हम और आप जिन सब्जियों को सेहतमंद समझकर खा रहे हैं, क्या वे सच में हमारे स्वास्थ्य के लिए सही हैं? शायद नहीं। केमिकल का इस्तेमाल करके उगाई गईं ये फल-सब्जियां, हमारे लिए बेहद खतरनाक हैं। लेकिन सब जानते हुए भी हम सभी ख़ुशी-ख़ुशी ये सब्जियां अपने परिवारवालों को खिला रहे हैं। अब आप कहेंगे कि शहर में कम जगह और कम समय में हम खुद की सब्जियां कैसे उगाएं?
ऐसा ही सोचकर ज्यादातर लोग कोशिश करने से पहले ही पीछे हट जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी माँ से मिलावाने वाले हैं। जिन्होंने कई छोटी-छोटी चुनौतियों का सामना करने का फैसला किया और आज वह अपने परिवार के लिए घर पर ही ऑर्गेनिक तरीके से मौसमी सब्जियां उगा रही हैं।
सूरत में रहनेवाली कोमल सिरोहिया ने जब दस साल पहले गार्डनिंग करने का फैसला किया था, तब उनके पास पौधे लगाने की कोई जानकारी नहीं थी। इतना ही नहीं, तब वह चार मंजिला अपार्टमेंट में रहती थीं। उनके पास बालकनी या खुद की छत भी नहीं थीं। बावजूद इसके उन्होंने कुछ चार फूलों के पौधों से शुरुआत की और आज वह 300 पौधों की देखभाल कर रही हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, “चूँकि छत पर मेरे अकेले का अधिकार नहीं था, इसलिए मैं शुरू में थोड़ा हिचकिचा रही थी। शुरुआत में कुछ लोगों ने मना भी किया, लेकिन जैसे-जैसे पौधे बढ़ने लगे और छत पर हरियाली छाने लगी सभी खुश हो गए।”
हालांकि कोमल सबसे ऊपर चौथी मज़िल पर रहती थीं, इसलिए उनके दिमाग में छत पर पौधे उगाने का ख्याल आया। बिना लिफ्ट वाले उनके अपार्टमेंट में छत तक मिट्टी, कम्पोस्ट आदि वह खुद ही लेकर आतीं थीं और इस तरह वह पौधे उगाने लगीं।
डर की वजह से सीखी बागवानी
जब उन्होंने बागवानी शुरू की थी, तब उन्हें पेड़-पौधों की कुछ खास जानकारी नहीं थी। हालांकि उनके दादाजी सालों पहले खेती किया करते थे। लेकिन उनके पिता ने कभी खेती नहीं की थी। वह हर रोज़ समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल्स पर खेती में उपयोग होनेवाले केमिकल के बारे में पढ़ती और देखती रहती थीं, तब उनके दोनों बच्चे काफी छोटे थे। उन्होंने डर की वजह से अपने बच्चों के लिए घर पर सब्जियां उगाने का मन बनाया।
उन्होंने बताया कि कुछ चार फूलों के पौधे वह पास की नर्सरी से लेकर आई थीं। जिसके बाद यूट्यूब से देखकर उन्होंने कुछ पत्तेदार सब्जियां भी उगाईं।
वह कहती हैं, “यूट्यूब से मिली जानकारियां कभी-कभी आधी-अधूरी होती हैं। मैंने यूट्यूब से देखकर कम्पोस्ट बनाने और कुछ बीजों को लगाने का प्रयास किया था, लेकिन मुझे ज्यादा सफलता नहीं मिली।”
बाद में उन्होंने सूरत कृषि यूनिवर्सिटी में टेरेस गार्डनिंग के कोर्स का पता चला। उन्होंने बताया कि यह कोर्स उनके लिए लॉटरी लगने जैसा था। यहां से उन्हें न सिर्फ सही तरिके से बागवानी करने की जानकारी मिली, बल्कि कोर्स के बाद उनका एक बढ़िया गार्डनिंग ग्रुप भी बन गया।
ग्रो बैग में उगाती हैं 10 तरह के फल
चूँकि वह छत पर गार्डनिंग करती हैं, इसलिए उन्हें कई छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। छत पर पड़ने वाले वजन और पानी की लीकेज को ध्यान में रखते हुए, वह ज्यादा से ज्यादा ग्रो बैग का इस्तेमाल करती हैं। कोमल, फ़िलहाल ड्रैगन फ्रूट की दो किस्में, अमरुद, अनानास की दो किस्में और मलबेरी, चेरी, सीताफल, नारियल और अनार जैसे फल उगा रही हैं। वहीं, सब्जियों में वह पालक, मेथी, लेटस, फूलगोभी, तुरई, भिंडी आदि सालों से नियमित रूप से उगा रही हैं। वह कहती हैं, “ग्रो बैग में उगाने का एक और कारण यह भी है कि मैं भाड़े के घर में रहती हूँ। एक महीने पहले ही मैंने घर बदला और पौधे ग्रो बैग में होने के कारण शिफ्टिंग में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।”
कोमल के नए घर की छत में भी तकरीबन 2000 स्क्वायर फ़ीट जगह है। उन्होंने बड़ी मुश्किलों के बाद अपने लिए ऐसा घर ढूंढा, जहां उन्हें गार्डेनिंग के लिए जगह मिल पाए।
घर की फल-सब्जियां खाकर बढ़ी बच्चों की इम्यूनिटी
फ़िलहाल कोरोनाकल में कई लोगों ने गार्डनिंग करना शुरू किया है। ताकि वह सेहदमंद खाना खा सकें। ऐसे में कोमल का मानना है कि घर की ऑर्गेनिक सब्जियां खाने से मेरे बच्चों की इम्यूनिटी काफी अच्छी हो गई है। चूँकि बचपन से उनके बच्चे घर में उगी सब्जियां खा रहे हैं, इसलिए उन्हें अब बाहर की सब्जियों का स्वाद भी नहीं पसंद आता। कोमल ने बताया, “घर में उगी पालक या मेथी जैसी सब्जियां बच्चे आराम से खाते हैं। लेकिन बाहर से लाई पालक का स्वाद उन्हें पसंद नहीं आता। ऐसा ही ड्रैगन फ्रूट के साथ भी हैं।”
घर में उगी सब्जियां खाने के अलावा उनके बच्चे, गार्डनिंग में उनका पूरा-पूरा साथ भी देते हैं। फल-सब्जियों के साथ वह गिलोय, तुलसी, एलोवेरा, ब्राह्मी जैसे औषधीय पौधे भी उगाती हैं। जिसे वह बच्चो की छोटी-मोटी बिमारियों के उपचार में भी उपयोग करती हैं।
पिछले कुछ सालों में उन्होंने अपने अनुभवों से पेड़-पौधों के बारे में अच्छी जानकारी हासिल कर ली है। उनके कई दोस्त और रिश्तेदार विशेष रूप से उनके गार्डन में उगी सब्जियां खाने के लिए आते हैं। वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को घर पर छोटा गार्डन बनाने को कहती हैं और इसके लिए उनकी मदद भी करती हैं।
आशा है कोमल की गार्डनिंग के प्रति रूचि देखकर आपको भी उनसे प्रेरणा जरूर मिली होगी।
हैप्पी गार्डनिंग!
संपादनः अर्चना दुबे
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