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हाल ही में, चेन्नईकेजयवेलकीएकभीखमांगनेवालेसेयूकेमेंपढ़नेकीदिलछूनेवालीकहानीबहुतवायरलहुईथी। 'दबेटरइंडिया' कीटीमनेजयवेलसेबातकीऔरखोजेंउनकेजीवनकेकुछअनोखेकिस्सेऔरउनदोलोगोंकीकहानीजिन्होंनेउनकीजिंदगीबदली।
चेन्नई की सड़कों से यूरोप तक जयवेल का सफर :
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जयवेलकाजन्मचेन्नईकीगलियोंमेंहीहुआ।उनकेमाता-पिताआंध्रकेनेल्लोरगाँवकेकिसानथेऔरगहरेआर्थिकसंकट, जिसनेउन्हेंऐसेकर्जमेंडूबोंदियाजोजिन्दगी भरभीनचुकायाजासके, केबादवेयहाँआगए।उन्होंनेअपनीजमीनबेचीऔरकामकीआसमेंशहरआगए।हालाँकिमहीनोंतककामढूँढनेपरभीजबनाकामयाबीहीहाथलगीतोउन्होनेभीखमांगकरगुजाराकरनाशुरूकर दिया।
जयवेल भी अपनी 3 बड़ी बहनों और एक छोटे भाई के साथ भीख माँगने लगे। इसके बावजूद उनके माता-पिता कर्ज चुकाने में असफल रहे। उनके परिवार की बदनसीबी यहीं नहीं थमी। जब जयवेल 3 साल के थे, उनके पिता चल बसे। उनकी माँ को शराब की लत ने जकड़ लिया, जिसकी वजह से उन्होंने अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दिया।
कमोबेश, 1999 कीएकसंयोगवशमुलाकाततकजयवेलकीजिन्दगीबहुतकठिनथी।
सुयमचेरीटेबलट्रस्टकेसंस्थापक, उमाऔरमुथूराम, चेन्नईकीगलियोंकेबच्चोंकीहालतपरध्यानदेरहेथेजबवेजयवेलसेमिलेऔरउनकीतरफमददकाहाथबढ़ाया।जयवेलऔरउनकेभाई-बहनोंको 'सिरगूमोंटेसरी' मेंदाखिलकरायागया, जोकिसुयमचेरीटेबलट्रस्टद्वारावंचितबच्चोंकेलिएचलायाजा रहास्कूलहैं।
इसकेबादउन्होंनेपीछेमुड़करनहींदेखा।सर्वश्रेष्ठनंबरोंसेबारहवींकीपरीक्षापासकरने केबाद, जयवेलनेप्रतिष्ठितकैंब्रिजयूनिवर्सिटीकीप्रवेशपरीक्षादी।
आज 22 वर्षीय जयवेल 3 साल का "परफॉर्मेंस कार एनहांसमेंट टेक्नोलॉजी इंजिनियरिंग" का कोर्स ग्लिनड्वर यूनिवर्सिटी, व्रेक्सहैम, यूके से पूरा कर चुके हैं।
पिछलेसितम्बर, जयवेलकापूरीछात्रवृत्तिकेसाथपढ़ाईके लिएतुरीन, इटलीजानेकाप्लानथामगरऐनवक़्तपरकंसल्टेंसीकेसाथकोईबाहरीसमस्याहोनेकेकारणऐसाहोनहींपाया।अबवेएयरक्राफ्टमेंटिनेंसटेक्नोलॉजीपढ़नेफिलीपींसजारहेहैं।
"मैंनेग्लिनड्वरयूनिवर्सिटीसेअपनीपढ़ाईके लिएलोनलियाथा।जैसेहीमेराकोर्सखत्महोगा, सबसेपहलेमैंलोनचुकाऊंगाऔरअपनीमाँकेलिएएकघरबनानाचाहूँगा।इसकेबादमैंसुयमसेजुड़करअपनाजीवनसड़को मेंरहनेवालेबच्चोंकोसमर्पितकरदूँगा।मैंसबकुछउनकीहीबदौलतहूँ। "
उमाऔरमुथूरामनेसिर्फजयवेलकीजिन्दगीनहींबदलीहैं।गरीबीरेखा सेनीचेवालेकमसे कम 50 ऐसेबच्चेहैंजिन्हेंउनकेकारणउच्चशिक्षामिलपायीहैऔरऐसे 250 भिखारीपरिवारहैंजोइनकेट्रस्टकीवजहसेवापसअच्छीदशामेंआगएहैं।
दो भाई जो कभी बाल-श्रमिक थे, आज डॉक्टर और इंजीनियर हैं :
23 सालकेदशरथनराजारमानी 'क्रीमियास्टेटमेडिकलयूनिवर्सिटी' सेएम.बी.बी.एस (चौथेवर्ष) कररहेहैं।दशरथनकेभाईधनराज 'इंडियनइंस्टीट्यूटऑफटेक्नोलॉजीडिज़ाइनएंडमैन्यूफैक्चर, जबलपुर' (IITDM) सेबैचलरऑफडिज़ाइनकाकोर्सकररहेहैं।
दोनों ही भाई 2005 तक ईंट की भट्टियों पर बाल-श्रमिक थे, जब वे उमा और मुथूराम से मिले।
उमाइनईंटकीफैक्ट्रियोंमेंबाल-श्रमकेखिलाफजागरूकताफैलानेके लिएजातीरहतीथीऔरफिरउन्होंनेफैक्ट्रीकेमालिककोदशरथनऔरधनराजकोउनकेसाथभेजनेके लिएमनालिया।
"मुझेगर्वहैकिमैसुयमकाछात्रहूँक्योंकिउन्होंनेमुझेखानेऔरघरसेलेकरशिक्षातकसबकुछदियाहै।उमामेमऔरमुथूरामसरमेरेदूसरेमाता-पिताहैं।उन्होंनेमुझेअपनाकरियरचुननेदियाऔरहमेशाप्रोत्साहितकिया।सुयमकेबारेमेंक्याकहूँ, वोमेराघरहैजहाँमैंनेसबकुछसीखा।मैंवहाँजन्मानहींलेकिनमैंसुयमकाहिस्साहूँ, "रूससेदशरथननेटीबीआईसेबातचीतमें कहा।
मिलिए उन लोगों से, जिनकी वजह से ये सब कुछ हो पाया
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उमाऔरमुथूरामस्कूलमेंमिलेजबवेपहलीमेंथेऔरउन्हेंकोईअंदाज़ानहींथाकिभविष्यमेंवेजीवन-साथीबनजाएँगे।
उमाकीयात्राशुरूहुईजबवेमहज 12 सालकीथी।उमाकीमाँएकसरकारीस्कूलकीअध्यापिकाथी, जिसकारणउमाकोझुग्गीकेबच्चोंसेमिलनेकामौका मिला।तेजऔरहोशियारबच्चीउमानेइनबच्चोंकोगणितपढ़ानाशुरूकर दिया।मुथूरामऔरकुछऔरदोस्तोंनेभीइसनेककाममेंमददकी।
जबवे 16 सालकीहुई, तबतकउनपरदूसरोंकीमददकरनेकाजुनूनसवारहोचुकाथा।उमागरीबोंऔरबुजुर्गोंकेलिएलगेमोतियाबिंदकैंप, रक्तदानकैंपऔरभीदूसरेकैंपोंमेंशिरकतलेतीरहतीथी।ऐसेकैंपोंमेंउन्होंनेहज़ारोंमरीजोंकाध्यानरखाहै।
"हमेंसेवाओंके लिएपैसोंकीजरूरतथी, तोहमनेसोचाकिहरएककीजेबसे रु.10अलगरखेजाएँ।हमनेउसे 'अनामिकाफ़ंड' नामदिया।ज्यादादोस्तजुड़तेगएऔरज्यादा 10 केनोटआनेशुरूहो गये, " मुथूरामकहतेहैं।
1997 मेंजबउमागणितमेंएम. एस. सी. कररहीथी, उन्हेंएकपत्रकारदोस्तकाफोनआयाजिन्होंनेउन्हेंतिरुनेलवेलीकेअंबसमुद्रमगाँवमेंरहनेवाले 16 वर्षीयबालकमहालिंगमकेबारेमेंबताया।
महालिंगमएकबहुतहीआर्थिकरूपसेकमजोरपरिवारसेथाजहाँ 12 बच्चोंमेंवहइकलौतालड़काथा।अपनेपरिवारकीमददकेलिएउसने 10वीं कीपरीक्षाकेबादछुट्टियोंमेंएकपीतलकेदीयेबनानेवालीफैक्ट्रीमेंकामकरनाशुरूकर दिया।
एकबार, जबवोगर्मपीतलसेभराकम्प्रेसरसाफकररहाथाकिसीनेगलतीसेउसेचालूकरदिया।पिघलाहुआपीतलउड़करमहालिंगमकेचेहरेपरजागिराऔरजबदर्दसेकराहतेहुएउसनेमुँहखोलातोपिघलीधातुउसकेमुँहमेंचलीगईजिससेउसकीआहारनलीऔरश्वसनतंत्रझुलसगए।
उसेतिरुनेलवेलीकेसरकारीअस्पताल मेंभर्ती करायागयाथाजहाँडॉक्टरोंनेउसेप्राथमिकचिकित्सादेनेकेबादउसकेपेटमेंतरलखानेकेलिएएकआहारनलीडालकरघरभेजदिया।
उमातुरंतहीउसलड़केकोचेन्नईअपनेघरलेआई।करीबन 100 डॉक्टरोंसेमददमांगनेकेबादडॉ. जे. एस. राजकुमारनेउसकाइलाजमुफ्तमेंकिया।डॉ. कुमारचेन्नईकेकिलपोकस्थितरिजिडहॉस्पिटल्सकेचेयरमैनहैं।
इन सबने पूरी 13 सर्जरियाँ हुई और इस पूरे समय में उमा ने महालिंगम का ध्यान रखा।
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वेरोजअस्पतालजातीथीऔरमहालिंगमकोगणितपढ़ातीथीउमाकेकारणहीमहालिंगमअपनी 12वीं कीपरीक्षाएंबुलेंससेदेनेगएऔरउत्तीर्णहुए।आजउमाकीबदौलतहीमहालिंगमअर्थशास्त्रमेंस्नातकोत्तरहैंऔरअपनीपत्नीएवंबेटीकेसाथखुशहालजीवनव्यतीतकररहे हैं।
महालिंगमकेबाद, 1998 मेंजबउमा 22 सालकीथी, उन्होंनेएक 5 वर्षीयलड़केकोउसकेपिताद्वाराबेचेजानेसेबचाया।
उसवाकयेकेबादउमाकोखुदकाएकएनजीओपंजीकृतकरवानेकीजरूरतमहसूसहुई, ताकिवेबाल-श्रमकेचंगुलमेंफंसेबाकीबच्चोंकोभीबचासके।उन्होंनेऔरउनकेदोस्तोंने 1999 में "सुयमचेरीटेबलट्रस्ट" कोपंजीकृतकरदिया।मुथुरामऔरउमाएकजैसाहीजुनूनरखतेहैंऔरबादमेंउन्होंनेसाथमिल कर इनबच्चोंकीमददकरनेके लिएशादीकरली।
उनका पहला दल ऐसे बच्चो का था, जिनसे जबरदस्ती भीख मंगवाई जाती थी और गलियों में रखा जाता था। जल्द ही वे जयवेल और धनराज जैसे बच्चों से मिले।
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2003 मेंसुयमचेरीटेबलट्रस्टनेइनबच्चोंके लिएसिरागुमोंटेसरीस्कूलशुरुकियाऔरकुछहीसमयमेंनामांकितबच्चोंकीसंख्या 30 सेबढ़कर 300 होगयी।
"35 सालकीदोस्ती, 30 सालकीमानव-सेवा, 10 सेज्यादाशैक्षणिकडिग्रियाँ —बीएससीमैथ्स, एमएससीमैथ्स, एमबीए, एमसेम, पीजीडीसीए, हिन्दीमेंसाहित्यरत्नऔरबीएडसंस्कृत, पीएचडी —इनसबकेबादभीडॉ. वी. उमाऔरपढ़नाचाहतीहैं।एकशिक्षाविद्औरसाहसीमहिला — वेसुयमकाचेहराहैंऔरहरसंघर्षसेलड़तीहैंताकिबच्चेखुशीसेसोसके," मुथुरामकहतेहैं।
इनकीछायामें, कईधनराज, जयवेलऔर कई और बच्चेअपनीउच्चशिक्षाप्राप्तकररहेहैं, कई 12वीं निकालनेकीपंक्तिमेंहैंऔरकईसौअपनेवरिष्ठोंकोआगेबढ़तेहुएदेखरहेहैं।
"जबउन्हेंमेरिटकीवजहसेमुफ्तसीटेंमिलतीहै, तबहमकहपातेहैंकिहमनेबेहतरीनतरीकोंसेअपनासर्वश्रेष्ठदिया, " - उमा।
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