Site icon The Better India – Hindi

जब 501 रूपये में बिका भारत में बना पहला नमक का पैकेट!

प्रतीकात्मक तस्वीर

ज़ादी के संघर्ष में महात्मा गाँधी और उनके आंदोलनों के योगदान के बारे में अक्सर चर्चा होती है। सत्य, अहिंसा और जन-सेवा के आदर्शों पर आजीवन चलने वाले गाँधी जी के शांत और अहिंसात्मक अभियानों ने न सिर्फ़ पूरे भारत को एक किया, बल्कि ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाकर रख दी।

दांडी मार्च भी उनके इन्हीं महत्वपूर्ण आंदोलनों में से एक है। यह दांडी यात्रा उनके ‘सविनय अवज्ञा आन्दोलन’ का हिस्सा थी, जिसे इतिहास में ‘नमक सत्याग्रह’ के नाम से भी जाना जाता है!

‘नमक सत्याग्रह’

क्यों हुआ ‘नमक सत्याग्रह’?

‘नमक’ मानव जीवन के लिए ज़रूरी मुलभूत इकाइयों में से एक है, पर ब्रटिश साम्राज्य में इस नमक के लिए भी भारतीयों को भारी टैक्स देना पड़ता था। साथ ही, उन्हें खुद अपने ही देश में नमक बनाने की अनुमति नहीं थी। आम जनता की परेशानियों और मुश्किलों को देखते हुए, गाँधी जी ने कई बार सरकार से इस संदर्भ में चर्चा की।

यह भी पढ़ें: अतीत में भारतीय महिलाओं के योगदान को पहचान दिला रहा है जयपुर का इंडियन वीमेन हिस्ट्री म्यूजियम!

बहुत बार कई राजनेताओं और सेनानियों ने ब्रिटिश सरकार से उनकी दमनकारी नीतियों को खत्म कर, भारत में ‘नमक बनाने’ को कर-रहित कर देने के लिए कहा। पर ब्रिटिश सरकार टस से मस न हुई। ऐसे में और कोई रास्ता न देखते हुए, गाँधी जी ने इस अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने का फ़ैसला किया।

‘दांडी मार्च’ का उद्देश्य

भारत में नमक बनाने और उसे बेचने पर सिर्फ़ ब्रिटिश राज का अधिपत्य था। इसीलिए आम लोगों को इस अन्याय के खिलाफ़ जागरूक करने के लिए और ब्रिटिश राज के अत्याचारी कानूनों में बदलाव के उद्देश्य से गाँधी जी ने अपने कुछ अनुनायियों के साथ मिलकर अहिंसात्मक विद्रोह करने का निर्णय किया।

यह भी पढ़ें: विजय सिंह ‘पथिक’: वह क्रांतिकारी पत्रकार, जिनके किसान आंदोलन के आगे झुक गये थे अंग्रेज़!

‘दांडी मार्च’ की शुरुआत

योजना के अनुसार, वे अपने अनुयायियों के साथ अहमदाबाद में साबरमती आश्रम से पैदल चलते हुए दांडी तक जायेंगें और वहाँ घाट पर खुद ‘नमक बनाकर’ ब्रिटिश सरकार के जन-विरोधी कानूनों का उल्लंघन करेंगें। उनका मुख्य उद्देश्य, इस यात्रा के दौरान, गांवों और कस्बों से होते हुए, आम लोगों को जागरूक करना और साथ ही, भारतीयों को यह सन्देश देना था कि हर एक आम भारतीय ब्रिटिश साम्राज्य के दमन के विरुद्ध खड़ा हो सकता है।

यह भी पढ़ें: तिलका मांझी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला स्वतंत्रता सेनानी!

‘दांडी मार्च’ से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

1. 12 मार्च 1930 को 78 स्वयंसेवकों के साथ गाँधी जी ने साबरमती आश्रम से अपनी यात्रा शुरू की। सूरत, डिंडौरी, वांज, धमन और नवसारी से होते हुए, उनका कारवां दांडी तक पहुँचा। उनके कारवां में सबसे कम उम्र का सत्याग्रही, 16 वर्षीय विट्ठल लीलाधर ठक्कर थे और सबसे ज़्यादा उम्र के खुद गाँधी जी, जो उस समय 61 साल के थे।

2. इस मार्च को शुरू करने से लगभग 11 दिन पहले, 2 मार्च 1930 को गाँधी जी ने तत्कालीन लॉर्ड इरविन को पत्र लिखकर अपने इस अभियान की जानकारी दी और उन्हें वक़्त दिया कि वे अपने कानूनों में संशोधन करें और साथ ही लिखा कि यदि इसके बाद भी ब्रिटिश सरकार के मन में कोई परिवर्तन नहीं आता है, तो 11वें दिन, वे अपने साथियों के साथ इस अभियान का आगाज़ करेंगें।

यह भी पढ़ें: जब शिवाजी महाराज की सुरक्षा के लिए एक नाई ने दी अपने प्राणों की आहुति!

3. साबरमती से दांडी तक की 240 मील की दूरी को उन्होंने 24 दिनों में पूरा किया, 5 अप्रैल, 1930 को वे दांडी घाट पर पहुँचे। 6 अप्रैल 1930 की सुबह अपने साथियों के साथ मिलकर उन्होंने यहाँ ‘नमक’ बनाया और इस नमक को साथ में लेकर उन्होंने कहा,

“इसके साथ, मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला रहा हूँ।”

6 अप्रैल 1930 को गाँधी जी ने ‘नमक कानून‘ तोड़ते हुए नमक बनाया

इस मार्च की खबर जल्द ही पूरे भारत में फ़ैल गयी और अख़बारों ने गाँधी जी की छवि को एक ‘महात्मा’ के रूप में दर्शाया, जो पूरे देश का नेतृत्व कर रहा था।

4. उनके समर्थन में देश भर में जगह-जगह पर लोगों ने ‘नमक सत्याग्रह’ किये। इनमें सबसे प्रसिद्द सत्याग्रह महाराष्ट्र में हुआ, जिसे एक गृहणी कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने शुरू किया और बॉम्बे (अब मुंबई) में चौपाटी पर जाकर नमक कानून तोड़ा।

यह भी पढ़ें: ‘केसरी’ : लोकमान्य तिलक का वह हथियार, जिसने अंग्रेज़ों की नींद उड़ा दी थी!

ब्रिटिश पुलिस के लाठी चार्ज के बाद भी उन्होंने अपना आन्दोलन नहीं रोका और जल्द ही, हज़ारों आम गृहणियाँ उनके साथ मटके और कड़ाही लेकर जुड़ गयीं। आख़िरकार, कमलादेवी और उनकी साथी महिलाओं ने नमक बनाया और उनके द्वारा बनाए गये नमक का पहला पैकेट 501 रूपये में बिका। (स्त्रोत)

कमलादेवी चट्टोपाध्याय (बाएं), सरोजिनी नायडू (दायें) के साथ (स्त्रोत)

5. साबरमती से जो कारवां 78 साथियों के साथ शुरू हुआ था, वह दांडी पहुंचते-पहुंचते हज़ारों की संख्या में हो गया। लोगों ने गाँधी जी के समर्थन में चौराहों पर चरखा काता, तो बहुत से सरकारी कर्मचारियों ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

यह भी पढ़ें: सुरैया तैयबजी: राष्ट्रीय ध्वज के डिजाईन में इस महिला का था अहम योगदान!

6. हालांकि, अंग्रेजी सरकार ने इस आन्दोलन में गाँधी जी की गिरफ्तारी का नहीं सोचा था। पर जब उन्होंने देखा कि भारत के हर एक राज्य में लोग नमक कानून तोड़ रहे हैं, तो उन्होंने इसे रोकने के लिए गाँधी जी को गिरफ्तार किया। 4 मई 1930 में आधी रात को गाँधी जी की गिरफ्तारी हुई।

‘दांडी मार्च’ की याद में बना एक स्मारक

पर इस सत्याग्रह को रोकने के लिए अंग्रेजी सरकार के सभी मनसूबे नाकामयाब रहे। क्योंकि गाँधी जी के जेल जाने के पश्चात् सरोजिनी नायडू और विनोबा भावे जैसे नेताओं ने इस आंदोलन की कमान संभाल ली। यह आन्दोलन तब तक चलता रहा, जब तक कि एक साल बाद गाँधी जी को रिहा न किया गया।

इसके बाद ही, गाँधी जी और ब्रिटिश लॉर्ड इरविन के बीच ‘नमक कानून’ पर समझौता हुआ और इसे इतिहास में ‘गाँधी-इरविन पैक्ट’ के रूप में जाना जाता है।

यह भी पढ़ें: नेली सेनगुप्ता : एक ब्रिटिश महिला, जिसने आज़ादी की लड़ाई के दौरान घर-घर जाकर बेची थी खादी!

7. इस सत्याग्रह के दौरान लगभग 90, 000 सत्याग्रहियों को ब्रिटिश पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिनमें लगभग आधी संख्या महिलाओं की थी।

‘दांडी मार्च’ को समर्पित स्मारक

महात्मा गाँधी के इस आंदोलन को इतिहास की सबसे बड़ी जनक्रांतियों में से एक माना जाता है। इस क्रांति ने आम भारतीयों को एकजुट कर अंग्रेजों के विरुद्ध खड़ा कर दिया था।

यह भी पढ़ें: ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान: भारत रत्न पाने वाला गैर-हिंदुस्तानी, जिसकी हर सांस में भारत बसता था!

इस ऐतिहासिक घटना को सदैव याद रखने के लिए ही, सरकार ने दांडी में गाँधी जी और उनके 78 स्वयंसेवकों की प्रतिमा बनवाई हैं। इसके अलावा, इस दौरान हुई कई घटनाओं को भित्ती-चित्र के माध्यम से भी दर्शाया गया है।

कवर फोटो


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

Exit mobile version