मुंबई का यह अनोखा स्कूल, जहां बच्चे स्कूल नहीं जाते बल्कि स्कूल उनके घर आता है!

मुंबई का यह अनोखा स्कूल, जहां बच्चे स्कूल नहीं जाते बल्कि स्कूल उनके घर आता है!

'स्कूल ऑन व्हील्स' मुंबई की झुग्गियों में चलाया जा रहा एक अनोखा स्कूल है। इस स्कूल में 3 साल से लेकर 16 साल तक बच्चे साथ में पढ़ते हैं। ये सभी बच्चे गरीब तबकों से आते हैं।

यह स्कूल बाकी सभी पारम्परिक स्कूलों से अलग है। यह स्कूल सभी बच्चों को लेने के लिए उनके घर तक स्वयं आता है। इसके बाद सभी बच्चे दो घंटे तक बस में पढ़ते हैं।

सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक चलने वाले इन स्कूलों में दो-दो घंटे में कई बैच को पढ़ाया जाता है। इस बस-कम-स्कूल में बच्चों के लिए पढाई की चीज़ों के साथ-साथ खाने की भी व्यवस्था होती है।

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फोटो: वर्डप्रेस

साउथ मुंबई के फैशन स्ट्रीट, क्रॉफोर्ड मार्किट, वाड़ी बुंदेर, रे रोड और पश्चिमी उपनगर अँधेरी, गोरेगांव, जोगेश्वरी, बोरीवली और गोवंडी में ये मोबाइल स्कूल सोमवार से शुक्रवार तक चलते हैं।

इस पहल को शुरू किया था बीना सेठ लश्करी ने। बीना ने सोशल वर्क में मास्टर्स डिग्री हासिल की और तब से वे भारत में शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं। शुरुआत में बीना इन बच्चों को स्लम में इनके घर जाकर पढ़ाती थीं। धीरे-धीरे उनका संगठन बढ़ा और उनका 'डोर स्टेप स्कूल' 'स्कूल ऑन व्हील्स' तक पहुंच गया।

'डोर स्टेप स्कूल' संगठन को बीना ने साल 1988 में शुरू किया था। जिसका उद्देश्य गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा प्रदान करना है।

उनके इस संगठन ने अब तक लगभग 2,35,000 बच्चों की ज़िन्दगी को संवारा है। बीना ने बताया, "हमारे स्कूल में 3 से लेकर 16 साल तक के बच्चे पढ़ते हैं। हम उन्हें हिंदी, इंग्लिश, मराठी व मैथ पढ़ाते हैं। क्योंकि हमारा मानना है कि यदि बच्चे को लिखना-पढ़ना आता हो तो वह किसी भी विषय को पढ़ सकता है।"

अभी 5 बसों में 'स्कूल ऑन व्हील्स' चल रहा है। आने वाले तीन महीनों में बीना अपनी छठी बस भी लॉन्च करेंगी। हम बीना के कार्य की सरहना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनका यह 'स्कूल ऑन व्हीलस' शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ रहे फासले को कम कर सके।

( संपादन - मानबी कटोच )


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