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अहमदाबाद भारत का पहला शहर है, जिसे 'वर्ल्ड हेरिटेज सिटी' बनने का ख़िताब प्राप्त है। 8 जुलाई 2017 को यूनेस्को ने यह घोषणा की। गुजरात के अहमदाबाद को न सिर्फ़ भारत के, बल्कि विश्व के इतिहास में ख़ास स्थान प्राप्त है। पंद्रहवीं शताब्दी के शायर, उलवी शिराज़ ने अहमदाबाद को धरती के चेहरे पर एक ख़ूबसूरत-सा 'तिल' कहा। वहीं 17वीं शताब्दी में यूरोपियन यात्री जेमेली केरेरी जब यहाँ आये, तो उन्होंने इसकी तुलना वेनिस से की।
19वीं शताब्दी में, ट्रेवलर एडविन अर्नोल्ड और हेनरी जॉर्ज ब्रिग्ग्स ने अहमदाबाद को कवियों और चित्रकारों के लिए एक प्रेरणा बताया।
600 साल पुराने इस शहर में सुल्तानों, अफ्रीकी मूल के सीदी बादशाहों, मुगल सम्राटों और देश के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की भी कहानियाँ बसी हैं।
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साल 1984 में फोर्ड फाउंडेशन ने विश्व की धरोहरों को सहजने की पहल शुरू की थी और साल 2011 में युनेस्को की धरोहर वाले स्थानों की सूची में अहमदाबाद को भी शामिल किया गया। मार्च 2016 में, दिल्ली और मुंबई जैसे मशहूर और बड़े शहरों के बजाए अहमदाबाद को चुना गया। पोलैंड में वर्ल्ड हेरिटेज समिति के 41वें सेशन में 20 अन्य देशों ने भी अहमदाबाद के नामांकन का समर्थन किया।
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और अहमदाबाद का नाम इस टैग को हासिल करने वाले पेरिस, कैरो, ब्रुसेल्स, एडिनबर्ग और रोम जैसे शहरों की फ़ेहरिस्त में शामिल हो गया।
पूरे विश्व में 287 शहरों को यह ख़िताब प्राप्त है और इनमें से केवल दो शहरों को भारतीय महाद्वीप से शामिल किया गया था, नेपाल का भक्तपुर और श्रीलंका का गाल्ल।
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विश्व विरासत सम्मेलन में हस्ताक्षर करने वाले देश अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करने का संकल्प लेते हुए, अपनी सीमा में आने वाले किसी भी स्थान को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल करवाने के लिए नामांकन दे सकते हैं।
यूनेस्को में नामांकन के लिए पांच स्टेप होते हैं। सबसे पहले एक अस्थायी सूची तैयार की जाती है, जिसमें सभी देश अपनी सीमा में स्थित प्राकृतिक और सांस्कृतिक जगहों का नाम देते हैं। इस सूची में भारत से दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद का नाम शामिल किया गया। इसके बाद ये शहर यूनेस्को में अपने नामांकन का प्रस्ताव भेजते हैं और इस प्रस्ताव में विस्तार से लिखा जाता है कि आख़िर क्यों नामांकित शहर को हेरिटेज सिटी का दर्जा मिलना चाहिए। बाद में इस फाइल को जाँच के लिए एडवाइजरी बोर्ड के पास भेजा जाता है।
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वर्ल्ड हेरिटेज कन्वेंशन की तरफ से इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (आईआईओएसओएस) और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन), इन नामांकनों का मूल्यांकन करते हैं। एक बार जब इन शहरों का नामांकन व मूल्यांकन हो जाता है, तो उसके बाद इंटर-गवर्नमेंटल वर्ल्ड हेरिटेज समिति आख़िरी निर्णय लेती है। यह समिति साल में एक बार बैठक करती है और निर्णय करती है कि किस शहर को वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में शामिल करना है।
समिति के पास शहरों का चयन करने के लिए कुछ मानदंड हैं और किसी भी शहर को वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में शामिल होने के लिए इन 10 मानदंडों में से कम से कम एक को पूरा करना बेहद ज़रूरी है।
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अहमदाबाद के वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बनने के पीछे बहुत-से कारण हैं, जैसे कि गुजरात में 50 संग्रहालय हैं, जिनमें से 22 अहमदाबाद में हैं। कैलिको टेक्सटाइल म्यूजियम से लेकर गाँधी मेमोरियल म्यूजियम तक, इस शहर का इतिहास बहुत ही समृद्ध है। शहर भर में मौजूद कई ऐतिहासिक स्मारकों के साथ, अहमदाबाद का आर्किटेक्चर इस्लाम और हिन्दू, दोनों ही विरासतों का मिश्रण है। 15वीं शताब्दी का भद्र किला और झूलता मीनार, इस बात का परिचय देते है कि अहमदाबाद के आर्किटेक्चर पर बहुत सी संस्कृतियों का प्रभाव रहा है।
ऐसा ही एक और ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थल है अडलज बावड़ी, जो कि हिन्दू और मुस्लिम विरासत का मिश्रण है।
अडलज बावड़ी (फोटो साभार: विकीमीडिया कॉमन्स)अहमदाबाद में आपको ब्रिटिश आर्किटेक्चर के भी कई उदाहरण मिल जायेंगे, जैसे कि एलिसब्रिज और मंगलदास गिरधरदास टाउन हॉल का आर्किटेक्चर।
भारत से इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए अहमदाबाद के अलावा दिल्ली और मुंबई भी दावेदार थे। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा ने कहा, "दिल्ली का प्रस्ताव पिछले साल से शहरी विकास मंत्रालय में अटका हुआ है, और मुंबई का प्रस्ताव बहुत मजबूत नहीं था। इसलिए हमने अहमदाबाद को नामांकित करने का फैसला किया।"
हालांकि, अहमदाबाद के लिए इस सम्मान को प्राप्त करना बहुत आसान नहीं रहा। वर्ल्ड हेरिटेज समिति ने शहर के कई दौरों के बाद यह फ़ैसला लिया और अहमदाबाद को भारत की पहली वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बनने का सम्मान मिला।
यह सम्मान न केवल अहमदाबाद के लिए, बल्कि भारत के लिए भी गर्व की बात है।
संपादन - मानबी कटोच