आज कोरोना महामारी के चलते जहां युवा भी निराशा के अंधेरों से घिरे हैं, वहां ये 10 वरिष्ठ नागरिक हम सबकी उम्मीद बनकर उभर रहे हैं और हमें एक बार फिर ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जीने की राह दिखा रहे हैं!
महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले 34 वर्षीय गोपाल डागोर के आँखों की रेटिना बचपन से ही खराब थी, लेकिन डॉक्टरों को लगा कि आगे चलकर यह ठीक हो जाएगा। लेकिन साल 2016 में उनकी 90% दृष्टि बाधित हो गई। इस घटना से गोपाल की नौकरी चली गई और उनका जीवन काफी कठिन हो गया।
श्रीगंगानगर के जिला अस्पताल में इस अनोखी रसोई को शुरू करने वाले 11 दोस्तों की इस टोली में व्यापारी, दुकानदार, सरकारी कर्मचारी से लेकर फोटोग्राफर शामिल हैं!
डॉ. कौर ने अपने कोचिंग की शुरूआत नौवीं कक्षा के 50 से अधिक छात्रों के साथ की। जिनमें से आज कुछ ने नागालैंड के सीएम छात्रवृत्ति परीक्षा में सफलता हासिल की है, तो कईयों ने राज्य सरकार की विभागीय परीक्षाओं को क्लियर किया है। जबकि, कई इस साल यूपीएससी की परीक्षा देंगे।
“लॉकडाउन के पहले ही महीने से मुझे ग्राहकों के फोन आने लगे, उनमें से कुछ लोगों ने बताया कि उदासी भरे समय में फूल ही उन्हें खुशी देते हैं। लोगों के कॉल से मैं काफी उत्साहित हुई और मैंने अपने ग्राहकों को फूल बेचने के साथ ही डिलीवरी सर्विस देनी भी शुरू कर दी।” -स्वदेश चड्ढा