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गोवा में एक गांव है कैरोना। कैरोना के हरे-भरे जंगलों के बीच बना है एक घर, कैरोना हाउस। यह एक अनोखा घर है जिसमें दीवारें नहीं है।
यह घर कैथरीन और रिचर्ड मैडिसन का है। इस शानदार सस्टैनबल घर को आर्किटेक्ट, इनी चटर्जी ने बनाया है जहां से चोराओ द्वीप की खूबसूरत रोलिंग पहाड़ियां नज़र आती हैं।
कैरोना हाउस डिजाइन करते समय कई बातों को ध्यान में रखा गया है। घर में ईंट या कंक्रीट की दीवारों की बजाय, लकड़ी के दरवाज़े बनाए गए और इसे पूरी तरह से प्रकृति से जुड़ा हुआ रखा गया।
59 वर्षीय चटर्जी का मानना है कि घर बनाते समय जितना संभव हो प्रकृति पर कम से कम बोझ डालना चाहिए। चटर्जी बताते हैं कि वह 2004 में गोवा आए थे और वहाँ उन्होंने अपने घर ( द कोकोनट होम ) पर काम करना शुरू किया। चटर्जी बताते हैं कि वह कुछ समय से गोवा में रह रहे थे और उन्हें शहर की आबोहवा के बारे में पता था। वह एक ऐसा घर बनाना चाहते थे जहां पर्याप्त रोशनी हो और जगह हवादार हो ताकि एयर कंडीशनिंग सिस्टम की आवश्यकता कम हो। बिना दीवार वाली घर के साथ प्रयोग करने के बाद उन्होंने मैडिसन हाउस प्रोजेक्ट (अब इसे कैरोना हाउस के रूप में जाना जाता है) पर काम करना शुरू किया, और इसे पूरा होने में लगभग साढ़े चार साल लगे।
सस्टेनेबल आर्किटेक्चर
चटर्जी ने दोनों घरों में वैकल्पिक और टिकाऊ निर्माण सामग्री के रूप में नारियल की लकड़ी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया है। वह बताते हैं कि अपने करियर के शुरुआती वर्षों में उन्होंने ऐसे प्रॉजेक्ट पर काम किया था जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा था। उन्हें अच्छा महसूस नहीं हुआ और समय के साथ उन्होंने इसे बदलने और जितना हो सके प्रभाव को कम करने की कोशिश की। वह बताते हैं कि उनका घर, कोकोनट हाउस (ओलाउलिम में) और फिर कैरोना हाउस उनके प्रयास के उदाहरण हैं, जैसा कि प्रकृति को ध्यान में रखते हुए ही इन दोनों घरों को बनाया गया है।
नारियल की लकड़ी का उपयोग बेहतर कैसे है?
नारियल की लकड़ी के बारे में बात करते हुए चटर्जी बताते हैं कि नारियल प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाली स्वदेशी वन प्रजाति नहीं है न ही वन पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है। यह वृक्षारोपण और निजी संपत्ति के तौर पर उगाया जाता है, और अन्य पेड़ों के विपरीत जो सैकड़ों वर्षों तक जीवित रहते हैं, नारियल के पेड़ का जीवनकाल लगभग 50-80 वर्ष होता है। कई वर्षों तक फल और पत्तियों का उत्पादन करने के बाद, जब पेड़ पुराने और कमज़ोर हो जाते हैं, गिरने की कगार पर होते हैं और जान-माल के लिए खतरा पैदा हो जाता है, तो इसे हटा दिया जाता है। इसके ट्रंक, विशेष रूप से नीचे के आधे हिस्से को मचान के लिए उपयोग किया जाता है और ऊपर का हिस्सा जलावन लकड़ी के काम आता है। चटर्जी कहते हैं कि भवन निर्माण में वह नारियल की लकड़ी का प्रयोग प्रभावी ढंग से करना चाहते थे। वह आगे बताते हैं कि शुरूआत उन्होंने फर्नीचर बनाने के साथ की और फिर लैमिनेशन के माध्यम से (पैनल बनाने के लिए छोटे टुकड़ों का उपयोग करके) घर बनाया जैसा कि इसकी पोल या पाइक जैसी संरचना होती है और इसमें बड़े, सीधे टुकड़े नहीं मिलते हैं।
बड़े टुकड़ों से छत की तख्तियां बनाई जाती थीं और बाकि के छोटे टुकड़ों को गोंद और बोल्ट के साथ जोड़ा जाता है और फिर लैमिनेट कर इस्तेमाल किया जाता था। चटर्जी कहते हैं कि जहां तक टिकाऊपन का सवाल है , नारियल की लकड़ी सख्त होती है और यह किसी भी अन्य लकड़ी से मजबूत होती है।
वह आगे कहते हैं, “ज्यादातर पेड़ सभी दिशाओं में बढ़ते हैं और हर साल एक परत ट्रंक में जुड़ जाती है। नारियल के पेड़ों में, यह नहीं होता है, क्योंकि वो केवल ऊपर की ओर बढ़ते हैं। इसका मतलब है कि पेड़ का तल सबसे पुराना और सबसे मजबूत है और इसलिए इसका इस्तेमाल निर्माण के लिए किया जा रहा है। "चटर्जी आगे बताते हैं कि उनके अपने घर में नारियल की लकड़ी का काफी इस्तेमाल किया गया है। लेकिन कैरोना हाउस में कंक्रीट (ब्रिज जोड़ने, स्ट्रक्चरल फाउंडेशन के लिए) और पत्थरों जैसी अन्य निर्माण सामग्री के अलावा सागवान और नारियल की लकड़ी के मिश्रण का इस्तेमाल हुआ है।
वह कहते हैं कि उन्होंने पेंट का बहुत कम उपयोग किया है। इसके अलावा निर्माण सामग्री के रूप में ईंटों का एकदम इस्तेमाल नहीं किया गया है। छत को खास तरीके से बनाया गया है। घर का छत वाटर-प्रूफ, हीट-प्रूफ और साउंड-प्रूफ है।
इसके अलावा, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए घर में पूरी तरह से काम करने वाले वर्षा जल संचयन प्रणाली यानी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाया गया जिसमें हर साल 7 लाख लीटर पानी बचाने की क्षमता है।
प्रकृति से कनेक्शन
कैरोना हाउस पंजिम से तीस मिनट की दूरी पर है। घर में कस्टमाइज़ दरवाज़े की तरह दीवार बनाए गए हैं और जगह काफी खुला-खुला है जहां से प्रकृति के खूबसूरत नज़ारे का मज़ा लिया जा सकता है।
इस बारे में चटर्जी विस्तार से बताते हैं, “इस घर में आपको बंद होने का एहसास नहीं होता है। घर में एकांतता के लिए हल्के वजन, उपयोगी स्टोरेज मॉड्यूल का इस्तेमाल किया गया है, जो भविष्य में अलग-अलग आवश्यकताओं के अनुसार बदले जा सकते हैं।”
मैडिसन ने कैरोना हाउस को अब एक अनोखे जीवन शैली का अनुभव कराने के उदेश्य से एक होमस्टे में बदल दिया है।
चटर्जी बताते हैं कि, बिना दीवार के होने के बावजूद इस घर का डिज़ाइन कुछ ऐसे बनाया गया है कि घर के अंदर से बाहर की चीज़ें तो देखी जा सकती हैं लेकिन बाहर से अंदर नहीं देखा जा सकता है।
मैडिसन के अनुसार, यह बहुमंजिला 1000 वर्ग मीटर का घर एक एकड़ में फैला हुआ है, जो पिछले एक दशक में भारत में निर्मित सबसे आधुनिक घरों में से एक है। कैथरीन कहती हैं कि “यहाँ रहना वास्तव में अद्भुत है। कभी-कभी मुझे विश्वास ही नहीं होता है कि ऐसा भी घर बनाया जा सकता है।”
वास्तुकला के क्षेत्र में चटर्जी का यह प्रयोग काफी अहम है। प्रकृति से जुड़ाव रहने की वजह से उन्होंने वास्तुकला के जरिए भवन निर्माण के क्षेत्र में एक नई दुनिया बसाई है।
मूल लेख-ANANYA BARUA
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