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बैम्बू, मिट्टी और गोबर से बना ‘फार्मर हाउस’, जहां छुट्टी बिताने आते हैं लोग और सीखते हैं जैविक खेती

farmstay near mumbai
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अक्सर शहर में रहने वाले लोगों को गांव के जीवन और जैविक खेती के बारे में जानने की इच्छा होती है। लेकिन यह भी सच है कि विकास की अंधी आंधी में गांव भी शहरी जीवन की राह पर तेजी से बढ़ रहा है। गांव में पारंपरिक कच्चे मकान और खेतों के बीच बने घर अब तो नहीं के बराबर दिखते हैं। यदि कहीं दिख भी जाता है, तो वह कंक्रीट का बना होता है। लेकिन आज हम आपको महाराष्ट्र के एक ऐसे फार्म के बारे में बताने वाले हैं, जहां आकर लोग गांव में बसे किसानों के जीवन से जुड़ सकते हैं और पारंपरिक तरीके से बने घर में रहने का आनंद उठा सकते हैं। यह प्रेरक कहानी महाराष्ट्र के पालघर जिला स्थित वाडा शहर के पास बसे एक छोटे से गांव ऐनशेत (Ainshet) में रहने वाले रोहन सुधीर ठाकरे की है। उन्होंने अपने नौ एकड़ के खेत में पारंपरिक तरीके से फार्मस्टे (Farmstay near Mumbai) बनाया है। साथ ही, वह जैविक तरीके से खेती भी कर रहे हैं। 

यह गांव अपनी भौगोलिक दृष्टि से भी बेहद खास हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए रोहन ने बताया, “मेरा गांव तीनों तरफ से तीन नदियों से घिरा है। पहले यह गांव पूरी तरह से खेती पर ही निर्भर था। मुझे याद है कि 1985 तक गांव का हर घर खेती से जुड़ा था। यहां के चीकू एक समय में देशभर में मशहूर थे। लेकिन समय के साथ लोग शहरों की तरफ जाने लगे और खेती लगभग बंद हो गई।”

रोहन सुधीर ठाकरे

इजरायल से सीखी जैविक खेती 

रोहन मूल रूप से किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका जन्म गांव में ही हुआ था। लेकिन पढ़ाई के लिए वह 2007 में ठाणे आ गए थे। उन्होंने सिक्यूरिटी मैनेजमेंट की पढ़ाई की और शहर में रहकर ही सिक्यूरिटी कंपनी चलाने लगे। वह इजरायल की एक टेक्नोलॉजी कंपनी के साथ मिलकर काम कर रहे थे। इसी सिलसिले में वह अक्सर इजरायल जाते भी रहते थे।

वह कहते हैं, “मैं जिस कंपनी के साथ काम कर रहा था, उसके मालिक मेरे पिता की उम्र के थे। वह बिजनेस के साथ खेती से भी जुड़े थे। वह अक्सर मुझे अपने खेत दिखाने ले जाते थे। जब उन्हें पता चला कि मैं भी किसान परिवार से ताल्लुक रखता हूं, तब उन्होंने मुझे जैविक खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।”

गांव में रोहन के पास एक एकड़ पुश्तैनी जमीन थी। इजरायल में जैविक खेती के बारे में जानकारी जुटाने के बाद 2018 में रोहन ने आठ एकड़ और जमीन खरीदी और जैविक तरीके से तरबूज, वाडा कोलम और दूसरी कई फसलें उगाने लगे। गांव के दो और किसान भी उनसे जुड़कर जैविक खेती करने लगे। इस बीच अक्सर आस-पास के शहर से लोग उनके खेत (Farmstay near Mumbai) पर घूमने आते थे। 

रोहन कहते हैं, “एक बार मुंबई से एक सरकारी अधिकारी मेरे खेत पर आए। वह अपनी बेटी को यह दिखाने लाए थे कि तरबूज कैसे उगते हैं? वे हमारे खेत पर रुके भी थे। हालांकि, तब यहां रुकने की अच्छी व्यवस्था नहीं थी। लेकिन तभी मैंने सोचा कि मुझे फार्मस्टे (Farmstay near Mumbai) बनाना चाहिए ताकि लोग यहां आराम से रुक सकें।”

पिछले साल लॉकडाउन के दौरान उन्होंने होमस्टे बनाने की शुरुआत कर दी। 2020 के अगस्त महीने में, उनका फार्मस्टे (Farmstay near Mumbai) बनकर तैयार हो चुका था। इसके बाद उन्होंने ‘फार्म 360’ के नाम से फेसबुक पेज बनाया। 

Eco-friendly Farmhouse

ईको-फ्रेंडली फारेस्ट कॉटेज और फार्मर हाउस 

रोहन ने कुछ अलग तरीके से खेतों के बीच फार्मस्टे (Farmstay near Mumbai) तैयार किया है। उन्होंने अपने खेतों में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर कॉटेज बनवाएं हैं। दो कॉटेज पूरी तरह बनकर तैयार हैं, जिनका नाम उन्होंने ‘फारेस्ट कॉटेज’ और ‘फार्मर हाउस’ रखा है। 

उन्होंने फारेस्ट कॉटेज को नेचुरल कूलिंग सिस्टम के आधार पर बनाया है। वहीं फार्मर हाउस को बांस, गोबर और मिट्टी से तैयार किया गया। इन दिनों वह एक और कॉटेज बना रहे हैं, जिसे चूना, लकड़ी और मिट्टी के इस्तेमाल से तैयार किया जा रहा है।

रोहन ने फार्मर हाउस (Farmstay near Mumbai) के बारे में बताया, “इसे हमने कम से कम खर्च के साथ बनाया है। इसमें स्थानीय मिट्टी और गांव की लकड़ी और रीसायकल दरवाजे, खिड़कियों का इस्तेमाल किया गया है। यह 450 स्क्वायर फीट का कॉटेज है।”  

फार्मर हाउस में तीन फ़ीट की मिट्टी की दीवार है, जिसपर गोबर की लिपाई की गई। यहां गर्मी के दिनों में भी अच्छी ठंडक रहती है। इसमें बाथरूम के लिए केवल 10 प्रतिशत सामान ही खरीदकर इस्तेमाल किया गया है। बाकी सभी वस्तुएं रीसायकल करके इस्तेमाल में ली गई हैं। 

Making of Farmer House

रोहन कहते हैं, “फार्मर हाउस (Farmstay near Mumbai) को तैयार करने में कुल खर्च, एक लाख 70 हजार रुपये आया। यह दो कमरों का एक ऐसा घर है, जहां एक परिवार आराम से रह सकता है। मैंने इस कॉटेज को गांव के लोगों की मदद से बनवाया है।”

रोहन ने बताया कि फारेस्ट कॉटेज को दक्षिण भारत के एक आर्किटेक्ट पृथ्वी जय नारायण ने बनाया है। इस कॉटेज के बारे में वह कहते हैं, “इसे हमने नेचुरल कूलिंग सिस्टम के आधार पर बनाया है। इसे लाल मिट्टी की ईंट से तैयार किया गया है। इसमें हमने सीमेंट प्लास्टर का उपयोग नहीं किया है।  साथ ही, जालीदार वेंटिलेशन बनाएं हैं, ताकि रौशनी और ठंडक बनी रहे। इस कॉटेज में भी दो कमरे और दो बाथरूम बने हैं। इसे बनाने में 6 लाख रुपये का खर्च आया। ”  

फर्श की बात करें तो फार्मर हाउस (Farmstay near Mumbai) में जमीन को कच्चा ही रखा गया है और यहां हमेशा गोबर की लिपाई की जाती है। जबकि फारेस्ट हाउस में मैंगलोर टाइल्स लगी हैं। 

खेती और ग्रामीण जीवन से जोड़ता हैं फार्म 360 

रोहन ने अपने फार्म (Farmstay near Mumbai) में एक कैंटीन एरिया भी बनाया है। जहां मेहमानों को जैविक और सादा भोजन परोसा जाता है। इस कैंटीन का नाम उन्होंने Kibbutz रखा है। Kibbutz इज़राइल के एक समुदाय का नाम है, जो खेती से जुड़े हैं।  

Canteen in Farm

रोहन के फार्मस्टे (Farmstay near Mumbai) में रह चुकीं भिवंडी की रहने वाली निवेदिता आशीष पाटिल कहती हैं, “पिछले साल लॉकडाउन में थोड़ी छूट मिलने के बाद हम कहीं घूमना चाहते थे। सोशल मीडिया के माध्यम से हमें फार्म 360 की जानकारी मिली। वहां रहने का अनुभव बिल्कुल अनोखा था। रोहन ने ईको-फ्रेंडली और रीसायकल की हुई वस्तुओं से एक बेहतरीन फार्म बनाया है। वहां बने कमरे प्राकृतिक रूप से ठंडें और  हवादार थे। उन्होंने आर्किटेक्चर में वेंटिलेशन का विशेष ध्यान रखा है।”

इसके अलावा, निवेदिता को वहां मेडिशनल गार्डन और जैविक खेती के बारे में जानने का भी मौका मिला। साथ ही, उन्होंने बताया कि वहां खेत पर जैविक सब्जियों से बना खाना, केले के पत्ते में खिलाया जाता था। इस तरह की जगह (Farmstay near Mumbai) आपको पूरी तरह से प्रकृति से जोड़ने का काम करती है। 

रोहन कहते हैं कि आने वाले समय में, वह अपने फार्म (Farmstay near Mumbai) में वाडा कोलम चावल और तरबूज को मिलाकर वाइन बनाने की योजना बना रहे हैं। इस तरह, वह ज्यादा से ज्यादा बाय-प्रोड्क्टस बनाकर ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देना चाहते हैं। इसके अलावा, वह इन दिनों एक और कॉटेज बनवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि तीसरा कॉटेज, इन दोनों कॉटेज से थोड़ा बड़ा है। यहां वह लाइम प्लास्टर से एक छोटा स्विमिंग पूल भी बना रहे हैं। 

खेती-किसानी की दुनिया में इस तरह के नए प्रयोग करने वाले रोहन सुधीर ठाकरे के जज्बे को द बेटर इंडिया सलाम करता है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।

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संपादन- जी एन झा

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