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'लव लोकल, बाय लोकल': महिला उद्यमियों ने सोशल मीडिया के ज़रिए किसानों को दिलाया लोकल बाज़ार

"हम किसानों को उनके उत्पाद के लिए एक मार्केट देना चाहते हैं। आज और भी जरुरत है स्थानीय किसानों और उद्यमों को अपने स्तर पर समर्थन देने की।"

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'लव लोकल, बाय लोकल': महिला उद्यमियों ने सोशल मीडिया के ज़रिए किसानों को दिलाया लोकल बाज़ार

कोरोना वायरस की महामारी से जहाँ पूरा विश्व जूझ रहा है वहीं भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में खासतौर पर कुछ वर्ग जैसे किसान, व्यापारी और प्रवासी मजदूरों के लिए यह महामारी एक बड़े संकट के रूप में उभर कर सामने आई है। कोरोनावायरस और टोटल लॉकडाउन इन वर्गों के लिए एक आर्थिक एवं मानवीय आपदा साबित हुआ है। यदि एक किसान की पूरी फसल बिकेगी नहीं तो मुनाफा कहाँ से आयेगा, व्यापार बंद है तो पैसे कहाँ से आएंगे और मज़दूरी मिलेगी नहीं तो रोज़ के खर्चे कैसे चलेंगे। ऐसे सवाल जहाँ एक आर्थिक मुसीबत की और इशारा करते हैं तो वहीं मानसिक दबाव की भी वजह होते हैं और जिसका परिणाम बेहद घातक हो सकता है। लेकिन अगर ऐसे समय में कोई मदद का हाथ आगे बढ़ाये तो वह किसी मसीहा से कम नहीं होता है। केरल में आठ महिला उद्यमियों का एक समूह स्थानीय किसानों के लिए ऐसा ही एक मसीहा बनकर सामने आया।

ये आठ महिलाएं हैं दीविया थॉमस, जीमोल, लैला सुधीश, इंदु जयराम, लिंडा राकेश, आशा सुरेश, बॉबी एंटनी और निमिन हिलाल।

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लव लोकल बाय लोकल से जुड़ी हुई आठ महिलाएं

दीविया थॉमस द बेटर इंडिया से बातचीत के दौरान बताती हैं, "हम किसानों को उनके उत्पाद के लिए एक मार्केट देना चाहते हैं। आज और भी जरुरत है स्थानीय किसानों और उद्यमों को अपने स्तर पर समर्थन देने की। यह नया 'बी 2 सी' यानी बिजनेस टू कंज्यूमर मॉडल एक नए तरीके की मांग करता है। यह उन किसानों के लिए मददगार है जो सीधे अपने ग्राहक तक नहीं पहुंच पाते और उन्हें एक मिडिलमैन की जरुरत पड़ती है जो मुनाफे का भी हिस्सा ले जाते हैं।"

वह आगे बताती हैं, "हमारी कोशिश है कि हम डिलीवरी तक किसानों की मदद कर सकें। हमें जैसे ही पता चलता है कि कोई स्थानीय किसान अपने उत्पाद को बेचना चाहता है, हम उससे जुड़ी सारी जानकारियों को पुख्ता करने के बाद किसान का नाम, फ़ोन नंबर और उत्पाद से जुड़ी डिटेल्स को हमारे फेसबुक पेज 'लव लोकल बाय लोकल' और व्हाट्सएप्प के माध्यम से शेयर कर देते हैं। इससे किसानों तक जल्दी ही उनके ग्राहक पहुँच जाते हैं और किसान को अपने उत्पाद का सही दाम मिल जाता है।"

लव लोकल बाय लोकल से मिला मार्केट

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लव लोकल बाय लोकल से जुड़े सुकुमारन उन्नी

सुकुमारन उन्नी जो थिरुनेली (वायनाड) में देसी धान, कॉफी और सब्जियों की खेती करते हैं कोरोना वायरस के कारण टोटल लॉकडाउन के वक़्त अपनी फसल को दूसरे राज्यों में नहीं भेज पा रहे थे, जिससे उनका बड़ा नुकसान हो सकता था लेकिन जब उनकी फसल और उससे जुड़ी जानकारी फेसबुक पेज 'लव लोकल बाय लोकल' और व्हाट्सएप्प के माध्यम से शेयर हुई, तब उन्हें कई ग्राहकों की तरफ से फ़ोन आया। हालाँकि सुकुमारन दूसरे राज्यों में अपनी फसल नहीं पहुँचा सके जिससे कई आर्डर कैंसिल भी हुए। इस फेसबुक पेज का फायदा आगे भी कई किसानों को मिला जिनमें अनानास किसान बीबिन वासु भी शामिल हैं।

चेरथला (केरल) के किसान भाग्यराज भिंडी, करेला, केला, लौकी, ककड़ी, स्ट्रिंग बीन्स और पपीते की खेती के अलावा चिकन, बतख और बटेर का भी व्यापार करते हैं। भाग्यराज के उत्पाद और उनसे जुड़ी जानकारी जब 'लव लोकल बाय लोकल' और व्हाट्सएप्प पर शेयर हुई तब मुनाफा तो मिला ही साथ ही साथ भाग्यराज को आगे भविष्य के लिए भी बहुत से स्थायी ग्राहक मिल गए।

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लव लोकल बाय लोकल से जुड़े भाग्यराज

द बेटर इंडिया से बातचीत के दौरान आम की खेती करने वाले किसान स्टैनली बताते हैं, "मुझे अपने एक दोस्त से 'लव लोकल बाय लोकल' से जुड़ी जानकारी मिली जिसमें आठ महिला उद्यमियों का एक समूह स्थानीय किसानों की मदद के लिए आगे आ रहा था। लॉकडाउन के दौरान मेरे लिए मुश्किल था अपनी आम की फसल को बेचना और फिर मैंने इस समूह से मदद ली। फेसबुक पेज और व्हाट्सएप्प पर शेयर हुई जानकारी के बाद मुझे स्थानीय स्तर पर ही कई ग्राहक मिले जिससे मेरी फसल बर्बाद होने से बची।"

लोकल किसानों को दीजिये समर्थन 

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लोकल उत्पादों को प्रमोट करता लव लोकल बाय लोकल

लव लोकल बाय लोकल के आठ महिला उद्यमियों के समूह में से एक जीमोल बताती हैं, "लव लोकल बाय लोकल से जुड़ी हम सभी आठ महिलाएँ आपस में काफी अच्छी दोस्त हैं। लॉकडाउन के दौरान हमने एक वीडियो बनाने का जो आखिर में एक सोशल मैसेज दे और हमें ख्याल आया उस अनानास किसान का जो लॉकडाउन से पहले हमारी सोसाइटी में कई किलो अनानास बेच जाता था। ज़ाहिर था लॉकडाउन में उस किसान के लिए अनानास बेचना मुश्किल था। वीडियो में हमने बताया कि क्यों जरुरी है इस महामारी के दौरान लोकल लेवल पर अपने किसानों की मदद करना या स्थानीय उद्यमों को समर्थन देना।"

वह आगे बताती हैं, "हमें वीडियो को कैसे शूट करना है इसका कोई आइडिया नहीं था। वीडियो में मैंने अपना पार्ट शूट करने के लिए अपने पति और बच्चों से मदद ली। हम आठ महिला उद्यमी हैं इसलिए हमें पता था कि अगर हमारा नाम इस फेसबुक ग्रुप के साथ जुड़ा हुआ है, तो हमारे लिए यह बेहद जरुरी है कि हम किसान और उनके उत्पादों से सम्बंधित जो भी जानकारी पोस्ट करें वह सही हो। मैं फ़ूड सेक्टर से जुड़ी हुई हूँ इसलिए समझती हूँ कि फ्रेश फ़ूड हमारे लिए कितने मायने रखते हैं और किसान ही तो वह जरिया हैं हम फ्रेश फ़ूड पहुँचाने का। अगर वो अपनी जिम्मेदारी ईमानदारी से निभाते हुए हमें अच्छा और स्वस्थ उत्पाद खिला रहे हैं तो हमारी इतनी ज़िम्मेदारी तो बनती ही हैं कि इस लॉकडाउन के बुरे दौर में हम उन तक मदद का हाथ बढ़ाएं।"

वह कहती हैं कि वीडियो पोस्ट होने के बाद उन्हें इतना सपोर्ट मिलेगा यह उन्होनें कभी नहीं सोचा था। वह अपने स्तर पर इन किसानों की और मदद करना चाहती हैं।

कोई भी कर सकता है यह काम 

लव लोकल बाय लोकल समूह की सदस्य इंदू जयराम खेती किसानी को बहुत करीब से देख चुकी हैं क्योंकि उनका परिवार खेती से जुड़ा हुआ है। इंदू बताती हैं, "हम आठों सदस्य बहुत खुश थे क्योंकि हम कुछ ऐसा कर रहे थे जिससे किसानों की मेहनत को लोग समझेंगे और लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद किसानों तक मदद पहुंचेगी। अगर हम यह कर सकते हैं तो कोई भी कर सकता है। अपने आस पास नज़र दौड़ाइए और लोकल लेवल पर अपने किसानों की मदद करिये। उनसे और उनके उत्पाद से जुड़ी जानकारी को सोशल मीडिया पर शेयर करिये, यह करके आप उन तक मदद का हाथ बढ़ा सकते हैं।"

बॉबी एंटनी जो लव लोकल बाय लोकल समूह से जुड़ी हुई हैं ईश्वर का शुक्रिया करती हैं कि उन्हें मौका मिला जरूरतमंद किसानों की मदद करने का। बॉबी कहती हैं, "प्रमोट लोकल, अगर हम वास्तव में राष्ट्र निर्माण चाहते है तो हमें दूसरों के घर में चिराग जलाने से पहले अपने घर में उजाला करना होगा, हमें पहले अपने स्थानीय उत्पादों और उद्यमों को समर्थन देना होगा।"

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लव लोकल बाय लोकल से लाभान्वित किसान

लोकल के लिए वोकल की इस सोच को चरितार्थ करने वाली इन सभी महिलाओं को द बेटर इंडिया सलाम करता है।

संपादन- पार्थ निगम

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