पुरानी बेकार पड़ी चीज़ों से बनाते हैं अलौकिक इमारतें, मिलिए गोवा के अनोखे आर्किटेक्ट से

गोवा के सबसे पुराने किलों में से एक रीस मैगोस किला एक लंबे अरसे से खंडहर था। यहाँ के अधिकारियों ने इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी जेरार्ड को सौंपी। आज यह गोवा के इतिहास को दर्शाने वाला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

गोवा के वास्तुकार जेरार्ड डी कन्हा वर्षों से अपनी अनूठी और बेहतरीन वास्तुकला शैली के लिए जाने जाते हैं। उनकी बेकार और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध इमारती लकड़ियों और पत्थरों से निर्मित स्थापत्य संरचनाएं देश के कई विश्वविद्यालय, पुस्तकालय, संग्रहालय, रिसॉर्ट और यहां तक ​​कि टाउनशिप में देखने को मिलती हैं।

द बेटर इंडिया से बातचीत के दौरान 65 वर्षीय जेरार्ड कहते हैं, “मैं अपने डिजाइन को हमेशा साइट पर बनाता हूँ, क्योंकि जब मैं ऑफिस में बैठता हूँ तो मेरे लिए इसे तैयार करना मुमकिन नहीं होता है। मुझे न तो यह पता होता है कि हवा का रुख क्या होगा, न ही यह कि क्या डिजाइन करते समय वहाँ कोई पेड़ होना चाहिए।”

जेरार्ड अपनी फर्म, आर्किटेक्ट ऑटोनॉमस के मुख्य वास्तुकार हैं और वास्तुकला के क्षेत्र में पिछले चार दशकों के दौरान उन्होंने अपने उल्लेखनीय डिजाइनों और अलग सोच के कारण काफी लोकप्रियता हासिल की है।

निभाई लॉरी बेकर के सहायक की भूमिका

Goan Architect
जेरार्ड डी कन्हा

जेरार्ड जब दिल्ली स्थित स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में आर्किटेक्चर के तीसरे वर्ष के छात्र थे, तो उन्होंने केरल की यात्रा करने के लिए एक साल का ब्रेक लिया और ‘गांधी ऑफ आर्किटेक्चर’ के नाम से ख्याति प्राप्त लॉरी बेकर के सहायक की भूमिका निभाई।

इस विषय में वह कहते हैं, “मैं वास्तव में उनकी सरल और कुशल तकनीकों से प्रभावित था और उन्हीं की वजह से मैं अपनी शैली को आत्मसात कर सका। नतीजतन, अब तक मैंने जो भी कार्य किया है, वह किसी मानक पर आधारित नहीं हैं। हर संरचना स्थानीय सामग्री और जमीन की प्रकृति के आधार पर बनाई गई है।”

जेरार्ड के सबसे लोकप्रिय कार्यों में से एक गोवा संग्रहालय का तीन मंजिला घर है, जो अपने अद्वितीय जहाज जैसी संरचना के लिए जाना जाता है। गोवा में ही स्थित निशा प्ले स्कूल और शिक्षा निकेतन, एक अनूठी वास्तुकला शैली की गवाही देता है, जिसमें कई बेकार वस्तुओं का उपयोग किया गया है। जबकि, उनकी जेएसडब्ल्यू टाउनशिप परियोजना को स्थानीय सामग्रियों और सीमित बजट के समावेश के लिए मान्यता मिली। इन सभी कार्यों को उन्होंने न्यूनतम संसाधनों पर अंजाम दिया है।

गोवा संग्रहालय का घर

Goan Architect
Source: Tao Architecture

गोवा के टोरदा स्थित म्यूजियम में जेरार्ड का ‘हॉउसेज ऑफ गोवा’ एक अनूठी वास्तुशिल्प है, जिसे कोई भूल नहीं सकता है। लेटराइट पत्थरों से निर्मित यह तीन मंजिला संग्रहालय एक त्रिकोण के आकार का है। इसे जेरार्ड के ‘ट्रैफिक आइलैंड’ के रूप में भी जाना जाता है।

इस विषय में, वर्ष 2018 में संग्रहालय का दौरा करने वाले वास्तुकार यश शाह कहते हैं, “हर मंजिल सिर्फ 40 वर्गमीटर का है, लेकिन यहाँ कोई भी फोटो, नक्शे, घरों के मॉडल, नक्काशीदार फर्नीचर, साहित्य आदि के बारे में आसानी से गोवा के 1300 ईसा पूर्व की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास की झलक पा सकता है।”

वह बताते हैं कि जेरार्ड ने कैसे 20 लाख रुपए की लागत से ग्राउंड फ्लोर कैफे को अर्ध-संग्रहालय में बदल दिया, जिसमें गोवा के घरों के किचन-बाथरूम की तस्वीरों को प्रदर्शित किया गया है।

“प्रत्येक संरचना का डिजाइन जगह, स्थानीय संसाधनों, बजट और पारंपरिक पहलुओं के आधार पर अलग होता है, जो उस विशेष क्षेत्र के लिए प्रासंगिक हैं,” जेरार्ड कहते हैं।

जेरार्ड की वास्तुकला शैली परम्पराओं की जीवंत करती हैं। इसी वजह से, गोवा के सबसे पुराने किलों में से एक रीस मैगोस किला, जो कि एक लंबे अर्से से खंडहर था। यहाँ के अधिकारियों ने इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी जेरार्ड को सौंपी। आज यह गोवा के इतिहास को दर्शाने वाला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इसके साथ ही उन्होंने पणजी स्थित गोवा राज्य केंद्रीय पुस्तकालय को भी डिजाइन किया है, जिसमें 1,80,000 से अधिक पुस्तकें हैं।

निशा का प्ले स्कूल और शिक्षा निकेतन

Source: Tao Architecture
काँच की बोतलों से बना एम्फीथियेटर

जेरार्ड ने गोवा में निशा के प्ले स्कूल और शिक्षा निकेतन का भी डिजाइन किया है, जो अद्वितीय है। इन दो स्कूलों को ढलान पर अलग-अलग आयु वर्गों के लिए दो विशेष सेटों के रूप में डिजाइन किया गया है। 4-6 वर्ष की उम्र के लिए प्ले-स्कूल और 1-4 कक्षाओं के लिए प्री-स्कूल। भारतीय स्कूलों में देखी जाने वाली सामान्य सीढ़ियों और कक्षाओं से अलग, जेरार्ड ने आउटडोर कक्षाओं में बच्चों को लुभाने के लिए एक फैंटसी लैंड बनाने का फैसला किया। इसमें एक स्लाइड पूरी इमारत से गुजरती है और एक कांच की बोतलों से बनी एम्फीथिएटर है।

इस विषय में, मुंबई के आर्किटेक्ट और फ़ोटोग्राफ़र रुहमा उकेय ने द बेटर इंडिया को बताया, “इसमें हर एक छोटी चीज पर ध्यान दिया गया है कि एक बच्चा स्कूल का इस्तेमाल कैसे करेगा। यह वाकई शानदार है। इसे ईंट, मिट्टी, मोज़ेक टाइल और कांच की बोतलों से बेहद बारीकी से बनाया गया है।“

Source: Tao Architecture
Source: Tao Architecture

“जब बात ज्यामिति की आती है तो मैं ढेर सारे प्रयोग करता हूं। मैंने ऐसी संरचनाएं बनाई हैं, जो डोनट से मिलती-जुलती हैं। मैंने कर्व्स, सर्कल की कोशिश की और जब बारी प्लेस्कूल बनाने की आई, तो मैं चाहता था कि बच्चे बिल्डिंग के माध्यम से अपनी कल्पना की अंतहीन संभावनाओं को महसूस करें,“ जेरार्ड कहते हैं।

Source: Tao Architecture

जेएसडब्ल्यू टाउनशिप

Source: Tao Architecture
Source: Glassdoor

जेरार्ड ने कर्नाटक के हम्पी से करीब 30 किलोमीटर दूर विद्यानगर में, 150 करोड़ रुपये की लागत से जेएसडब्ल्यू स्टील प्लांट के लिए एक टाउनशिप बनाने का काम संभाला। 300 एकड़ में फैले इस परियोजना के तहत 10 हजार लोगों को घर मिलने वाला था। इसमें जेरार्ड और उनकी टीम ने, सीवरेज लाइनों, ट्रांसफॉर्मर, ट्रीटमेंट प्लांट से लेकर टेलीफोन सिस्टम तक सब कुछ एक साथ रखा।

इसके बारे में जेरार्ड बताते हैं, “मुझे जरूरी सामानों की व्यवस्था करने में ज्यादा कठिनाई नहीं हुई, क्योंकि मैंने परियोजना के अधिकांश हिस्से के लिए ग्रेनाइट, प्रीफैब्रिकेटेड सिस्टम और कडप्पा पत्थर का उपयोग किया, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह प्रसिद्ध था। मुझे सिर्फ यह सोचना था कि उस विशेष क्षेत्र के लिए अद्वितीय क्या था।”

इस परियोजना के लिए,  उन्हें साल 1998-99 में शहरी योजना और डिजाइन में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्होंने बेंगलुरु में अपनी परियोजना ‘नृत्यग्राम’ के लिए कमेंडेशन अवार्ड (ग्रामीण वास्तुकला) – 1990 भी जीता।

“मेरी वास्तुकला पूरी तरह से क्षेत्र से संबंधित एक संरचना बनाने पर आधारित है। हमारे देश में कई तरह की अनूठी परम्पराएं और संस्कृतियां हैं, फिर भी जब वास्तुकला की बात आती है तो हम अधिक मानकीकृत संरचनाओं का उपयोग करते हैं और उन सामग्रियों का उपयोग करते हैं जो क्षेत्र के लिए अलग नहीं होते हैं। यह एक ऐसी चीज है, जिसे आने वाले वर्षों में बदला जा सकता है,” जेरार्ड अंत में कहते हैं।

मूल लेख-SERENE SARAH ZACHARIAH

यह भी पढ़ें- देश भर में घूम-घूमकर, मिट्टी की बोरियों से बनाते हैं घर, गर्मियों में भी रहता है ठंडा!

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons:

Let us know how you felt

  • love
  • like
  • inspired
  • support
  • appreciate
X