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#KBC में 6.40 लाख रूपये जीतने वाले दविंदर सिंह 5 रूपये में खिलाते हैं जरुरतमंदों को भरपेट खाना!

गुरूवार को कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर बैठने वाले इंजीनियर सरदार दविंदर सिंह ने 6.40 लाख रूपये की धनराशि जीती है। फरीदाबाद के रहनेवाले दविंदर महज 5 रुपये में लोगों का पेट भर रहे हैं। वे हर शनिवार को सेक्टर-28 के मेट्रो स्टेशन पर इनोवा गाड़ी में 'आप की रसोई' चलाते हैं।

गुरूवार को कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर बैठने वाले इंजीनियर सरदार दविंदर सिंह के चर्चे पूरे देश भर में हो रहे हैं। वैसे तो उन्होंने केवल 6.40 लाख रूपये की ही धनराशि जीती है, लेकिन एक और बात है जिसकी वजह से फरीदाबाद के रहनेवाले दविंदर से मिलने के लिए दूर-दराज़ से लोग आ रहे हैं।

दरअसल, दविंदर सिंह महज 5 रुपये में लोगों को भरपेट खाना खिलाते हैं। वे हर शनिवार को फरीदाबाद के सेक्टर-28 के मेट्रो स्टेशन पर इनोवा गाड़ी में ‘आप की रसोई’ चलाते हैं। लोगों से पांच रुपये भी इसलिए लेते हैं, ताकि कोई मुफ्त में खाना लेने से हिचकिचाएं नहीं।

केबीसी में दविंदर ने जब इस अनोखी रसोई के बारे में अमिताभ बच्चन को बताया तो वे भी सुनकर काफी प्रभावित हुए। दविंदर का कहना है कि गुरुद्वारों में बड़े-बुजुर्गों को सेवा करते देख बचपन से ही उन्हें सीख मिली कि जरूरतमंद को भरपेट खाना खिलाओ।

केबीसी के दौरान दविंदर/ अपने परिवार के साथ लोगों को खाना खिलाते हुए

यह पहली बार नहीं है कि दविंदर ने ऐसा नेक काम किया है! 2006 में वे इन्फोसिस, पुणे में काम कर रहे थे! तब वहां के हिंजेवाड़ी फाउंडेशन के बैनर तले वे ‘सरस्वती अनाथालय शिक्षण’ नाम के एक आश्रम में खाना लेकर जाते थे। दिल्ली में भूख से दो बच्चों की मौत की खबर ने उन्हें झकझोर दिया था। उन्हें लगा कि देश की राजधानी में इस तरह भूख से तड़पकर दम तोड़ते बच्चे वाकई चिंता का विषय है।

इसके बाद दविंदर ने फैसला किया कि उनसे जितना हो पायेगा, वे लोगों का पेट भरेंगें। उनकी इस पहल में उनके परिवार ने उनका भरपूर साथ दिया।

और अब सप्ताह में एक दिन, उनका परिवार शहर में बाहर निकलकर जरुरतमंदों को खाना ज़रुर खिलाता है।

केबीसी के ज़रिए मशहूर हुई ‘आप की रसोई’ के साथ अब हर कोई जुड़ना चाहता है। दविंदर के मुताबिक, उनके पास लगातार फोन आ रहे हैं। और अब हो सकता है कि और भी नेक लोगों की मदद से ‘आप की रसोई’ सप्ताह में केवल एक दिन नहीं बल्कि पुरे सात दिन लोगों का पेट भरे।

संपादन – मानबी कटोच


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