Placeholder canvas

राजस्थान के एक सरकारी शिक्षक की तस्वीर हो रही है ट्विटर पर वायरल, जानिए क्यों!

राजस्थान के एक सरकारी स्कूल के एक दिव्यांग शिक्षक संजय सेन की अपने छात्रों के पढ़ाते हुए एक तस्वीर ट्विटर पर वायरल हो रही है। संजय सेन साल 2009 से शिक्षा संबल परियोजना के तहत राज्य के सरकारी स्कूल में काम कर रहे हैं। 

पिछले हफ्ते ही शिक्षक दिवस के मौके पर हमने आपको ऐसे कुछ शिक्षकों से रूबरू करवाया था, जिन्होंने सबकी सोच से परे जाकर शिक्षक शब्द को सार्थक किया है। ऐसे शिक्षक जो कभी नदी पार करके अपने छात्रों को पढ़ाने स्कूल जाते हैं तो कोई अपनी साइकिल पर यात्रा करता है ताकि जरुरतमंदो को पढ़ा सकें।

यह कहानी भी ऐसे एक शिक्षक के बारे में है जिसका सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का जुनून इंटरनेट पर लोगों का दिल जीत रहा है।

संजीब घोष द्वारा पोस्ट किए गए एक ट्वीट में राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले एक शिक्षक संजय सेन अपने छात्रों को पढ़ा रहे हैं। इसमें कुछ असाधारण नहीं है, है ना? लेकिन जब तक आप तस्वीर नहीं देखते हैं सिर्फ तब तक!

इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि कैसे यह दिव्यांग शिक्षक अपने निर्जीव पैरों को मोड़कर बैठा हुआ है और वाइटबॉर्ड पर कुछ लिख कर अपने छात्रों को पढ़ा रहा है।

ट्वीट के मुताबिक, संजय सेन साल 2009 से शिक्षा संबल परियोजना के तहत राज्य के सरकारी स्कूल में काम कर रहे हैं।

इन ग्रामीण विद्यालयों में छात्र या तो कक्षा 10 के बाद स्कूल छोड़ देते हैं या असफल हो जाते हैं क्योंकि वे अंग्रेजी, विज्ञान और गणित (एसईएम) जैसे विषयों को पढ़ने में काफी संघर्ष करते हैं। जिसका कारण है इन स्कूलों में इन विषयों के शिक्षकों की भारी कमी। शिक्षा संबल परियोजना का लक्ष्य इन चुनौतियों का समाधान करना है।

राजस्थान सरकार के सहयोग से हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) की सीएसआर परियोजना राज्य के अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और उदयपुर के जिलों में स्थित 55 सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12 वीं कक्षा तक 7,000 छात्रों तक पहुंच रही है।

2,035 बार रीट्वीट और 4,312 बार पसंद किये जाने वाले इस वायरल पोस्ट पर लोगों ने कुछ इस प्रकार प्रतिक्रिया दीं, “अपको दिल से प्रणाम गुरु जी,” एक व्यक्ति ने लिखा

जबकि एक और ने ट्वीट किया, “मैं न केवल इनके समर्पण को सलाम करूंगा, बल्कि मैं उनके परिवार के सदस्यों, दोस्तों और उनके साथ रहने वाले सभी को सलाम करूंगा, जिन्होंने उन्हें आशा, मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास दिया पूर्ण सम्मान के साथ जीवन जीने का।”

एक और व्यक्ति ने इस शिक्षक के समर्पण की सराहना की और ऐसे ही एक और शिक्षक का समान उदाहरण साझा किया।

“महान। भगवान इस आदमी के साथ रहे। मैं एक ऐसा उदाहरण भी साझा कर रहा हूं, जहां शिक्षक चल नहीं सकता है, और उसे मुंह के कैंसर से भी लड़ना पड़ा है लेकिन एमपी में एक छोटे से शहर कानवान में शिक्षा सुधारने के लिए निरंतर काम कर रहा है। एक बेहतर कल के लिए शिक्षा और एक बदलाव लाने की एक सच्ची भावना!”

हम संजय सेन जैसे शिक्षकों को सलाम करते हैं जो साबित करते रहते हैं कि पढ़ाना सिर्फ पेशा ही नहीं बल्कि एक जूनून है!

मूल लेख: जोविटा अरान्हा


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखे, या Facebook और Twitter पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर भेज सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

X