साल 2005 की बात है! डॉ. यादव, मुंशी प्रेमचंद पर आधारित एक क्लास ले रहे थे। प्रेमचंद के घर को संरक्षित करने के लिए विद्यार्थीयों का उत्साह देखकर डॉ. यादव बहुत प्रभावित हुये और इस बारे में उन्होंने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात की।
डॉ. विनय कुमार यादव 18 सालो से बिशप कॉटन वूमेन्स क्रिस्चियन कॉलेज, बंगलुरु में हिंदी पढ़ाते है और स्कूल में हिंदी विभाग के प्रमुख है। उन्हें वो दिन याद है जब वे मुंशी प्रेमचंद के बारे में पढ़ा रहे थे, जिससे सभी छात्रों के दिल और दिमाग पर पर गहरी छाप पड़ी।
डॉ यादव कहते है
“कभी-कभी क्लास के सभी विद्यार्थी होशियार और उत्साहित होते है। सन 2005-2006 में मुझे यूनिवर्सिटी के कुछ विद्यार्थीयो को पढ़ाने का मौका मिला। एक विषय का असर इस तरह से हुआ कि सभी विद्यार्थीयो की सोच बदल गयी और साहित्य जगत में बड़ा बदलाव हुआ।“
डॉ यादव को प्रख्यात हिंदी लेखक मुंशी प्रेमचंद की लिखी हुई सभी किताबे पसंद है। एक दिन वे ‘लाम्ही- मुंशी प्रेमचंद का गाँव’ इस विषय पर पढ़ा रहे थे। उस लेख में लाम्ही, उत्तर प्रदेश के एक गाँव, जहा मुंशी प्रेमचंद रहते थे, की तुलना लन्दन स्थित विलिअम शेक्सपीअर के घर के साथ की गयी है।
डॉ. यादव कहते कि लेखक के अनुसार शेक्सपीअर का घर ब्रितानियों ने अच्छी तरह से रखा है पर प्रेमचंद के घर की स्थिति बड़ी दयनीय है! इस बात से वो परेशान हुये।
इससे प्रभावित होकर सभी विद्यार्थीयों ने मुंशी प्रेमचंद के घर को संरक्षित करने का सुझाव दिया।

डॉ. यादव छात्रों के इस उत्साह से बहुत खुश हुये। उन्होंने विद्यार्थीयो से कहा कि वे सब हस्ताक्षर अभियान शुरू करें और सभी छात्रों और शिक्षको से हस्ताक्षर करने के लिये अनुरोध करे। उसके बाद हम उस पत्र को उत्तर प्रदेश सरकार को भेजेंगे। डॉ. यादव ने उन्हें एक पत्र लिखा जिसके तीन मुख्य विषय थे। प्रेमचंदजी के घर को म्यूजियम बना दिया जाये, वहा एक वाचनालय (लाइब्रेरी) शुरू करे और हिंदी साहित्य पढने वाले विद्यार्थीयो के लिये वहा अनुसन्धान (रिसर्च) संस्था शुरू करे।
डॉ. यादव कहते है
“अभियान का इतना असर था कि लोगो ने एक दिन में २००० हस्ताक्षर किये। हमें सकारात्मक विकास दिखाई दिया। मुझे आशा थी कि एक दिन में इतने सारे लोग इससे जुड़े है तो कुछ ही दिनों में हम बहुत आगे बढ़ सकते है। सिर्फ २००० हस्ताक्षर के पत्र पर शायद सरकार गौर ना करे, पर अगर ज्यादा लोग शामिल हो तो सरकार जरुर सहायता करेगी।”
डॉ. यादव ने विद्यार्थीयो से कहा कि इस अभियान को दोस्त, परिवार और सभी लोगो के पास पहुचाये और ज्यादा से ज्यादा लोगो के हस्ताक्षर शामिल करे। इस दौरान डॉ. यादव ने तय किया कि वो लाम्ही में जाकर प्रेमचंदजी के घर की स्थिति का जायजा लेंगे।

स्कूल की छुट्ठीयों में वे लाम्ही गये। वहा के ज्यादातर लोगो को प्रेमचंदजी के घर के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी ये सुनकर वो हैरान हुये। बहुत कोशिश करने के बाद उन्हें प्रेमचंदजी का घर दिखाई दिया जो बहुत ही ख़राब अवस्था में था।
डॉ. यादव कहते है-
“मैं घर की स्थिति देखकर परेशान हो गया। जिस लेखक ने हिंदी साहित्य को एक नयी दिशा दी, जिनके लेख से स्वतंत्रता सेनानी प्रभावित हुये, जिन्हें “उपन्यास सम्राट” कहा जाता है, उनका घर इससे बेहतर स्थिति में होना चाहिये था। ”
उन्होंने विद्यार्थी को दिखाने के लिए उस घर के कुछ फोटो लिये और बंगलुरु वापस आ गये। इसी बिच आवेदन पत्र पर १ लाख से भी ज्यादा हस्ताक्षर हुये।

आवेदन पत्र पर इतने सारे हस्ताक्षर होना एक बहुत बड़ी जीत थी और अब डॉ. यादव इस पत्र को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री को देने के लिए तैयार थे।
मुख्यमंत्री से मिलने के लिए उन्हें थोड़ी दिक्कत हुयी पर मिलने के बाद उनके हिंदी साहित्य और मुंशी प्रेमचंद के घर के प्रति लगाव को देखकर मुख्यमंत्री काफी प्रभावित हुये।
मुख्यमंत्री ये जानकर बहुत खुश हुये कि डॉ. यादव दक्षिण से उत्तर की और आकर एक हिंदी साहित्य के महान लेखक के घर को संरक्षित करना चाहते है। इस कार्य के लिए मुख्यमंत्री ने एक करोड़ और २.५ एकड जमीन दे दी। पर उत्तरप्रदेश की सरकार बदलने के कारण शुरू किया गया मरम्मत का काम रुक गया। डॉ. यादव ने नयी सरकार को बहुत
सारे पत्र लिखे पर कोई जवाब नहीं आया।
सन २०१३ में जब अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री बने तब डॉ. यादव को एक आशा की किरण दिखाई दी और उन्होंने अखिलेश जी से बात करके मरम्मत का काम फिर से शुरू किया।


अब तक ९० प्रतिशत काम पूरा हुआ है और डॉ. यादव सरकार के इस काम पर निजी तौर पर ध्यान दे रहे है।
डॉ. यादव कहते है-
“मैंने कई बार लाम्ही में जाकर काम का मुआयना किया और वो ठीक तरह से चल रहा है। कुछ ही दिनों में काम पूरा हो जायेंगा”
डॉ. यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार को सुझाव दिया है कि प्रेमचंदजी का घर पर्यटन स्थल में शामिल करे ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटक भेट दे सके। वो कहते है,
“अगर पर्यटकसे १० रुपये टिकट के तौर पर लिया जाये तो घर की देखभाल के लिये मासिक आमदनी भी इकट्ठा हो सकती है”
एक लेखक और उनके विद्यार्थीयो को धन्यवाद देना चाहिये जिनके अथक प्रयत्न के बाद एक महान लेखक का घर संरक्षित किया गया जो सभी नये लेखको के लिये प्रेरणा स्थान बन रहा है।
डॉ. यादव कहते है
“मुंशीप्रेमचंदजी सामान्य लेखक नहीं थे। उनकी सारी कथाए सत्य घटनाओ पर आधारित थी, जो अमीरों से गरीब लोगो के उपर किये गये शोषण पर आधारित थी। उनके साहित्य दिल में एक जगह बना लेते है।”
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए आप डॉ. यादव से +९१९८८०९०१५२९ (+91 9880901529) पर संपर्क कर सकते है।
मूल लेख श्रेया पारीक द्वारा लिखित।
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