सुरैया तैयबजी: राष्ट्रीय ध्वज के डिजाईन में इस महिला का था अहम योगदान!

एक अंग्रेज इतिहासकार ट्रेवर रोयेल ने अपनी किताब 'द लास्ट डेज़ ऑफ़ राज' में लिखा है कि भारत का अंतिम राष्ट्रीय ध्वज सुरैया तैयबजी ने बनाया था। साल 1919 में हैदराबाद (आंध्र प्रदेश, अब तेलंगाना की राजधानी) में जन्मीं सुरैया एक प्रतिष्ठित कलाकार थीं। उन्हें अक्सर समाज के प्रति अपने प्रगतिशील विचारों के लिए जाना जाता है।

ब भी हम अपने देश के तिरंगे को देखते हैं तो हमारा दिल शान, गर्व और देशभक्ति से भर जाता है। तिरंगा न सिर्फ़ हमारे देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की पहचान का प्रतीक है।

ज़्यादातर लोग जानते हैं, कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज ‘पिंगली वेंकैया’ ने डिजाईन किया था। पर बहुत कम लोगों को यह पता है कि आज जिस डिजाईन को भारत के तिरंगे के लिए इस्तेमाल किया जाता है, वह एक महिला स्वतंत्रता सेनानी ने बनाया था।

एक अंग्रेज़ इतिहासकार ट्रेवर रोयेल ने अपनी किताब ‘द लास्ट डेज़ ऑफ़ राज’ में लिखा है कि भारत का अंतिम राष्ट्रीय ध्वज सुरैया तैयबजी ने बनाया था।

साल 1919 में हैदराबाद (आंध्र प्रदेश, अब तेलंगाना की राजधानी) में जन्मी सुरैया एक प्रतिष्ठित कलाकार थीं। उन्हें अक्सर समाज के प्रति अपने प्रगतिशील विचारों के लिए जाना जाता है। उनकी शादी बदरुद्दीन तैयबजी से हुई, जो एक भारतीय सिविल अधिकारी थे और बाद में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति भी बने।

सुरैया संविधान सभा के तहत विभिन्न समितियों की सदस्य थीं और उनमें से कई में प्रमुख भूमिकाएँ निभा चुकी हैं। वे काफ़ी कलात्मक और बहु-प्रतिभाशाली थीं।

Suraiya Badruddin Tyabji
बदरुद्दीन और सुरैया तैयबजी

सुरैया से पहले भी बहुत से लोगों ने समय-समय पर ध्वज के डिजाईन दिए थे। इन लोगों में भगिनी निवेदिता, मैडम कामा, एनी बेसेंट, लोकमान्य तिलक और पिंगली वेंकैया जैसे नाम शामिल हैं।

साल 1921 में पहली बार महात्मा गाँधी ने कांग्रेस के सम्मेलन में अपना एक ध्वज बनाने की बात उठाई थी। उसके बाद ही फ़ैसला हुआ कि भारत का अपना एक झंडा, एक ध्वज होगा, जो कि भारत का एक राष्ट्र के तौर पर प्रतिनिधित्व करेगा। उन्होंने कहा,

“यह हम सब भारतीयों (हिन्दू, मुस्लिम, इसाई, यहूदी, पारसी, और वो सभी लोग जिनके लिए भारत उनका घर है) के लिए बहुत जरूरी है कि हमारा अपना एक ध्वज हो, जिसके लिए हम जिए और मर सकें।”

गाँधी जी के इस विचार से प्रभावित होकर बहुत से सेनानी और क्रांतिकारियों ने ध्वज के लिए डिजाईन विकल्प के तौर पर दिए। इनमें से गाँधी जी ने एक झंडे को स्वीकृति दी। इस झंडे को डिजाईन किया था आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने।

इस झंडे में दो रंग- लाल और हरा का इस्तेमाल हुआ था। हालांकि, गाँधी जी के सुझाव पर इसमें सफ़ेद रंग भी जोड़ा गया और साथ ही, चरखे का चिह्न भी इस्तेमाल हुआ।

Suraiya Badruddin Tyabji
पिंगली वेंकैया द्वारा समय-समय पर बनाये गये डिजाईन

हालांकि, बाद के वर्षों में इस में और भी बदलाव हुए। और आखिर में, जो तीन रंग का ध्वज जवाहर लाल नेहरु की कार पर लगाया गया, वह सुरैया ने बनाया था। द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बदरुद्दीन और सुरैया ने ही ध्वज में चरखे की जगह अशोक चक्र के चिह्न को इस्तेमाल करने का सुझाव दिया था। सुरैया ने ही इस ध्वज का ग्राफिक खाका तैयार किया।

यहाँ तक कि पहला तिरंगा सुरैया ने खुद अपनी देख-रेख में दर्जी से सिलवाया था और इस तिरंगे को नेहरु जी को भेंट किया गया। पहली बार प्रधानमंत्री की कार पर जो तिरंगा लहरा, वह सुरैया ने दिया था।

15 अगस्त 1947 को जब पहली बार जन-मानस के सामने तिरंगा फहराया गया

इस ध्वज को 22 जुलाई 1947 को मंजूरी मिली। हालांकि, उस समय संविधान सभा में  राष्ट्रीय ध्वज को लेकर जो प्रस्ताव पारित हुआ था, उसमें ना तो पिंगली वेंकैया के नाम का उल्लेख था और ना ही सुरैया तैयबजी का। सुरैया और उनके पति ने भी कभी यह दावा नहीं किया कि राष्ट्रीय ध्वज उन्होंने बनाया है। वे इस बात का पूरा सम्मान करते थे कि तिरंगे की मूल नींव वेंकैया ने रखी थी।

इसलिए आज भी ध्वज के निर्माणकर्ता के नाम पर संशय रहता है। लेकिन इस बात को कोई नहीं नकार सकता कि ये सुरैया का ध्वज को अंतिम रूप देने में कोई योगदान नहीं था।

पर भारत की और भी बहुत-सी महान महिलाओं की तरह इतिहास में सुरैया तैयबजी को भी कोई खास स्थान नहीं मिला। जबकि, कहीं न कहीं सुरैया एक कारण है कि आज केसरिया, सफ़ेद और हरा रंग हमें देशभक्ति की भावना से भर देता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम भारत की इस बेटी को सम्मान और सराहना से नवाज़ें।

कवर फोटो


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X