सूखी झील को पुनर्जीवित कर उत्तरी कर्नाटक के किसानों ने हल की सूखे की समस्या।

सूखी झील को पुनर्जीवित कर उत्तरी कर्नाटक के किसानों ने हल की सूखे की समस्या।

त्तरी कर्नाटक के हालियाल और मुण्डोगोड जिले के किसान लगभग दो सालों से पानी की कमी से जूझ रहे थे। पीने के पानी और खेती के लिए उनके पास काफी कम मात्रा में पानी बचा था।इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने एक सूखी हुयी झील को पुनर्जीवित करने का कार्य किया।

हालियाल और मुण्डोगोड जिले के किसान खेती के लिए अम्मानाकोप्पा झील के जल का प्रयोग करते थे, लेकिन इस साल सामान्य बारिश से 50 फीसदी कम बारिश होने के कारण यह झील सूख गयी।तब ग्रामीणों ने यह निश्चय किया कि वह झील के तल से सिल्ट को साफ कर जंगल से पानी को इस दिशा में परिवर्तित करेंगे।

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Source: By Arunankapilan (Own work) [CC BY-SA 3.0], via Wikimedia Commons

रिपोर्ट्स के अनुसार, अम्मानाकोप्पा के एक किसान संतोष मिराशी ने बताया कि फसलों के दोबारा खराब होने और जानवरों की मृत्यु ने किसानों को गरीबी से घेर लिया था।ऐसे में उन्होंने सोचा कि इसका सबसे अच्छा उपाय होगा,यदि वे जंगलों के बारिश के पानी को ग्राम में झील की ओर मोड़ दे, क्योंकि जंगल उनके गाँवसे मात्र दो किलोमीटर दूर थे। सभी गाँववाले ग्राम सभा से नहर खोदने की अनुमति लेने के लिए पहुँचें। एक किसान मन्जूनाथ पाटिल ने टाइम्स आफ इण्डिया को बताया, "हमने जंगल से झील तक नहर खोदी और नहर से होते हुए जल झील तक आने लगा।"

ग्रामीणों ने अपनी इस समस्या का हल तो ढूंढ लिया था, लेकिन उनके पास एक अन्य समस्या भी थी। लगभग आधा जल जो गांव की ओर मोड़ा गया था, झील तक पहुँचते-पहुँचते भाप बनकर उड़ जाता है। ग्रामीणों ने हालियाल के एमएलए, आर वी देशपान्डे से मदद मांगी। स्थिति को देखते हुए उन्होंने इन्फोसिस फाउंडेशन से सहायता लेने का निर्णय लिया।

फाउन्डेशन ने गाँव तक पानी पहुंचाने के लिए 125 पाइप्स की व्यवस्था की और अब झील पानी से भरी हुई है। रिपोर्ट्स के अनुसार ग्रामीणों ने झील से जल पहुंचाने के लिए अब पानी वाले पम्प्स का प्रयोग करना शुरू कर दिया है और उस जल का प्रयोग भुट्टा,धान और गन्ने के उत्पादन के लिए किया है। इन ग्रामीणों के इस कार्य से प्रेरित होकर आस-पास के नौ गाँव, जिसमें अन्त्रोली, तेरागाँव औरकेलागिनाकोप्पा इस मॅाडल को अपनाने की योजना बना रहे है। आर वी देशपान्डे कहते है,"वह अनेक तालुकों के अनेक गाँवों के लोगों की इस मॅाडल को प्रयोग करने पर विचार कर रहे है।

मूल लेख-गायत्री मनु


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