प्रतीकात्मक तस्वीर
उत्तर-प्रदेश पुलिस ने एक आदमी को अपनी चार साल की बेटी को बेचने से रोका। दरअसल, कन्नौज निवासी अरविन्द बंजारा ने अपनी पत्नी सुखदेवी को जिला अस्पताल में भर्ती करवाया, जो कि सात महीने गर्भवती हैं। लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसे इलाज़ के लिए खून का इंतजाम करने के लिए कहा।
इस दम्पत्ति की एक चार साल की बेटी रौशनी और एक साल का बेटा जानू है।
जब इलाज़ के लिए पैसे का कहीं से भी बंदोबस्त नहीं हुआ तो अरविन्द ने अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए अपनी बेटी को 25, 000 रूपये में बेचने का फैसला किया।
सुखदेवी ने कहा, "किसी के लिए भी अपने बच्चे को बेचना आसान नहीं। पर हमारे पास और कोई रास्ता नहीं था। हमने कई अस्पतालों के चक्कर काटे।"
लेकिन इस बात की जानकारी स्थानीय लोगों ने पुलिस को दे दी। तिर्वा पुलिस स्टेशन के पुलिस अफ़सर अमोद कुमार सिंह ने कहा, "हमें लोगों से पता चला कि एक दम्पति को इलाज के लिए पैसों की जरूरत है। हमें यह भी पता चला कि वे इसके लिए अपने बच्चे को भी बेच रहे हैं। हमने छानबीन की तो पता चला कि औरत को अत्यधिक ब्लीडिंग के चलते तुरंत इलाज की जरूरत है।"
पुलिस ने समय पर पहुंच कर सुखदेवी को अस्पताल में भर्ती करवाया और साथ ही इलाज में आर्थिक रूप से मदद करने का भी आश्वासन दिया है।
उत्तर-प्रदेश पुलिस ने जो किया वह सराहनीय है। लेकिन समस्या केवल इतने से खत्म नहीं होगी, जब तक देश में रोजगार के अच्छे विकल्प और परिवार नियोजन के क्षेत्र में काम नहीं होगा, इस तरह की समस्याएं सामने आती रहेंगी। हम उम्मीद करते हैं कि जब भी कोई नागरिक इस तरह की घटना होते देखे तो अवश्य मदद के लिए आगे आए।
संपादन - मानबी कटोच