महाराष्ट्र: 7 किमी के घने जंगल को पैदल पार कर स्कूल जाने वाली निकिता को मिली इलेक्ट्रिक-साइकिल!

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में रहने वाली एक नौवीं कक्षा की छात्रा, निकिता कृष्णा मोरे को अपने स्कूल जाने के लिए हर रोज़ 7 किलोमीटर लम्बा जंगल पार करना पड़ता है। उनकी इस परेशानी के बारे में पढ़कर पुणे के एक बिज़नेसमैन ने उन्हें साइकिल गिफ्ट की है। अब निकिता सुरक्षित और जल्दी स्कूल जा सकती हैं।

Girl Walks

हाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में रहने वाली एक नौवीं कक्षा की छात्रा, निकिता कृष्णा मोरे को अपने स्कूल जाने के लिए हर रोज़ 7 किलोमीटर लम्बा जंगल पार करना पड़ता है। उसका स्कूल पलछिल गांव में पड़ता है और घर मोरेवाडी गांव में है। दोनों गाँवों के बीच का यह घना जंगल भी इस छात्रा के हौंसलों को डिगा नहीं पाता है।

निकिता को हर रोज़ स्कूल जाने-आने में लगभग 14 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इससे उनका काफ़ी समय भी जाता था और वह बहुत थक भी जाती थी। इसके आलावा, जंगल में से गुजरते वक़्त कोई अनहोनी होने की आशंका भी बराबर रहती थी।

पर अब निकिता की यह परेशानी खत्म हो चुकी है। दरअसल, कुछ समय पहले ही निकिता के बारे में कई अख़बारों में न्यूज़-रिपोर्ट आई थी। यह खबर पढ़कर और निकिता का पढ़ाई के प्रति लगाव और हौंसला देखकर, पुणे के एक बिज़नेसमैन ने उन्हें एक इलेक्ट्रिक-साइकिल गिफ्ट की है।

यह ई-साइकिल निबे मोटर्स की है और इसे 2 घंटे में पूरा चार्ज किया जा सकता है। यह साइकिल 25 किमी/घंटे की गति से 100 किलोमीटर तक चल सकती है। यह यूजर-फ्रेंडली साइकिल है, अगर इसे चार्ज ना भी किया जाये तो आप इसे नॉन-इलेक्ट्रिक यानी कि एक आम साइकिल के जैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।

इस साइकिल की चाबी निकिता को सिटी कॉर्पोरेशन के एमडी अनिरुद्ध देशपांडे ने सौंपी। इस मौके पर निकिता की माँ और उनके स्कूल की प्रिंसिपल भी मौजूद थीं। निकिता, 'स्वर्गीय शांताराम शंकर जाधव न्यू इंग्लिश स्कूल' की छात्रा हैं और आगे चलकर डॉक्टर बनने का सपना देखती हैं।

अब इस साइकिल ने उनके सपनों को नई उड़ान दी है। निकिता ने कहा, "पहले मुझे स्कूल के टाइम से दो घंटे पहले घर से निकलना पड़ता था ताकि मैं स्कूल वक़्त पर पहुँच जाऊं। कई बार मैंने जंगल के रास्ते में भालू, सांप भी देखे। पर जब भी मुझे डर लगता तो साथ में, मेरी पढ़ाई और स्कूल का ख्याल भी आता था। इसलिए मैंने कभी भी स्कूल जाना नहीं छोड़ा।"

इस साइकिल की मदद से निकिता न सिर्फ़ सुरक्षित स्कूल जा सकती हैं, बल्कि अब उनका काफ़ी वक़्त भी बचेगा।

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