भारत के इतिहास में 1 नवंबर का बहुत महत्व है। यह वह तारीख है जिस दिन वर्षों पहले देश के विभिन्न राज्यों का भाषा के आधार पर पुनर्गठन करने का फैसला लिया गया था। साल 1956 से लेकर साल 2000 तक इसी दिन भारत के छह अलग-अलग राज्यों का जन्म हुआ।
पश्चिम बंगाल को अगर 'नदियों की धरती' कहा जाए तो गलत नही होगा। यहाँ का मछुआरा समुदाय कभी धन-धान्य से भरपूर हुआ करता था। कोलकाता के कंकुर्गाछी में अंबेडकर भवन में स्थित 'बोट म्यूजियम' को शायद इसी विरासत के सम्मान में बनाया गया है।
इस स्वतंत्रता दिवस पर ब्रिटिश पुलिस ने भारत को 57 साल पहले बिहार के नालंदा म्यूजियम से चोरी हुई 12वीं शताब्दी की एक मूर्ति सम्मान सहित लौटाई है। दरअसल, यह कांसे से बनी मूर्ति भारत के नालंदा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संग्रहालय से 1961 में चोरी की गई 14 मूर्तियों में से एक है।
भारत हमेशा से संस्कृति और परंपरा में समृद्ध रहा है, और खेल, हमेशा से ही भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहें हैं। तो क्यों न आज प्ले स्टेशन और वीडियो गेम के जमाने में फिर से हमारे खो-खो, पोशम्पा, किट्ठु, पिट्ठू जैसे खेलों को याद किया जाये।
विदेशी मूल के ये भारतीय शास्त्रीय संगीतकार देश की संगीत विरासत को समृद्ध करने में एक अद्वितीय भूमिका निभा रहे हैं। चोंग शिउ सेन, सास्किया राव-डी हास, शंकर टकर आदि कुछ ऐसे विदेशी कलाकार हैं जिन्होंने दिखाया, कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुन्दरता और समृद्धि की कोई सीमा नहीं।
बासमती और जैस्मिन चावल के गुणगान तो सबने सुने हैं पर इन दोनों से भी अलग चावल की सात पारम्परिक किस्में होती हैं, जिन्हें बनाने बैठे तो उनकी खुशबु ही मुंह में पानी ला दे। इन अलग-अलग तरह के चावलों को खोजना जरा मुश्किल है क्योंकि एक केरल में होता है तो दूसरा मणिपुर की पहाड़ियों में मिलेगा।