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“कोई परीक्षा बस एक ‘क्वालिफायर’ है, यह न तुम्हारी योग्यता को आँकने का साधन है, न ही तुम्हारे सपनों को पूरा करने का ज़रिया।” यह बात मेरे पिताजी हर महत्वपूर्ण परीक्षा के पहले मुझसे कहा करते थे।
कुछ साल बाद ही यह बात उस 27 वर्षीय युवक के लिए सच साबित होती लगी, जिसने सिविल सर्विस परीक्षा (CSE) में कई प्रयासों में असफल होने के बाद भी हजारों लोगों को प्रेरणा दी है।
आज मिलिये आईआईटी, मद्रास के पूर्व छात्र अकन्द सितारा से जो यूपीएससी परीक्षा में कुछ अंक से पीछे रह जाने के बाद भी सरकारी सेवा में अपना करियर बनाने में सफल हुए। आज ये कोरा (quora) सेलिब्रिटी हैं, जो सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने वाले हज़ारों युवाओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए अकन्द बताते हैं, “मैंने पिछले कुछ सालों में बहुत परीक्षाएँ दी हैं। आप कुछ में सफल होते हैं और कुछ में असफल, जैसा कि आम तौर पर ज़िंदगी में होता है। मेरे लिए यह इस बात का एक अनुभव रहा कि लक्ष्य परीक्षा में महज़ सफल होना ही नहीं है, क्योंकि यह आगे पहुँचने के लिए सिर्फ़ पहला कदम है। असल मक़सद उस चीज़ को पाना है जो इसके आगे है और वह है एक करियर की शुरुआत। इसलिए ध्यान वहाँ होना चाहिए। ज़रूरी नहीं कि इस लक्ष्य तक पहुँचने का सिर्फ एक ही रास्ता हो, और भी कई रास्ते हो सकते हैं।“
इन्होंने 2013, 2014 और 2015 में सिविल सर्विस की परीक्षा दी, पर कुछ अंकों से पीछे रह गए। लेकिन इसके कुछ ही महीने बाद 2016 में ये गृह मंत्रालय में काम करने लगे।
आईआईटी-एम से बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक करने के बाद इन्होंने बेंगलुरु की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करना शुरू किया। पर यह इनके उस लक्ष्य से काफी अलग था जो ये हासिल करना चाहते थे। दरअसल, इन्हें कुछ और ही करना था।
2013 में नौकरी मिलने के बाद भी अपने लक्ष्य की तलाश में जुटे अकन्द कहते हैं, “नौकरी मिलने के बाद भी मैं ‘रिलैक्स मोड’ में नहीं आ पाया। मुझे पता था कि ये वह नहीं है जो मैं करना चाहता था। मैं ‘पॉलिसी मेकिंग’ (नीति निर्माण) के क्षेत्र में काम कर लोगों की मदद करना चाहता था।“
इसी सोच के साथ इन्होंने फिर से सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने का निर्णय लिया और कुछ महीनों की तैयारी के बाद प्रारम्भिक परीक्षा पास करने में सफल हुए।
अकन्द आगे कहते हैं, “मैंने यह महसूस कर लिया था कि पुराने विषयों जैसे इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र आदि तक वापस ले जाने वाला यह सफ़र मेरे लिए रोमांचक था। मुझे घंटों घूमने या काम पर वक़्त बिताने से अधिक कुछ सीखना पसंद था। फिर मैंने एक कठिन निर्णय लिया और इस लक्ष्य के लिए ख़ुद को समर्पित कर देने के लिए नौकरी छोड़ दी।“
अपने माता-पिता के सहयोग और सीखने के जुनून के साथ अकन्द आख़िरकार मुख्य परीक्षा में सफल हो गए।
ये बताते हैं, “मैं परिणाम का इंतज़ार कर रहा था और इस खाली समय का सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहता था। यही वो समय था जब मैं कोरा के संपर्क में आया, जो तब धीरे-धीरे लोगों के बीच प्रचलित हो रहा था। तब मैंने सोचा कि अपने लिखने के अभ्यास और महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार रखने के साथ अपनी जानकारी को साझा करने के लिए यह सही मंच है।“
शिक्षा, राजनीति और तेल उद्योग जैसे विषयों पर अकन्द ने लिखना शुरू किया। सौभाग्य से कोरा पर पूछे जाने वाले सवालों के इनके जवाब जल्द ही लोकप्रिय होने लगे। छह महीने के भीतर ही इनके क़रीब 1000 फॉलोअर बन गए।
सिविल सेवा परीक्षा के साक्षात्कार के बाद अप्रैल 2014 में परिणाम आया और इस बार अकन्द मात्र 10-15 अंकों से पीछे रह गए।
हार को अस्वीकार करते हुए अकन्द ने कोरा पर सक्रिय रहते हुए फिर से एक कोशिश करने की ठानी।
2015 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की परीक्षा और भारतीय इंटेलिजेंस ब्यूरो में शामिल होने के लिए परीक्षा देने वाले अकन्द बताते हैं, “मैं लक्ष्य के बहुत क़रीब था, पर चूक गया। मुझे पता था कि फिर से कोशिश करनी पड़ेगी। पर मेरा आत्मविश्वास खो रहा था। मैंने एक साल बिना नौकरी के बर्बाद किया। भावनात्मक रूप से मैं कमजोर महसूस कर रहा था, फिर भी मैं दृढ़ बना रहा। मैंने ख़ुद से बस इतना कहा कि यही एकमात्र रास्ता है। और यहीं से मैंने अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के विकल्पों को तलाशना शुरू किया, जिससे मुझे देश के लिए काम करने का अवसर मिल सके।“
एक बार फिर ये यूपीएससी की प्रारम्भिक और मुख्य परीक्षा के साथ ही आरबीआई की परीक्षा में सफल हो गए, पर सिविल सर्विस के साक्षात्कार में अपनी जगह नहीं बना पाये। लेकिन ऊपर वाले ने इनके लिए कुछ और ही सोच रखा था। ये इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की परीक्षा में सफल हो गए और जल्द ही असिस्टेंट सेंट्रल इंटेलिजेंस ऑफिसर (ACIO) के पद पर नियुक्त हो गए।
3 महीने लंबी चली प्रक्रिया के बाद आख़िरकार मई 2016 में इन्हें आईबी में नौकरी मिली। इसके साथ ही इन्होंने कोरा में अन्य विषयों के साथ अपने इस सफ़र के बारे में लिखना जारी रखा।
इन्होंने बताया, “2016 में मैं गृह मंत्रालय की सेवा में शामिल हुआ और शिवपुरी के आईबी प्रशिक्षण केंद्र में, फिर दिल्ली के नेशनल इंटेलिजेंस अकादमी में प्रशिक्षण के लिए गया। इसके बाद मुझे बिहार में नियुक्ति मिली, जहाँ मैंने कुछ महीने तक काम किया। इसके बाद भारत-नेपाल बॉर्डर पर एक छोटे-से गाँव बैरगनीय में मेरी नियुक्ति हुई। यह एक संवेदनशील नक्सल क्षेत्र था, जहाँ काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण था। इसी समय मुझे 2017 की बाढ़ के दौरान सेवा करने का मौका मिला।"
आप यहाँ इस घटना के बारे में विस्तृत जानकारी पा सकते हैं।
सिविल सेवा की परीक्षा को समझना
भारत में सिविल सेवा परीक्षा सबसे कठिन व लोकप्रिय प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जिसमें सफलता दर मात्र 0.2 प्रतिशत है। हजारों युवा अपने जीवन के कई साल और दिन के करीब 10 घंटे इसकी तैयारी के लिए लगा देते हैं, यह जानते हुए भी कि 1000 प्रतियोगियों में से मात्र 2 ही इसमें सफल हो पाएंगे।
अकन्द के सफ़र और इनके कोरा अकाउंट ने इस प्रतियोगिता का एक अन्य विकल्प लोगों के सामने लाया। इस प्रतिष्ठित परीक्षा की तैयारी को सरल बना कर इन्होंने कई युवाओं के सपनों के साकार होने में मदद की है।
ये कहते हैं, “अगर आप सरकारी सेवा में रह कर देश के लिए काम करना चाहते हैं, तो यूपीएससी ही एकमात्र रास्ता नहीं है। कई लोग सत्ता और पद के लोभ में यह परीक्षा देते हैं, पर मैं लोगों को दिखाना चाहता हूँ कि वहाँ तक पहुँचने के और रास्ते भी हैं।”
अकन्द बताते हैं, “एक व्यक्तिगत घटना भी मेरे उद्देश्य के लिए प्रेरक बनी। मेरा एक सबसे अच्छा दोस्त जब 7वीं बार के प्रयास में भी इस परीक्षा को पास करने में विफल रहा, तब उसने आत्महत्या करने की कोशिश की। इस घटना ने मुझे भीतर से हिला दिया और इस सच के प्रति मेरी आँखें खोल दी कि किस तरह कई युवा हर साल इस चक्रव्यूह में फंस जाते हैं। अपने कई प्रयासों के बाद मैं भी इसमें फंसा रहा था, पर समय रहते निकल गया।”
इन्होंने महसूस किया कि असली खुशी इस परीक्षा को पास करने में नहीं, बल्कि उसे पाने में है जो इसके आगे है। इसलिए एक रास्ते पर खड़े रहने की बजाय इन्होंने उस मंज़िल तक पहुँचने के दूसरे रास्ते तलाशने शुरू कर दिये और साथ ही अपने अनुभव और उससे मिले ज्ञान को लोगों में बांटते भी रहे।
कोरा में पिछले 4 सालों में इन्होंने 300 से अधिक सवालों के जवाब दिये हैं और क़रीब 60,000 सब्सक्राइबर बनाए हैं।
प्रधानमंत्री के कार्यालय में बिना सिविल सेवा की परीक्षा पास किए आप कैसे काम कर सकते हैं, इस बारे में अकन्द का जवाब जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
दोराहे पर एक बार फिर
तीन साल काम करने के बाद इन्होंने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया।
अकन्द ने आईबी की अपनी नौकरी छोड़ कर अप्रैल 2019 में एमबीए करने के लिए आईएसबी, हैदराबाद में दाखिला लिया। वे कहते हैं, “आपका करियर स्थिर नहीं हो सकता, क्योंकि एक व्यक्ति के रूप में आप लगातार सीखते और विकसित हो रहे होते हैं। जहाँ तक मेरी बात है, मैंने महसूस किया कि मुझे आदेशों का पालन करने की जगह नीति-निर्माण के कार्य में अधिक दिलचस्पी थी। इसलिए मैं अपने काम से विराम लेना चाहता था और ख़ुद को अच्छी तरह तैयार कर दूसरे माध्यम से सरकारी सेवा में वापस आना चाहता था।“
पूरी तैयारी के साथ वह एक बार फिर सार्वजनिक नीति सलाहकार के क्षेत्र में वापस जाने का प्रयास करना चाहते हैं।
सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने वाले युवाओं को सलाह देते हुए ये कहते हैं कि किसी को भी उस चीज़ को पाने से पीछे नहीं हटना चाहिए, जिससे वे बहुत प्यार करते हैं और उस पर भरोसा रखते हैं। लेकिन चूहा दौड़ से ख़ुद को बचाना और उस काम को करना उपलब्धि का पहला चरण है। ज़िंदगी बहुत छोटी है, इसलिए ऐसा कुछ न करें जो आपको पसंद नहीं।
अंत में ये कोरा सेलेब्रिटी अपनी बात समाप्त करते हुए कहते हैं, “आख़िरकार, यूपीएससी मुश्किलों का कोई एकमात्र हल नहीं है, यह अनेक हलों में से एक है जो आपको आगे ले जा सकता है। अगर ये नहीं तो आपके पास और भी रास्ते हैं।“
संपादन – मनोज झा
मूल लेख - अनन्या बरुआ