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इन 10 छोटे-छोटे बदलावों को अपनाकर, आप जी सकते हैं सस्टेनेबल जीवन

sustainable life

आजकल हममें से कई लोग अपने इर्द-गिर्द सस्टेनेबल घर, ईको-फ्रेंडली और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स के बारे में सुनते रहते हैं। समय के साथ जागरूकता आने से हममें से कई लोग प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना जीवन जीने की कोशिश कर रहे हैं। हालाँकि, अभी भी ऐसे लोगों की संख्या कम ही है। ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि हमारे अकेले के बदलने से क्या हो जाएगा?

अपने दैनिक जीवन में हम जो कुछ भी करते हैं, उसका प्रभाव हमारी धरती पर पड़ता है। फिर चाहे हमारा रोज का खाना हो या एक जगह से दूसरे जगह जाने  के लिए कार या स्कूटर का इस्तेमाल करना हो। 

क्या इसका मतलब यह है कि हमें केवल घर में सब्जियां उगाकर खानी चाहिए और हर जगह पैदल चलना शुरू कर देना चाहिए? नहीं हम बिल्कुल ऐसा करने को नहीं कर रहे हैं, लेकिन हां अपनी सोच में कुछ बदलाव लाकर,  हम शुरुआत तो कर ही सकते हैं। जहां मौका मिले, वहां हम अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण का काम कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए सकारात्मक सोच का होना बेहद जरूरी है। 

अगर आपके पास भी ऐसी सोच है, तो आप इन बदलावों के साथ एक सस्टेनेबल जीवन जीने की कोशिश कर सकते हैं। 

क्या है सस्टेनेबल जीवन?

सस्टेनेबल जीवन के लिए सबसे जरूरी यह है कि हम कोशिश करें कि अपनी सहूलियत के लिए हम प्रकृति को नुकसान न पहुंचाए। 

अहमदाबाद की पंक्ति पांडे पिछले कुछ सालों से लोगों को सस्टेनेबल और जीरोवेस्ट लाइफ जीने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इस लेख में हमने उनसे जाना कि कौन से ऐसे 10 आसान बदलाव हैं,  जिसे आम आदमी आराम से अपना सकता है। 

पंक्ति कहती हैं, “एक स्थायी और सस्टेनेबल जीवन शैली जीने के लिए हमें कम से कम अपने स्तर पर वेस्ट को कम करना होगा। हमारे उपयोग के बाद, बेकार चीजें कहाँ जाती हैं? इसका ध्यान रखकर ही हम बड़े बदलाव में एक छोटी सी मदद कर सकते हैं।”

शुरुआत करें इन 10 बदलावों सेः 

1.सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करें 

आज हमारे घर में दूध की थैली से लेकर राशन तक,  सबकुछ प्लास्टिक में पैक होकर आता है। ऐसे में हमें जितना हो सके इन प्लस्टिक बैग्स को रीसायकल करने का प्रयास करना चाहिए। लेकिन हर बार रीसायकल करना हमारे लिए मुश्किल होता है। इसलिए कोशिश करनी चाहिए की इसके इस्तेमाल से बचें। 

सिंगल यूज प्लास्टिक यानी जिसे हम कुछ मिनटों के उपयोग के तुरंत बाद फेंक देते हैं। इससे बचने के लिए हमेशा अपना रीयूज़ेबल कपड़े का थैला, कटलरी, कप और पानी की बोतल साथ रखनी चाहिए। 

2.पैकेज्ड फ़ूड खरीदने से बचें 

यह एक बेहद आसान उपाय है, जिससे आप अपने कचरे को कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने आस-पास फैंसी ज़ीरो वेस्ट स्टोर की तलाश करने की ज़रूरत नहीं है। आप अपने किराने की दुकान पर अपने कंटेनर लेकर जा सकते हैं। थोक खरीदारी की चीजों को प्लास्टिक मुक्त बनाने का यह आसान उपाय है, सालों पहले हमारे माता-पिता ऐसा ही करते थे। 

3. कम्पोस्टिंग 

हमारे घर का ग्रीन वेस्ट सबसे आसानी से रीसायकल किया जा सकता है। बावजूद इसके हम इसे यूं ही कचरे के डिब्बे में डाल देते हैं। क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है कि ये सारा कचरा आखिर जा कहां रहा है? आप इस ग्रीन वेस्ट से आराम से खाद बना सकते हैं। 

 यह काम न मुश्किल है और न ही ज्यादा खर्चीला। आप अपनी बालकनी या आँगन में बहुत कम जगह में हर रोज के 2-3 मिनट खर्च करके इसे बना सकते हैं। इसे आप अपने गार्डन में इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपके घर में गार्डन नहीं है, तो भी आप खाद बनाकर आस-पास लगे पेड़ों में इसका इस्तेमाल करके हरियाली फ़ैलाने का काम कर सकते हैं।  

4. रसायनों का उपयोग कम से कम करें 

हममें से अधिकांश लोगों को पता नहीं होता कि हमारे द्वारा रोजमर्रा में उपयोग किए जाने वाले सफाई के प्रोडक्ट्स, हमारे जल निकायों को कितना प्रदूषित करते हैं।  इसलिए जहरीले रसायनों का उपयोग करने के बजाय अपने लिए क्लीनर, शैम्पू और अन्य उत्पाद घर पर बनाने चाहिए। बड़ी आसानी से हम घर में उपलब्ध सामानों से पूरी तरह से रासायन मुक्त प्रोडक्ट्स बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।

5. कम खरीदें अधिक उपयोग करें

हम इंसान आज दिखावे की अंधी रेस का हिस्सा बनकर, बिना सोचे समझे वस्तुएं खरीद रहे हैं। फिर चाहे वह कपड़े हों,  खाना हो, इलेट्रॉनिक वस्तु या वाहन हो।  जरूरत से ज्यादा सामान लेकर हम इसे वेस्ट करते हैं और इसे मेन्टेन करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग करते हैं।  इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या खरीद रहे हैं, कम बर्बाद करें और अधिक उपयोग करें।

उपयोग के बाद कपड़े और वस्तुएं फेंकने के बजाय, इसे जरूरमंदों को दान करें।  

6. रीसायकल

आजकल कागज उत्पादों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक लगभग हर चीज को रिसायकल किया जा सकता है। इसलिए उपयोग  के बाद बेकार हुए सामान को लैंडफिल में भेजने से पहले, सोचें कि इसे कैसे रीसायकल किया जा सकता है। आप अपने आस-पास देखें,  आपको निश्चित रूप से रीसाइक्लिंग कंपनियां मिलेंगी जो आपके कचरे को रीसायकल कर सकती हैं।

7. लोकल और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स खरीदें 

एक समझदार उपभोक्ता होने के नाते हमें स्थानीय फल-सब्जियां या बाकि के उत्पाद खरीदने चाहिए। क्योंकि दूर से मंगाए गए उत्पाद में ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल होता है, वहीं इससे कार्बन उत्सर्जन भी होता है। हम ज्यादा से ज्यादा जैविक उत्पादों को चुनकर जैविक कृषि प्रणाली को बढ़ावा दे सकते हैं। यह भी सस्टेनेबल जीवन जीने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। 

8.इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग सोच समझ कर करें 

जिस तरह से बिजली और पानी के बिल दिन पर दिन बढ़ रहे हैं,  इससे यह बात तो साफ़ है कि हमें इसका उपयोग सोच समझकर करना चाहिए। यह न सिर्फ आर्थिक रूप से हमारे लिए नुकसानदायक है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी अच्छा नहीं है। क्योंकि इस ऊर्जा के उत्पादन में जो कार्बन उत्सर्जन होता है,  वह कहीं न कहीं प्रकृति को हानि पहुँचता है। इसलिए हमें इसका उपयोग जरूरत के हिसाब से करना चाहिए। वहीं सबसे अच्छा तो यह होगा कि हम अक्षय ऊर्जा यानी रिन्यूएबल एनर्जी, जैसे- सोलर ऊर्जा के उपयोग पर जोर दें। 

9. एक जागरूक यात्री बनें 

बेशक घूमने-फिरने का हमारे जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।  लेकिन इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि जब भी हम बाहर घूमने जाते हैं, तो जाने अनजाने में कुछ न कुछ गंदगी फैला कर आते हैं। जिसका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें एक जागरूक यात्री होने के नाते कोशिश करनी चाहिए कि जहां भी घूमने जाएं, वहां स्थानीय सामान की खरीदारी करें, स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें, कम से कम कचरा फैलाएं और वन्य प्राणियों और पेड़-पौधों को नुकसान न पहुचाएं। 

10. वाहन का उपयोग कम से कम करें

आज शहरों में जितने इंसान उससे ज्यादा गाड़ियां हो गई हैं। यह ना सिर्फ ट्रैफिक की समस्या के लिए जिम्मेदार है, बल्कि वाहन से निकलने वाला धुंवा हमारे वातावरण के लिए भी काफी हानिकारक है। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि कम दूरी वाली जगह, जैसे- सब्जी या किराने की दुकान तक पैदल ही जाएं। आपके ऑफिस आने-जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बेहतर सुविधा है, तो उसका उपयोग करें। अगर आप अपनी कार से जाएं भी तो कोशिश करें कि एक वाहन का उपयोग दो लोग करें। 

इस लेख का मकसद यह नहीं कि आप तुरंत ही इन सारे तरीकों को अपना लें। लेकिन हमें आशा है कि आपकी सोच में एक बदलाव जरूर आएगा।

संपादनः अर्चना दुबे

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