उड़ीसा में हाल ही में रथ यात्रा के बाद बाहुड़ा यात्रा का महोत्सव मनाया गया है। यह हिन्दू धर्म के वार्षिकोत्सव हैं, जो हर साल आषाढ़ के महीने में मनाये जाते हैं।
लेकिन इस महोत्सव के बाद उड़ीसा के बारीपाड़ा में जो हुआ, वह चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, बाहुड़ा यात्रा के बाद सोमवार को हिन्दू और मुस्लिम, दोनों समुदाय के लोगों ने मिलकर साफ़-सफाई की।
स्थानीय स्वयंसेवकों का एक समूह आगे आया और उन्होंने गली-सडकों को साफ करना शुरू किया। उन्होंने कहा कि साफ़-सफाई का किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।
एक स्वयंसेवक ने एएनआई को बताया, "स्वच्छता का कोई धर्म नहीं है। इसलिए हम सभी ने साथ आकर इस काम में मदद की। हम खुशकिस्मत हैं कि हमें यह मौका मिला।"
वही एक और स्वयंसेवक ने कहा, "हम देश के लोगों के लिए एक उदाहरण देना चाहते हैं। हमें स्वास्थ्य रहने के लिए अपने शहरों को साफ़ रखना चाहिए।"
रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ को उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा के साथ जगन्नाथ मंदिर से रथ में गुंडीचा मंदिर में ले जाया जाता है। जहां पर उन्हें 9 दिन रखा जाता है। इसके बाद इन्हें जगन्नाथ वापिस लाया जाता है। भगवान के घर वापिस आने की यात्रा को बाहुड़ा यात्रा कहते हैं।
द बेटर इंडिया इन लोगों के इस कार्य की सराहना करता है। यक़ीनन, बहुत से लोगों को इससे प्रेरणा ले कर स्वच्छता के महत्व को समझना चाहिए।
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