इस साल की शुरुआत में, चक्रवात ताउते ने पश्चिमी तट पर दस्तक दी थी। उस समय, गोवा के कई इलाकों में तीन दिनों तक बिजली की सेवा बाधित रही थी। ऐसे में, गोवा में रहनेवाले प्रोफेसर मधुसूदन जोशी ने घर की छत पर लगे सौर उर्जा (Rooftop Solar Power System) का बेहतर उपयोग कर, एक उदाहरण पेश किया है।
तूफान के कारण, जब बिजली सेवा बाधित हुई थी, तो मधुसूदन जोशी के घर में लगे सौर पैनल की वजह से, न केवल उनके घर में कोई परेशानी हुई, बल्कि पड़ोसियों को भी मोबाइल फोन चार्ज करने में मदद मिली। चक्रवात जैसे हालात में भी, यह संभव हो सका, हाइब्रिड सौर ऊर्जा प्रणाली के कारण। वह अपने घर की बिजली के लिए, इसी सिस्टम का उपयोग करते हैं।
साल 2018 में, जब 58 वर्षीय मधुसूदन जोशी अपना घर बनवा रहे थे, तो उन्होंने इसे पर्यावरण के अनुकूल बनवाने का फैसला किया।
सरकार से लेते नहीं, देते हैं उर्जा

द बेटर इंडिया से बात करते हुए मधुसूदन ने बताया, “गोवा कॉलेज ऑफ फार्मेसी में प्रोफेसर होने के नाते, मैं पिछले 25 वर्षों से रीन्यूएबल एनर्जी के बारे में पढ़ा रहा हूं। हालांकि, मैंने कॉलेज में स्टूडेंट्स को जो कुछ भी पढ़ाया, जो भी इस्तेमाल करना सिखाया, उनमें से मैंने, खुद किसी का कोई अभ्यास नहीं किया था। लेकिन जब मैंने अपना घर बनाना शुरू किया, तो इसमें सोलर सिस्टम (Rooftop Solar Power System) लगाने का फैसला किया।”
आज, मर्सेस (पणजी) में उनका घर और उसके भीतर के सभी उपकरण, पूरी तरह से सौर ऊर्जा द्वारा संचालित हैं। चूंकि, एनर्जी सिस्टम एक हाइब्रिड मॉडल है, इसलिए वह न केवल बिजली के बिल पर खर्च होने वाले पैसे बचाते हैं, बल्कि सरकार को ऊर्जा भी वापस देते हैं और इससे सालाना 350 रुपये कमाते हैं।
जीरो बिल और अतिरिक्त ऊर्जा से कमाई
जब मधुसूदन ने पर्यावरण के अनुकूल घर बनवाने का फैसला किया, तो उन्होंने ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेना शुरू किया, जहां सोलर सिस्टम आदि की बात होती थी। इससे जुड़ी कुछ प्रदर्शनियों में भी वह हिस्सा लेने लगे। इसी दौरान वह Solar360 नाम की एक कंपनी के संपर्क में आए।
मधुसूदन कहते हैं, “जहां, अधिकांश सोलर प्रोवाइडर्स ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सिस्टम की पेशकश करते हैं, वहीं यह कंपनी हाइब्रिड सिस्टम इंस्टॉल कर रही थी। इसका मतलब है, सौर ऊर्जा को बैटरी में इकट्ठा किया जाता है और ग्रिड से जोड़ा जाता है। साथ ही, बिजली सेवा देनेवाली स्थानीय कंपनी को ऊर्जा वापस कर दिया जाता है।”
आसान भाषा में समझें तो, हाइब्रिड सिस्टम का उपयोग करते समय, सूर्य की ऊर्जा को पहले बैटरी में इकट्ठा किया जाता है। अगर अतिरिक्त ऊर्जा (Surplus Energy) होती है, तो उसे ग्रिड को लौटा दिया जाता है और सरकार यूनिट की संख्या के आधार पर मुआवजे की पेशकश करती है। इस सोलर सिस्टम (Rooftop Solar Power System) की लागत 5,80,000 रुपये है, जो सामान्य सौर पैनल से अधिक है।
सौर उर्जा से चल जाते हैं हल्के व भारी उपकरण

जनवरी 2019 में, मधुसूदन और उनकी पत्नी अपने नए घर में रहने आये। उनके घर की छत पर लगी सोलर पैनल, 11 किलोवाट बिजली पैदा करती है, जो 15-वोल्ट की 4 बैटरी से जुड़ी हुई है। इसे एक इन्वर्टर से जोड़ा गया है, जिससे घर में बिजली की आपूर्ति होती है।
मधुसूदन ने बताया, “हम किचन में रेफ्रिजरेटर सहित, सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिजली देने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं। बाकी के भारी उपकरण जैसे वाशिंग मशीन और टेलीविजन भी सौर ऊर्जा से चल जाते हैं।”
हालांकि, मानसून के दौरान, गोवा में भारी बारिश होती है और कई दिनों तक धूप काफी कम रहती है। उस समय, पावर सप्लाई सिस्टम ऑटोमेटिकली ग्रिड पर स्विच हो जाता है, जहां सरकार द्वारा बिजली की आपूर्ति की जाती है।
मधुसूदन ने बताया, “दो हफ्ते पहले, भारी बारिश हुई थी और मेरी सोलर यूनिट ने पूरे एक हफ्ते में केवल एक किलोवाट ऊर्जा उत्पन्न की थी। लेकिन तब भी मेरे उपकरण काम कर रहे थे, क्योंकि जब बैटरी पूरी तरह से चार्ज नहीं होता है, तो वह ग्रिड कनेक्शन से जुड़ जाता है।”
800 रुपये से, 0 बिजली बिल तक
बिजली आपूर्ति और उसके उपयोग की जांच करने के लिए, उन्होंने अपने मोबाइल फोन पर बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम लगाया है। साल 2019 के दौरान, मधुसूदन ने अपने पूरे घर को सौर ऊर्जा से संचालित किया और उनका बिजली का कोई बिल नहीं आया।
उन्होंने कहा, “मैंने बिजली के लिए एक रुपये का भी भुगतान नहीं किया। साल के अंत में, चूंकि मैंने ग्रिड को अतिरिक्त ऊर्जा की आपूर्ति की थी, तो सरकार ने मुझे 350 रुपये का मुआवजा दिया। यह राशि सरप्लस यूनिट के साथ, प्रति यूनिट बिजली की लागत के आधार पर तय की जाती है।” इससे पहले वह अपने पुराने घर में हर महीने 800 रुपये बिजली बिल जमा करते थे।
मधुसूदन का कहना है कि उन्हें सोलर एनर्जी सिस्टम के इस्तेमाल को लेकर कोई शिकायत नहीं है। वह कहते हैं, “इसने मेरे जीवन को परेशानी मुक्त बना दिया है। अब मुझे बिजली कटौती की कोई चिंता नहीं होती है।”
मूल लेखः रौशनी मुथुकुमार
संपादन- जी एन झा
यह भी पढ़ेंः देश के 24 अनोखे अचार, जिन्हें आपको एक बार तो ज़रूर चखना चाहिए!
यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें।
We at The Better India want to showcase everything that is working in this country. By using the power of constructive journalism, we want to change India – one story at a time. If you read us, like us and want this positive movement to grow, then do consider supporting us via the following buttons: