/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2023/12/Best-IAS-2023-1703842844.jpg)
प्रशासनिक सेवा न सिर्फ एक बड़ी जिम्मेदारी है बल्कि बड़े सम्मान का भी सूचक होता है। देश के लाखों युवा IAS, IPS, IFS जैसे अधिकारी बनकर देश की सेवा करना का सपना देखते हैं। हालांकि, इस परीक्षा को पास करके अफसर बनना इतना आसान नहीं होता। लेकिन वह सपना ही क्या जिसे मुसीबतों के डर से पूरा न किया जा सके?
एक अधिकारी बनने के अपने सपने के लिए जिन्होंने हर एक मुसीबत को हराकर लिखी सफलता कहानी। द बेटर इंडिया में उन मेहनतकश युवाओं की कहानियां हम अक्सर लेकर आते रहते हैं।
/hindi-betterindia/media/post_attachments/2023/12/Best-IAS-2023-1703845629-1024x580.jpg)
चलिए जानें, इस साल किस प्रशासनिक अधिकारी की प्रेरक कहानी से मिली आपको सबसे ज़्यादा प्रेरणा।
1. दीपेश कुमारी
पिता का सपना था कि बेटी खूब पढ़ लिखकर परिवार का नाम रोशन करे। आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने 25 सालों तक चाय-पकौड़े का ठेला लगाकर, मुश्किल से परिवार का खर्च चलाया लेकिन बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी।
यह कहानी है राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले गोविंद प्रसाद और उनकी बिटिया दीपेश कुमारी की।
दीपेश आज एक IAS अफ़सर के रूप में देश की सेवा कर रही हैं और इस मुक़ाम तक पहुँचने का उनका सफ़र है बेहद प्रेरणादायक!
2. इरा सिंघल
दिल्ली की डिप्टी कमिश्नर रह चुकीं IAS इरा सिंघल, फिलहाल अरुणाचल प्रदेश में पोस्टेड हैं और अपने बेहतरीन कामों के लिए जानी जाती हैं। लेकिन आज उनकी मंज़िल जितनी खूबसूरत लगती है, उनका सफर उतना ही मुश्किलों भरा रहा। उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली इरा सिंघल हमेशा से ही लिखने-पढ़ने की शौकीन थीं।
स्कोलियोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित इरा ने शुरुआती शिक्षा मेरठ के सोफिया गर्ल्स स्कूल से ली और फिर आगे की पढ़ाई के लिए, दिल्ली आकर उन्होंने नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक किया और फिर डीयू से एमबीए की डिग्री हासिल की।
इरा ने बचपन में अपने ज़िले में कई बार कर्फ्यू देखा था। वह हर बार सुनती थीं कि DM ने कर्फ्यू का आदेश दिया है। बचपन से ही उन्हें लगता था कि डीएम के पास बहुत पावर होती है और तभी से उन्होंने ठान लिया कि उन्हें भी अफसर बनना है। हालांकि, दिव्यांगता के कारण लोग हमेशा से ही उनकी काबिलियत पर शक़ करते थे, लेकिन इरा ने कभी इसे अपनी मंजिल के बीच नहीं आने दिया और तीन बार UPSC परीक्षा पास की।
3. विनीत नंदनवार
विनीत की खुद की कहानी भी काफी संघर्षों से भरी है। सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने वाले विनीत को बचपन में अंदाजा भी नहीं था कि आखिर IAS बनते कैसे हैं। वह सिर्फ कलेक्टर बनने का सपना लिए घर से उच्च शिक्षा के लिए निकल गए थे। बाद में उन्होंने UPSC की तैयारी करना शुरू किया।
घर के हालात उन्हें नौकरी करने के लिए मजबूर कर रहे थे। लेकिन उन्होंने कभी भी कठिन परिस्थिति में हार नहीं मानी और कोशिश करना नहीं छोड़ा। नौकरी के लिए उन्होंने शिक्षा कर्मी की परीक्षा भी दी थी लेकिन वह उसमें भी असफल रहे।
लेकिन फिर भी अपने जज़्बे को कमजोर नहीं होने दिया। उनकी इसी दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने अपने चौथे प्रयास में UPSC पास किया और आखिरकार कलेक्टर बन ही गए। विनीत अब शिक्षा की इसी शक्ति से नक्सल इलाके की तस्वीर बदलने की कोशिश में लगे हैं।
4. गोविंद जायसवाल
जहां चाह होती है, वहां राह भी बन ही जाती है और इस बात को सच साबित किया है IAS गोविंद जायसवाल ने। गोविंद ने तमाम परेशानियों के बावजूद पूरी हिम्मत और लगन से मेहनत कर आखिरकार वह मुकाम हासिल कर ही लिया, जहां तक पहुंचने का वह हमेशा से सपना देखा करते थे।
हालांकि, यह सफर और यह कहानी सिर्फ गोविंद की नहीं है। यह कहानी उनके पिता नारायण जायसवाल के परिश्रम और त्याग की भी है। यह कहानी उस रिक्शा चालक पिता की भी है, जिसने कभी अपने ज़ख्म छुपाए तो कभी कई रातें भूखे रहकर गुज़ारीं और बेटे को बना दिया IAS अधिकारी।
5. अंजू शर्मा
बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाने या अच्छे एकेडमिक रिकॉर्ड न होने से आपका करियर खराब हो जाएगा, ऐसा बिल्कुल नहीं है और इसे साबित किया है गुजरात कैडर की IAS अधिकारी अंजू शर्मा ने। 1991 बैच की IAS ऑफिसर अंजू शर्मा 10वीं क्लास की प्री बोर्ड परीक्षा में केमिस्ट्री में फेल हो गई थीं और फिर 12वीं में इकोनॉमिक्स के पेपर में भी।
लेकिन इन असफलताओं से अंजू ने हार नहीं मानी और इस पूरे सफर में उनकी माँ ने उनका काफी साथ दिया।
दो बार फेल होने के बाद भी अंजू निराश नहीं हुईं, बल्कि उन्होंने सीख ली कि परीक्षा से ठीक पहले की तैयारी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। परीक्षाओं की तैयारी पहले से ही शुरू कर देनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई के साथ ही UPSC की तैयारी भी शुरू कर दी।
उन्होंने महज़ 22 साल की उम्र और अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। अंजू का कहना है कि UPSC की परीक्षा हो या बोर्ड की, सिर्फ एक परीक्षा ही तो है। एक बार की असफलता से निराश होने के बजाय, उससे सीख लिजिए। आपके पास कई मौके होते हैं, सफलता हासिल करने के लिए, बस कोशिश करते रहें।
प्रेरणा से भरी ऐसी और कहानियां आने वाले साल में भी हम लेकर आते रहेंगे।
यह भी पढ़ें- 2023 में द बेटर इंडिया की कहानियों का असर