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मणिकंदन आर (Manikandan R) एक पर्यावरण और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनके जीवन का मिशन तमिलनाडु के कोयंबटूर में पानी के स्रोतों को फिर से जीवित करना है। पिछले 20 सालों से ज्यादा समय से वह इस काम में लगे हुए हैं।
मणिकंदन याद करते हुए बताते हैं, "मैंने बड़े करीब से देखा है कि जब मेरे गांव में एक सामुदायिक कुआं सूख गया, तो लोगों को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा।"
गांव में रहनेवाले लोग, ज्यादातर कामों के लिए इस कुएं पर निर्भर थे। हालांकि, कुआं सूखने की चर्चा पूरे गांव में हुई, लेकिन 17 साल के मणिकंदन ने इस घटना के मूल कारण का पता लगाने का फैसला किया।
काफी पड़ताल करने के बाद, उन्हें पता चला कि पास की एक सिंचाई नहर सूख गई है और कुछ ही किलोमीटर दूर एक चेक डैम है, जो टूट गया है, जिसकी वजह से बारिश के मौसम में पानी इसमें जमा नहीं हो पाया और गर्मियों में नहर व कुएं सूख गए।
जैसे ही मणिकंदन को कुआं सूखने का मूल कारण पता लगा, उन्होंने फौरन इससे जुड़े सरकारी अधिकारियों को इसके बारे में बताया और थोड़े ही समय में, उनके गांव में पानी की समस्या का हल निकल गया। यह घटना साल 2000 की थी। लेकिन इसके बाद, मणिकंदन ने जल स्रोतों (Water Bodies) को बचाने के लिए और भी कई काम किए।
आठवीं के बाद Manikandan R को छोड़नी पड़ी पढ़ाई
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मणिकंदन, कोयंबटूर के सुंदरपुरम गांव के एक गरीब परिवार में पले-बढ़े। माली हालत ठीक न होने के कारण, वह अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाए। आठवीं तक पढ़ने के बाद उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा और वह एक ट्रेनी के रूप में एक वर्कशॉप में शामिल हो गए।
उन्होंने जब अपने गांव में पानी की समस्या का समाधान किया, तो उन्हें लगा कि इस तरह के स्थानीय मुद्दों को थोड़ी सी कोशिश और सही अधिकारियों से संपर्क करके हल किया जा सकता है।
20 से ज्यादा सालों से सामाजिक कामों में लगे 39 वर्षीय मणिकंदन कहते हैं, "कुछ समय बाद, मैंने समुदायों से जुड़ी समस्याओं को हल करने की दिशा में काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे कई दूसरे तरह के सामाजिक काम भी करने लगा।"
जल योद्धा की मिली उपाधि
मणिकंदन ने एक ऐसे समूह का गठन भी किया, जिसका काम वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग लोगों को सरकारी सहायता के लिए आवेदन करने में मदद करना था। इसके अलावा, उनका समूह कई तरह की अन्य गतिविधियों में भी शामिल था, जैसे कि खेल और सांस्कृतिक एक्टिविटी कराना, जनसंख्या गणना के दौरान सरकारी अधिकारियों की मदद करना, मतदाता सूची वेरिफिकेशन ड्राइव, वृक्षारोपण, रक्तदान शिविर आदि।
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साल 2017 आते-आते उनके काम ने तब एक अलग मोड़ ले लिया, जब कोयंबटूर में एक बार फिर पानी की गंभीर समस्या हुई। मणिकंदन कहते हैं, "क्षेत्र में पानी की कमी के मुद्दे को हल करने के लिए मैंने 14 लोगों का एक छोटा नागरिक समूह बनाया और 'कोवई कुलंगल पाधुकप्पू अमैप्पु (कोयंबटूर तालाब संरक्षण संगठन)' नाम से एक एनजीओ की शुरुआत की, जिसका मकसद, कोयंबटूर और उसके आसपास के पानी के स्रोतों को फिर से जीवित करना है।
आज, एनजीओ में छात्रों और पेशेवरों सहित लगभग 100 नियमित सक्रिय सदस्य हैं, जो झीलों, तालाबों, नहरों, चेक डैम आदि की सफाई में शामिल हैं। मणिकंदन को इस काम के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है। इसी साल मणिकंदन को जल शक्ति मंत्रालय ने 'जल योद्धा पुरस्कार' से भी नवाजा है।
सूखी बदहाल झीलों में लौटी रौनक
मणिकंदन बताते हैं कि उन्होंने, उन पानी के स्रोतों को फिर से सही हाल में लाने पर ध्यान लगाने का फैसला किया, जो उपेक्षित थे और जिन्हें रख-रखाव की जरूरत थी। इसके लिए उन्होंने स्थानीय समुदायों से भी संपर्क बनाया। साल 2017 में एनजीओ ने पहली परियोजना शुरु की। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य 264 एकड़ की पेरूर झील को दुरुस्त करना था।
उन्होने बताया, "झील की सफाई का काम, सरकार से अनुमति लेकर वॉलन्टीयरों ने किया। ये वॉलन्टीयर्स, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर की गई अपील देखने के बाद काम करने के लिए आगे आए थे। झील की साफ-सफाई का काम पूरा करने में लगभग चार रविवार लगे, जिसमें सूखी झील के तल और बांधों से कांटेदार पेड़, झाड़ियाँ, प्लास्टिक कचरा और अन्य कचरे को हटाना शामिल था।"
मणिकंदन का दावा है कि अब तक उन्होंने कई जलाशयों से करीब 150 टन प्लास्टिक हटाया है। इसके अलावा, तीन नहरों (वेल्लोर राजवैयाकल, कुनियामुथुर नहर ) के लगभग 21.5 किलोमीटर और कट्टमपट्टी से गाद हटाया गया, नहरों को समतल और साफ किया गया। इसका फायदा यह हुआ कि वेल्लोर झील (85.9 एकड़), पेरूर बिग टैंक (265 एकड़) और कट्टमपट्टी झील (160 एकड़) जैसी तीन झीलें पानी से भर गईं।
Manikandan R की पहल से बढ़ गया है जल स्तर
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मणिकंदन बताते हैं कि उन्होंने अब तक शहर भर में लगभग पांच तालाबों से गाद पूरी तरह से हटा दी है। मलूमीचम्पट्टी तालाब (11 एकड़), वेल्लाची तालाब (3.61 एकड़), महालिअम्मन कोविल तालाब (3.5 एकड़) कदईकरण तालाब (1.12 एकड़) और ओडाइकडु तालाब (1.15 एकड़) से गाद निकालने के बाद, लगभग 1.412 मिलियन क्यूबिक फीट अतिरिक्त पानी निकला है। वह बताते हैं कि ये तालाब गाद निकालने के काम से पहले लंबे समय तक सूखे थे।
अब इन क्षेत्रों में जल स्तर काफी बढ़ गया है और किसानों को अपनी खेती को बढ़ाने में भी मदद मिली है। स्थानीय किसान रामास्वामी कहते हैं, मलुमिचमपट्टी तालाब को लगभग 15 सालों तक सूखा छोड़ दिया गया था और उन्हें खेती के लिए बाहर से पानी लाना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं करना पड़ता।
मणिकंदन कहते हैं, ''कोयंबटूर में ऐसे 900 से ज्यादा तालाब हैं और अब हम बाकी तालाबों से गाद निकालने की कोशिश कर रहे हैं।'' वेल्लोर झील के पास मियावाकी जंगलों के रूप में लगभग 10,000 देशी पेड़ पौधे लगाए गए हैं, जिनमें 90 तरह के हर्बल पौधे और 40 से अधिक तरह के फूल वाले पौधे शामिल हैं। उन्होंने एक बटरफ्लाई (तितली) गार्डन भी बनाया है, जहां तितलियों, मधुमक्खियों, ततैया और अन्य कीड़ों को आसानी से भोजन मिलता है।
मूल लेखः अंजली कृष्णन
संपादनः अर्चना दुबे
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