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हर साल बारिश के मौसम में देश भर में कई इलाके किसी न किसी तरह प्रभावित होते हैं। 2017 में भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र के ठाणे की विजय गार्डन सोसाइटी के पार्किंग एरिया की एक दीवार ढह गई थी। लेकिन इस बार क्षेत्र को साफ करने के लिए सिविल अधिकारियों की प्रतीक्षा करने के बजाय, यहाँ रहने वाले कुछ निवासियों ने इसे खुद ही साफ करने का फैसला किया।
रेनी वर्गीज(सोसाइटी निवासी) के नेतृत्व में, उन्होंने बचे हुए मिट्टी-कीचड़ को इकट्ठा किया और उन्हें पेंट की खाली बाल्टियों में भरना शुरु किया। एक घंटे बाद लगभग 150 बाल्टी मिट्टी से भरी हुई थीं और उनका बिल्डिंग परिसर साफ हो गया।
लेकिन क्या साफ सफाई के बाद बात यहीं पर ही ख़तम हो गई? नहीं। उन्होंने इन बाल्टियों में ऑर्गेनिक बीज लगाने का सोचा और इन बाल्टियों को जिनमें से प्रत्येक का वजन 40 किलो था, लिफ्ट से टेरेस तक ले गए।
सोसाइटी के सेक्रेट्री, नेल्सन डी' मेलो ने द बेटर इंडिया को बताया कि उनकी बिल्डिंग कुछ दिन पहले ही रेनोवेट हुई थी और उनके पास बहुत सारे खाली पेंट के डिब्बे रखे थे। वह कहते हैं, “हमने गोबर- मिट्टी से जैविक खाद बनाई और टमाटर, बैगन, पत्तेदार साग, पालक और भिंडी के बीज लगाए। इस तरह से चार लोगों द्वारा यह प्रोजेक्ट शुरू किया गया था और यह अब हमारे लिए एक सामूहिक बागवानी के शौक की तरह हो गया है।”
अगर आप सोसाइटी वालों की इस पहल को सुनकर प्रभावित हों तो ज़रा ठहर जाइए, हम आपको वहाँ रहने वाले एक और निवासी द्वारा शुरु किए गए एक शानदार प्रोजेक्ट के बारे में बताते हैं।
सेक्रेट्री ने आगे बताया, “हम सौर ऊर्जा का उत्पादन करते हैं और इसे महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) को बेचते भी हैं। इस पहल से सोसाइटी को प्रति माह 40,000 तक की बचत करने में मदद मिली है।”
निवासियों का सामूहिक प्रयास
हालांकि जैविक सब्जी और फलों के बाग लगाना हर किसी के लिए अनिवार्य नहीं है, लेकिन जिन लोगों की थोड़ी भी रुचि है वह भी इस काम में थोड़ा संकोच करते हैं और इसका कारण जगह और समय और बिना केमिकल के इन्हें उगाने की जानकारी की कमी होती है।
लेकिन यहाँ व्यक्तियों का एक समूह 150 अलग-अलग तरह के डिब्बों में सब्जियाँ उगा रहा है और हर चार दिनों में, यह बगीचा उन्हें कोई न कोई सब्जी देता है। इन सब्जियों में ब्रोकोली, क्लस्टर बीन्स, हल्दी, सहजन, कस्तूरी, तुलसी, आलू, चुकंदर, फूलगोभी, मिर्च, नीम शामिल हैं।
हालाँकि सदस्यों की अपनी- अपनी नौकरियाँ और काम भी हैं, लेकिन वह रखरखाव और पानी के लिए रोजाना एक घंटा बागवानी को देते हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए रेनी कहते हैं, “हमने कभी सोचा नहीं था कि हमारे शौक से हमें इतना लाभ मिलेगा। स्वाद से लेकर रंग तक, सब्जियाँ स्वस्थ और पौष्टिक होती हैं। हमने बुवाई, पानी, खाद जैसे काम को आपस में विभाजित किया है। पैदावार एक परिवार के लिए पर्याप्त है, इसलिए हम फसल को एक रोटेशन के आधार पर लेते हैं। और यहाँ तक कि सोसाइटी के अन्य सदस्यों के साथ भी साझा करते हैं।”
सोलर प्लांट के बारे में सेक्रेटरी नेल्सन बताते हैं, "30 किलोवाट क्षमता वाले सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए, 20 लाख रुपये के निवेश की आवश्यकता थी, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सदस्यों में से किसी ने भी एक पैसा नहीं दिया।"
दरअसल नेल्सन ने सोलर प्लांट सप्लायर (SKS GLOCHEM) के साथ एक नए तरह का सौदा किया है , जिसके अनुसार प्लांट मुफ्त में स्थापित किया गया। कंपनी का प्लांट पर सात साल तक(जब तक वे लागत वसूल नहीं कर लेते) मालिकाना हक होगा और फिर वह उसे बिल्डिंग को सौंप देगी। प्रति दिन प्लांट 140 यूनिट देता है जो MSEDCL को बेची जाती हैं।
SKS GLOCHEM के सह-संस्थापक गोपालकृष्णन अय्यर ने बताया, “हमारा मुख्य उद्देश्य सौर प्लांट और इसके लाभों के बारे में जागरूकता लाना था। हम चाहते हैं कि लोगों को नेट मीटरिंग के कॉन्सेप्ट, निवेश पर वापसी और सोलर प्लांट स्थापना पर सरकार की सब्सिडी के बारे में पता चले और साथ ही यह गलतफहमी भी दूर करना चाहते थे कि दीर्घकालिक समाधानों में भारी निवेश की आवश्यकता है। सोलर प्लांट की स्थापना कॉमन एरिया के बिजली बिल को शून्य तक लाती है। निवेश और ROI जेनरेशन प्लांट के आकार पर निर्भर करते हैं।”
प्लांट 2017 में स्थापित किया गया था और 2024 से उत्पन्न होने वाली सभी यूनिट सोसाइटी के लिए इस्तेमाल होंगी।
किसने सोचा होगा कि शहर के कंक्रीट जंगल के बीच में एक बगीचा बन सकता है? लेकिन, इन अद्भुत पहलों के साथ, यह ठाणे की सोसाइटी साबित कर रही है कि यह वास्तव में संभव है, और नागरिकों द्वारा थोड़े से प्रयास से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
आप [email protected] पर SKS GLOCHEM पर संपर्क कर सकते हैं।
मूल लेख-GOPI KARELIA
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