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एक चम्मच इतिहास ‘काली मिर्च’ का!

भारत हमेशा से ही अपने मसालों के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय रहा है। इन्हीं मसालों के बीच काली मिर्च भी भारत की ही देन है। यह वही मसाला है, जिसे पुर्तगाल से आए वास्को डी गामा अपने साथ ले गए थे। इसका अंदाज़ा होते ही कई सारे विदेशी व्यापारियों ने इसे हासिल करने के लिए भारत आना शुरू कर दिया था। 

अंग्रेज़ भी इन मसालों के मोह में ही भारत पहुंचे थे। तब काली मिर्च को धन के रूप में इस्तेमाल करना बेहद आम था, इसलिए इसे ‘काला सोना’ भी कहा जाता था। 

प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है इसका ज़िक्र

वास्को डी गामा भारत का काली मिर्च मसाला अपने साथ ले गया था , इसकी लालच में दुनियाभर के व्यापारी यहाँ आने लगे।

आज हर घर की रसोई में शामिल इस मसाले का इतिहास 4 हज़ार साल पुराना है। इसका ज़िक्र प्राचीन तमिल साहित्य और ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में लिखी किताबों में भी है। इन किताबों में कई ऐसे व्यंजन शामिल हैं, जिनमें काली मिर्च का इस्तेमाल किया गया है। 

छोटी सी दिखने वाली काली मिर्च, किचन में और भारत के इतिहास में अपना नाम दर्ज़ करवा चुकी है। कुछ लोगों का मानना है कि भारत के कुछ पूर्वज इसके बीज को अपने साथ यहां तक लेकर आए थे। वहीं, दूसरी ओर कई लोग मानते हैं कि इसके बीज समुद्र से बहते हुए भारतीय तट पर आ पहुंचे थे।

भारत में काली मिर्च के उगने योग्य वातावरण था, जिससे बीज यहां खिल उठे। कई देशों में पहुंचने के बावजूद दुनिया की सबसे बेहतरीन काली मिर्च आज भी भारत में ही उगती है। 

छोटे दानों की तरह नज़र आने वाला यह मसाला अपने अंदर कई सारे गुण समेटे हुए है। ये दाने किचन के कई व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने का काम तो करते ही हैं, इसके अलावा ये कई बीमारियों से लड़ने में भी काफ़ी असरदार हैं। इससे इम्यूनिटी काफी अच्छी होती है और कई इन्फेक्शन्स भी ठीक होते हैं। इस मसाले का इस्तेमाल एयर फ्रेशनर के रूप में भी किया जाता है। 

काली मिर्च का रोचक इतिहास जानने के लिए देखें यह वीडियो:

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