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बेस्ट ऑफ़ 2020: 10 बुजुर्ग, जिनके हौसलों ने दी इस साल को नई पहचान

By निशा डागर

आज कोरोना महामारी के चलते जहां युवा भी निराशा के अंधेरों से घिरे हैं, वहां ये 10 वरिष्ठ नागरिक हम सबकी उम्मीद बनकर उभर रहे हैं और हमें एक बार फिर ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जीने की राह दिखा रहे हैं!

बेस्ट ऑफ़ 2020: इंसानियत के 10 हीरो, जो मुश्किल वक़्त में बनें लोगों की उम्मीद

By निशा डागर

2020 के आखिरी पड़ाव पर द बेटर इंडिया आपको मिलवा रहा है ऐसे 10 नायकों से, जो कोरोना काल में इंसानियत की मिसाल बनें और लोगों को उम्मीद की रौशनी दी!

आँखों की रोशनी जाने से छिन गई नौकरी, लेकिन नहीं हारी हिम्मत, शुरू किया अपना बिज़नेस

महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले 34 वर्षीय गोपाल डागोर के आँखों की रेटिना बचपन से ही खराब थी, लेकिन डॉक्टरों को लगा कि आगे चलकर यह ठीक हो जाएगा। लेकिन साल 2016 में उनकी 90% दृष्टि बाधित हो गई। इस घटना से गोपाल की नौकरी चली गई और उनका जीवन काफी कठिन हो गया।

9 साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई ताकि अपराधी न बन सकें MLA या MP

By निशा डागर

भारत की पहली महिला वकीलों में से एक रहीं लिली थॉमस ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी अपराध में सजा काट रहे नेताओं को देश की संसद में जगह न मिले!

11 दोस्तों ने मिलकर छेड़ा अनोखा अभियान, मात्र 10 रुपये में खिलाते हैं पेटभर खाना

श्रीगंगानगर के जिला अस्पताल में इस अनोखी रसोई को शुरू करने वाले 11 दोस्तों की इस टोली में व्यापारी, दुकानदार, सरकारी कर्मचारी से लेकर फोटोग्राफर शामिल हैं!

कैप्टन गोपीनाथ: बैलगाड़ी चलाने से लेकर सबसे सस्ती एयरलाइन चलाने तक का सफर

कैप्टेन गोपीनाथ के प्रयासों से ही आज एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति देश के हर बड़े शहर में हवाई यात्रा करने का खर्च उठा सकता है। जानिए उनकी प्रेरक कहानी।

प्रेरक कहानी: नागालैंड की IPS अधिकारी चला रहीं हैं मुफ्त कोचिंग सेंटर, सीखा रहीं जैविक खेती

डॉ. कौर ने अपने कोचिंग की शुरूआत नौवीं कक्षा के 50 से अधिक छात्रों के साथ की। जिनमें से आज कुछ ने नागालैंड के सीएम छात्रवृत्ति परीक्षा में सफलता हासिल की है, तो कईयों ने राज्य सरकार की विभागीय परीक्षाओं को क्लियर किया है। जबकि, कई इस साल यूपीएससी की परीक्षा देंगे।

हफ्ते में एक दिन खेत में मजदूरी करती है यह अधिकारी, ताकि दान कर सकें खेती में कमाए पैसे

“मेरी माँ जो संघर्ष किया, उसे मैं भूल नहीं सकती। जब भी मैं लोगों में दर्द और पीड़ा देखती हूँ, तो मैं इसे कम करना चाहती हूँ।” - तस्लीमा

दिल्ली: व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे फूलों का सफल व्यवसाय चलातीं हैं यह 80 वर्षीया दादी

“लॉकडाउन के पहले ही महीने से मुझे ग्राहकों के फोन आने लगे, उनमें से कुछ लोगों ने बताया कि उदासी भरे समय में फूल ही उन्हें खुशी देते हैं। लोगों के कॉल से मैं काफी उत्साहित हुई और मैंने अपने ग्राहकों को फूल बेचने के साथ ही डिलीवरी सर्विस देनी भी शुरू कर दी।” -स्वदेश चड्ढा

ट्रक ड्राइवर पिता का बेटा घरों में बाँटता था अखबार, CAT क्वालीफाई कर पहुँचे IIM Kolkatta

शिवा ने कभी भी किसी काम को छोटा नहीं माना। उन्होंने कार धोने और फूल बेचने से लेकर रिटेल स्टोर में भी काम किया। पढ़िए उनके संघर्ष का यह सफ़र।