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पशुओं का संरक्षण

यह कपल कुत्तों की सेवा में खर्च करता है पूरी पेंशन, खाने से लेकर इलाज तक का रखता है ख्याल

By द बेटर इंडिया

कोटा (राजस्थान) के रहनेवाले 65 वर्षीय श्यामवीर सिंह और 66 वर्षीया उनकी पत्नी, वैद्य विजेन्द्री पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा समय से लगातार कुत्तों की सेवा कर रहे हैं। राजकीय सेवा से रिटायर श्यामवीर, अपनी लगभग अपनी पूरी पेंशन कुत्तों पर खर्च कर देते हैं।

एक गांव, जहां तेल के खाली डिब्बों से बना है 500 कबूतरों का आशियाना

By द बेटर इंडिया

राजस्थान के बूंदी जिले के छोटे से गांव सांकड़दा के निवासी राजेश, पशु-पक्षी प्रेमी हैं। उन्होंने गांववालों के साथ मिलकर 500 कबतूरों की एक ऐसी कॉलोनी बनाई है, जिसे देखकर हर कोई दंग रह जाता है।

हैदराबाद: हर दिन जंगल में पशु-पक्षियों के लिए 400 लीटर पानी भरते हैं 'बाबा' जहाँगीर!

By निशा डागर

अगर आप जहाँगीर से पूछेंगे कि आप इस काम को कब तक करते रहेंगे? तो वह मुस्कुराकर कहते हैं, "जब तक मैं जीवित हूँ।"

अपने जीवन के 20 साल देकर, पूर्व सिविल सेवक ने बसाया टाइगर रिज़र्व

By पूजा दास

“कभी-कभी, मुझे बाघों को किसी भी बाहरी खतरे से बचाने के लिए जंगल में रात बितानी पड़ती है। मैं यह भी सुनिश्चित करता हूं कि जंगल में पानी वाले गड्ढ़े, चिलचिलाती गर्मियों में भी हमेशा भरे रहें, ताकि जानवर हमेशा अपनी प्यास बुझा सकें।” - आदित्य सिंह

भोपाल: 100 से ज़्यादा बेसहारा कुत्ते रहते हैं यहाँ प्यार, सौहार्द और सम्मान से!

By नीरज नय्यर

जब कुत्तों के बीच रहते हुए आप सुरक्षित रूप से बड़े हो गए, तो आपका बच्चा भी सुरक्षित है, क्योंकि कुत्ते बेवजह किसीको परेशान नहीं करते। प्रेम बांटने पर प्रेम ही मिलता है, नफरत नहीं।’

मिलिए 9 साल में 600 सांपों की ज़िंदगी बचाने वाले सोनू दलाल से!

सोनू सांपों को न सिर्फ हमारे पर्यावरण के लिए जरूरी मानते हैं बल्कि उनसे इंसानों को होने वाले फायदे भी गिनवाते हैं।

ट्यूशन पढ़ाकर 50 से ज़्यादा बेसहारा कुत्तों की देखभाल कर रही है इंजीनियरिंग की यह छात्रा!

By निशा डागर

Haryana में सोनीपत की रहने वाली 21 वर्षीय शैनदीप अरोड़ा अपनी गली में बेसहारा घुमने वाले 50 से भी ज़्यादा कुत्तों की देखभाल करती है। उन्हें दो वक़्त खाना नियमित रूप से खाना खिलाने के अलावा, वे इनके बीमार पड़ने पर इन्हें जानवरों के डॉक्टर के पास भी लेकर जाती हैं।

अपने बेटे की मृत्यु के बाद, पुणे की इस महिला ने अपने दिल और घर के दरवाजे जख्मी पशुओं के लिए खोल दिए!

पिछले दस सालों से, पुणे की ये पशु-प्रेमी और कार्यकर्ता जानवरों को बचा रही है और अपने घर पर पाल भी रही हैं ।