कपड़े, जूते, बैग समेत 80 फैशनेबल प्रोडक्ट्स बनाकर स्वावलंबी बन रही हैं झारखंड की ग्रामीण बालाएं!

सारवां प्रखंड के बिशनपुर, दानीपुर, कल्हौर व बनवरिया गांव की 37 लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए छह महीने का मुफ्त प्रशिक्षण दिया गया। 

झारखंड के देवघर स्थित एनजीओ ‘नीड्स’ यहां के ग्रामीण इलाकों में सामाजिक सुधार लाने के लिए कई अभियान चला रहा है। अपने अभियानों में उनका एक मुख्य उद्देश्य यहां के गांवों की लड़कियों को स्वावलंबी बनाना और यहां फैली बाल-विवाह की कुप्रथा को ख़त्म करना है। इनके इस नेक काम का असर देवघर से 25 किमी दूर सारवां प्रखंड के मधुवाडीह गांव की लड़कियों के जीवन पर दिख रहा है।

‘नीड्स’ के सहयोग से गांव की लड़कियां, आज के फैशन की नब्ज पकड़ चुकी हैं। वे आज आकर्षक कपड़े, डिज़ाइनर बैग, रंग-बिरंगी चूड़ियां, क्विलिंग पेपर इयररिंग आदि बना रही हैं। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, मधुवाडीह स्थित प्रशिक्षण केंद्र में इन लड़कियों को प्रशिक्षण मिलता है। उसकी बदौलत वे केंद्र में 80 प्रकार के उत्पाद बना रहीं हैं।

इसके अलावा उन्होंने कांवड़ियों के लिए बोल बम ड्रेस के साथ कपड़े के जूते व चप्पल भी बनाये हैं। हाल में झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी इन बेटियों की कला की सराहना की थी। अब गांव की लड़कियों को सैनेटरी नैपकिन बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दो-तीन महीने में उसका भी उत्पादन होने लगेगा।

‘नीड्स’ का प्रशिक्षण केंद्र पिछले साल सितंबर में शुरू हुआ। ऊषा कंपनी के सहयोग से सारवां प्रखंड के बिशनपुर, दानीपुर, कल्हौर व बनवरिया गांव की 37 लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए छह महीने का मुफ्त प्रशिक्षण दिया गया।

इस सभी सामान के उत्पादन के लिए चीजें ‘नीड्स’ एनजीओ की तरफ़ से उपलब्ध करवाया गया। ऊषा कंपनी की प्रशिक्षक राजकुमारी का कहना है कि इन लड़कियों की बनाई वस्तुओं की काफी मांग है। आने वाले समय में इनकी बनाई सामग्री बाज़ार में छा जाएगी।

‘नीड्स’ ने इन लड़कियों के लिए कंप्यूटर लैब भी शुरू की है, जहां इन लड़कियों को बेसिक कंप्यूटर सिखाया जायेगा। अभी 15 से 18 वर्ष की उम्र की लड़कियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं।


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