हिमाचल प्रदेश : मीडिया की नौकरी छोड़ करने लगे खेती; सालाना आय हुई 10 लाख रूपये!

रवि के छोटे भाई अक्षय शर्मा भी एक निजी यूनिवर्सिटी में जाॅब कर रहे थे। पर रवि की सफलता को देखते हुए अब उन्होंने भी नौकरी छोड़कर भाई का साथ देने का फैसला लिया है।

हिमाचल प्रदेश : मीडिया की नौकरी छोड़ करने लगे खेती; सालाना आय हुई 10 लाख रूपये!

फिल्म और डाॅक्यूमेंटरी मेकिंग में 7 साल तक काम करते हुए देश का शायद ही कोई ऐसा कोना बचा हो जो रवि ने देखा न हो लेकिन इसके बावजूद वह अपने गाँव की मिट्टी से दूर न हो सके। फिल्म मेकिंग में अच्छा खासा पैसा कमाने के बावजूद यह फील्ड उन्हें अपने साथ नहीं जोड़ पाई और रवि ने अपने घरवालों के विरोध के बावजूद अपने गाँव लौटकर खेती-बाड़ी करने का निर्णय लिया और आज वह फूलों और सब्जियों की खेती कर सालाना लाखों कमा रहे हैं।

खेती का कोई अनुभव न होने के बावजूद रवि ने पाँच सालों में एक सफल किसान के रूप में पहचान पाई है। हिमाचल के चायल क्षेत्र के छोटे से गाँव बांजनी के रहने वाले रवि शर्मा बताते हैं कि जब वह अपने गाँव में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे थे तो उन्हें खेती-बाड़ी से कोई खासा लगाव नहीं था, बल्कि तब तो वह दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में रहकर काम करना चाहते थे। लेकिन जब वह बाहर निकले तो समझ आया कि अपनी मिट्टी का क्या महत्व है। बस फिर क्या था उन्होंने अपने पिता की नाराजगी के बावजूद जमी जमाई नौकरी छोड़कर खेती-बाड़ी करने का फैसला लिया और पाँच सालों की कड़ी मेहनत के बाद आज पूरे इलाके और हिमाचल में सफल किसान की श्रेणी में खड़े हो गये हैं।

खेती-बाड़ी में आए दिन नये प्रयोग करने वाले रवि शर्मा ने हाल ही में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती को अपनाया है और उनका कहना है कि इससे उनकी लागत कम होने के साथ आय में भी कई गुणा अधिक बढ़ोतरी हो गई है।

यह भी पढ़े - 11वीं पास किसान ने कर दिए कुछ ऐसे आविष्कार, आज सालाना टर्नओवर हुआ 2 करोड़!

ऐसे हुई शुरूआत

publive-image
रवि शर्मा

रवि बताते हैं कि दिल्ली में नौकरी करते-करते वह थक गए थे और अपने घर आकर वर्षाें से खाली पड़ी पुश्तैनी जमीन पर खेती करना चाहते थे लेकिन परिवार के विरोध के चलते ऐसा नहीं कर पा रहे थे। इसी बीच रवि ने वर्ष 2014 में अचानक नौकरी छोड़कर घर वापसी की और सबसे पहले सब्जियों की खेती करना शुरू कर दिया।

रवि बताते हैं कि इससे पहले न ही तो परिवार में किसी ने खेती बाड़ी की थी इसलिए यूट्यूब में विडियो देखकर और विशेषज्ञों से जानकारी लेकर शिमला मिर्च और टमाटर की खेती से पहले साल कुल 60 हजार रूपये की आमदनी हुई। इसके बाद उन्होंने कृषि और बागवानी विशेषज्ञों से भेंट कर क्षेत्र में होने वाली फूलों की खेती के बारे में जानकारी ली और पाॅली हाउस में फूलों की खेती शुरू कर दी। रवि बताते हैं कि इसमें भी शुरू में उन्हें बहुत नुकसान उठाना पड़ा लेकिन वे डटे रहे और फूलों और सब्जियों की खेती करके लगभग 10 लाख रूपये सालाना कमा रहे हैं।

प्राकृतिक खेती से बढ़ रहा मुनाफा

publive-image
रवि का फूलों का खेत

रवि कहते हैं कि पिछले साल से ही हिमाचल सरकार ने प्रदेश में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की शुरूआत की है। इसलिए उन्होंने भी इस खेती विधि के जनक पद्म श्री सुभाष पालेकर से छह दिन का प्रशिक्षण लिया और अपने खेतों में फूलों की खेती के साथ सब्जियों में भी प्रयोग शुरू कर दिया।

वह बताते हैं, "इस खेती विधि से पहले ही साल में लागत में 10 गुना कमी आई और मुनाफा दोगुणा हो गया। इसलिए अब मैंने अपनी पूरी खेती में इसी खेती विधि से खेती करने का फैसला लिया है। हमारे क्षेत्र में पानी की दिक्कत है इसलिए भी मैंने इस प्राकृतिक खेती विधि को अपनाया क्योंकि इसमें कम पानी लगता है।"

यह भी पढ़े - यूट्यूब से हर महीने 2 लाख रुपए कमाता है हरियाणा का यह किसान!

भाई ने नौकरी छोड़ भाई का साथ देने का लिया फैसला

publive-image
रवि के छोटे भाई अक्षय शर्मा भी एक निजी यूनिवर्सिटी में जाॅब कर रहे थे। पर रवि की सफलता को देखते हुए अब उन्होंने भी नौकरी छोड़कर भाई का साथ देने का फैसला लिया है। रवि शर्मा बताते हैं कि इस साल खेत एवं पॉलीहाउस में अलग-अलग वैराइटी की बीन्स, कलर्ड केप्सिकम, ब्रसिका केल जैसी सब्जियां लगाई थी। उन्होंने सब्जियों में सह-फसल के तौर पर धनिया लगाया है। वे बताते हैं कि धनिया लगाने से सब्जियों में जो व्हाइटफ्लाई की समस्या रहती थी उससे उन्हें निजात मिली है। फूलों की खेती में उन्होंने कारनेशन, डेजी, ग्लेडियोलस तथा गेंदा लगाया है।

रासायनिक दवाईयों की जगह प्राकृतिक उत्पादों का प्रयोग

publive-image
रवि ने अब खेती में प्राकृतिक खेती विधि में बताये गए घर में तैयार होने वाले आदानों जीवामृत, घनजीवामृत, सप्तधान्यांकुर, दशपर्णी अर्क, अग्निस्त्र आदि का पयोग शुरू किया है। इनसे उन्हें बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। रवि का कहना है कि लगातार रासायनों के प्रयोग से मिट्टी कठोर हो गई थी और उसकी उर्वरा शक्ति भी क्षीण हो गई थी। जीवामृत, घनजीवामृत के इस्तेमाल से मिट्टी का कठोरपन काफी हद तक कम हुआ है और मिट्टी की सेहत में सुधार भी हुआ है।

वह बताते हैं कि इनके इस्तेमाल से फूलों की ग्रोथ काफी बढ़िया हुई है। फूलों की ऊंचाई और आकार में बढ़ोतरी देखने को मिली है। रवि ने बताया कि जब वह रासायनिक खेती करते थे तो खाद और दवाईयों का लगभग 40 से 50 हजार तक का खर्च आता था और कमाई 3-5 लाख रूपये तक सालाना होती थी। रवि कहते हैं कि अभी तक वे आधी जमीन में ही खेती कर रहे थे लेकिन अगले साल से वे पूरी जमीन पर सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि से ही सब्जियों और फूलों की खेती के साथ सेब, इंग्लिश वेजिटेबल और विदेशी किस्म के फूलों की खेती शुरू करेंगे।

रवि से संपर्क करने के लिए आप उन्हें 7018507588 पर कॉल कर सकते हैं!

यह भी पढ़े - 9 साल में 5, 000 किसानों तक मुफ़्त देशी बीज पहुंचा चुके हैं यह कृषि अधिकारी!

लेखक - रोहित पराशर 

संपादन - मानबी कटोच 


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

Related Articles
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe