर को नियंत्रित करता है। फॉक्सटेल बाजरा एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और याद्दाश्त बढ़ाता है। चूंकि ये लड्डू शुद्ध घी से बने होते हैं, इसलिए लंबे समय तक खराब होने का डर भी नहीं रहता। हर लड्डू की 21 दिनों की शेल्फ लाइफ है।
संदीप बताते हैं, “दिसंबर 2019 में, हमने अपनी नौकरी छोड़ दी और ‘लड्डू बॉक्स’ को मार्किट में लॉन्च कर दिया। हमने मेलों में लगने वाले स्टॉल और आईटी कंपनियों के जरिए लड्डू बॉक्स’ की बिक्री की। इन आयोजनों के अलावा हमें उन ग्राहकों से फिर से ढेर सारे ऑर्डर मिले जिन्हें लड्डू काफी पसंद आए थे।”
लॉकडाउन में भी नहीं मानी हार
हालांकि, मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण लड्डू बॉक्स को ब्रेक लेना पड़ा। इसके बाद, उन्होंने ऑनलाइन बिक्री का प्लान बनाया और एक वेबसाइट लॉन्च की। मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया हैंडल्स बनाए। संदीप कहते हैं, “जून 2020 में हमने ऑनलाइन बिक्री शुरू कर दी थी। ऑफलाइन से ज्यादा रेसपॉन्स हमें ऑनलाइन में मिला।
हमें देश के कई शहरों से, यहां तक कि यूके और यूएस से भी ऑर्डर मिल रहे हैं।” कंपनी को अब तक 6000 ऑर्डर्स मिल चुके हैं और 55 लाख की कमाई की है। 28 साल की अनुषा वुथालुरु, हैदराबाद में एक इंटीरियर डिजाइनर हैं और लड्डू बॉक्स की एक अहम ग्राहक भी हैं। वह अपनी सेहत को लेकर काफी सचेत रहती हैं। उनके अनुसार ये सबसे अच्छी मिठाई है, जिसे खाकर कोई ‘गिल्ट’ नहीं होता।
वह कहती हैं, “लड्डू बॉक्स के लड्डू, आम लड्डूओं की तरह ही स्वादिष्ट होते हैं। लेकिन इन्हें खाकर बुरा नहीं लगता, बल्कि कुछ अच्छा और हेल्दी खाने का अहसास होता है। जब भी मुझे थकान महसूस होती है, तो मैं एक लड्डू उठाती हूं, मुंह में रखती हूं और मिनटों में फिर से एक्टिव हो जाती हूं।”
सभी जरूरतों के लिए बस एक लड्डू
लड्डू का वजन 28 ग्राम से ज्यादा न हो, संदीप और कविता इसका खास ध्यान रखते हैं। जबकि मार्किट में मिलने वाला आम लड्डू 40 ग्राम से अधिक का होता हैं। इसका कारण बताते हुए कविता कहती हैं, “मिठाई की दुकान से खरीदे गए लड्डू को अक्सर एक बार में पूरा नहीं खा पाते और आधा खाकर डिब्बें में छोड़ दिया जाता है। ऐसा करने से बाकि के लड्डू खराब हो सकते हैं। इसलिए हमने तय किया कि हर लड्डू सही आकार का हो, ताकि अगर कोई व्यक्ति उसे दो बार में खाना चाहे, तो उसे दूसरी बार में ज्यादा न खाना पड़े।”
उनका तीन लड्डू वाला एक ‘ऑन द गो बॉक्स’ भी है। इस बॉक्स को आसानी से अपने बैग में रख कर कहीं भी घूमा जा सकता है। दिन में जब भी कुछ खाने का मन करे, तो बैग से हेल्दी स्नैक निकालें और खा लें।
वीगन लड्डू भी मिल जाएंगे
हाल ही में उन्होंने लड्डुओं की एक नई रेंज भी लॉन्च की है। इसमें फिटनेस फ्रीक के लिए प्रोटीनयुक्त लड्डू, महिलाओं के लिए आयरन से भरपूर लड्डू और बच्चों के लिए रागी के लड्डू शामिल हैं। वे वीगन लड्डू भी लेकर आए हैं, जिन्हें गुड़ और घी के बजाय खजूर से बनाया जाता है।
हेल्दी लड्डू ऑर्डर करने के लिए उनकी वेबसाइट पर जाएं और अधिक जानकारी के लिए उन्हें इंस्टाग्राम पर फॉलो करें।
मूल लेखः रोशनी मुथुकुमार
संपादनः अर्चाना दुबे
यह भी पढ़ेंः ढेर सारे पौधों का है शौक, पर आलसी हैं आप? तो मिलिए Lazy Gardener से!
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।