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"आर. एन. काव आधुनिक भारत के इतिहास के सबसे उल्लेखनीय गुप्तचर हैं। भारत की सबसे साहसी और खतरनाक माने जाने वाली रॉ में उनके योगदान के बिना दक्षिण एशिया का भौगोलिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात कुछ और ही होते।"
— श्रीलंकाकेरोहनगुणरत्न, पूर्वराॅप्रमुखकाइंटरव्यूलेनेवालेचंदपत्रकारोंमेंसेएक
रामेश्वर नाथकाव — रिश्तेदारों, दोस्तों औरसहकारियोंकेलिएरामजी — "रिसर्चएंडएनालिसिसविंग" यानीरॉ (भारतकीबाहरीगुप्तचरसंस्था) के पहले संस्थापक थे।वेएकउल्लेखनीयस्पायमास्टरथे,जिन्होंनेराॅकोएकऐसीव्यावसायिकगुप्तचरसंस्थाबनादियाकि 3 सालकेभीतरही 1971 मेंराॅनेभारतकीतस्वीरबदलनेमेंबहुतबड़ीभूमिकानिभाई।
यहां पढ़िए स्पायमास्टर आर. एन. काव और भारतीय गुप्तचरी में उनके महत्वपूर्ण किरदार की कहानी जिसे कम ही लोग जानते हैं।
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सन् 1962 मेंचीन केसाथहुएबाॅर्डरयुद्धकेदौरानभारतकोमिलीटरीरूपसेबहुतनुकसानहुआ थाक्योंकिभारतकेपासउत्तरीसीमांतपरचीनकीबढ़तीगतिविधियाँदेखनेकेलिएगुप्तचरनहींथे।हालांकिइंटेलिजेंसब्यूरोकेपासएकविदेशीविभागथाजोसूचनासंग्रहितकरताथा, परयहकाफीनहींथाऔर 1965 मेंपाकिस्तानकेसाथहुएयुद्धकेबादविदेशीगुप्तचरीएकसामयिकजरूरतबनगईथी।
21 सितंबर 1968 कोप्रधानमंत्रीइंदिरागाँधीनेइंटेलिजेंसब्यूरोकाबंटवाराकिया "रिसर्चएंडएनालिसिसविंग" बनानेके लिए।इसकाउद्देश्यथाकिदुनियापरनज़ररखीजाएऔरदक्षिणएशियापरज्यादाध्यानदिया जाए।रामेश्वरनाथकाव, जोतबइंटेलिजेंसब्यूरोमेंसिर्फएकउपाध्यक्षथे, कोस्वयंप्रधानमंत्रीइंदिरागाँधीनेराॅकाप्रमुखनियुक्तकिया।
इसरणनीतिकतौरसेअतिमहत्वपूर्णसंगठनकेलिएकावस्वाभाविकपसंदथे।खुदजवाहरलालनेहरूद्वाराचुनेगए, जिनकेसाथउन्होंनेकईविदेशयात्राएँकीथी, कावकाउनकेकामकीवजहसेइंटेलिजेंसब्यूरोमेकाफीनामथा।
घाना में बतौर एक आईपीएस अधिकारी उन्होंने राष्ट्रपति क्वाने क्रूमाह के अनुरोध पर एक खुफिया एजेंसी स्थापित की थी और चीनियों के साथ मिलकर काम किया ताकि चीन प्रमुख झाऊ एन लाई से सिफारिश-पत्र प्राप्त कर सके।
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सन् 1918 मेंउत्तरीभारतकेबनारसमेंएकसमृद्धकश्मीरीब्राह्मणपरिवारमेंजन्मेरामेश्वरनाथकावनेइलाहाबादविश्वविद्यालयसेअंग्रेजीसाहित्यमेंएम. ए. कियाऔर 1939 मेंभारतीयपुलिसमेंशामिलहोगए। 1947 मेंभारतकीआजादीकेथोड़ेसमयपूर्वहीकाव 'डायरेक्टोरेटऑफइंटेलिजेंसब्यूरो' सेजुड़गएजोकि 1920 मेंउपनिवेशीप्रशासननेस्थापितकियाथा।
भारतकेस्वतंत्रताआंदोलनकेशुरुआतीदौर मेंब्यूरोकोब्रिटिशसुरक्षासेवा 'एमआई 5' केहिसाबसेकामकरनापड़ताथा।जबराजनीतिकउथल-पुथलकेकारणदूसराविश्वयुद्धशुरूहुआ, तोब्यूरोकीजिम्मेदारियाँबढ़गईजिसमेभारतकीसीमाओंकीजासूसीभीथी।कावब्यूरोमेंशामिलब्रिटिशअफसरोंकेसाथकामकररहेचंदभारतीयोंमेंसेएकथे।
जबशुरुआती 1950 मेंब्रिटेनकीरानीपहलीबारआजादभारतआईतोकावकोउनकीसुरक्षाप्रभारकाप्रधानबनायागया।बॉम्बेकेएकरिसेप्शनपरकावनेकूदकररानीकीतरफफेंकागयाबुकेपकड़लियाथा, येसोचकरकिउसमेबमहोसकताहै।इसपरहल्केमजाकमेंरानीनेकहाथा, "अच्छाक्रिकेटथा "।
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जब 1968 मेंकावनेराॅकीबागडोरअपनेहाथमेंथामी, तोउपमहाद्वीपपरमाहौलगरमहोनेलगाथा।उन्होनेचुनेहुएअफसरोंऔरविश्लेषकोंकेसाथमिलकर, राॅकोउसीकेखाकेकेहिसाबसेबड़ेपैमाने परउठायाजोउन्होंनेसरकारकोदियाथा।कईसालोंतकरॉकेएकांतपसंदअफसरोंको 'काव-बॉयज़' नामसेजाना जाताथा।
यहदिलचस्पहैकिइसट्रेंडकीवजहसेकावकीहास्यवृत्तिकादुर्लभप्रदर्शनदेखनेको मिला।जबउन्हेपताचलाकिरॉएजेंटोंको "काव-बॉयज" कहाजाताहै, तोउन्होंनेतुरंतएककाऊबॉयकीफाइबरग्लासमूर्तिनिर्मितकरवाईऔरउसेराॅकेबरामदेमेंलगवादिया।
तेज, दृढ़औरअसंवेदनशीलमानेजानेवालेकाव 1971 मेंपूर्वीपाकिस्तानकोअलगकरबांग्लादेशबनानेमेंमददकरनेवालेप्रमुखलोगोंमेंसे एकथे।कावकेनेतृत्वमेंरॉनेमुक्ति वाहिनी, जोकिबांग्लादेशकामुक्तिबलथा, कीमददपश्चिमीपाकिस्तानकीमिलीटरीजनताकेराजनीतिकऔरजातीयदबावसेलड़नेमें।जिसवजहसेपड़ोसियोंकेबीच, 1971 मेंतीसरायुद्धशुरूहोगयाथाजो 17 दिनचला।जिसमेंभारतकीजीतहुईऔरबांग्लादेशकाजन्महुआ।
कावकेआंकलनकेमुताबिक, पूर्वीपाकिस्तानकेहटनेसेभारतकेपूर्वीहिस्सेपरथोड़ाखतराकमहुआ (जहाँउससमयचीनकासायामंडरारहा था)।येकावकीसफलताकाशिखरथाऔरवेदिल्लीकेताकतवरलोगोंकेबीचहीरोबनगए।
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इसके 3 सालबाद, कावनेप्रधानमंत्रीकोसिक्किमकेछोटेसेहिमालयीराज्यकेतख्तापलटकेबारेमेंपहलेहीसचेतकरदियाथा।शीतयुद्धअपनेचरमपरथातथावैश्विकऔरक्षेत्रीयस्थितिजटिलऔर साजिशो सेपरिपूर्णथी —कुलमिलाकरऐसीस्थितिजिसमेंकावकासर्वश्रेष्ठबाहरआया।सन् 1962 केभारत-चीनयुद्धसेसीखकर, कावकेमार्गदर्शनमें, राॅनेचीनीताकतोंकेसिक्किमपरकब्जाकरनेसेपहलेहीउसेभारतमेंमिलाकरबहुतअहमभूमिकानिभाई।तबराॅद्वाराकिएगएअच्छेकामकीतारीफदिल्लीतकहुईथी।
कावकाकार्यकालकरीबदससालतकचलाऔरवोऐसादौररहाजबभारतीयगुप्तचरराष्ट्रकीसुरक्षाके लिएप्रशिक्षितहोरहेथे।अंतरराष्ट्रीयखुफियासमुदायसेअच्छीतरहजुड़े, कावकेव्यवसायिककौशलकाउनकेसाथियोंद्वाराबड़ाआदरकियाजाताथा।
काउंटएलेक्सेंड्रेदेमारेंचेस,फ्रांसकीबाहरीखुफियाएजेंसीयाएसडीईसीई (सर्विसफॉरएक्सटर्नलडॉक्युमेंटेशनएंडकाउंटरइंटेलिजेंस) जैसाउसेतबकहाजाताथाके पूर्व अध्यक्ष थे।उन्होंनेकावको 1970 केपांचमहानआसूचनाअध्यक्षोंमेंसेएकबतायाथा।श्रीकाव, जिन्हेंवेअच्छेसेजानतेथे, केबारेमेंकाउंटनेकहाथा :
"शारीरिकऔरमानसिकशिष्टताकेएकअद्भुतमिश्रण! लाजवाबउपलब्धियां! बेहतरीनमित्रता ! औरफिरभीअपने, अपनीउपलब्धियोंऔरअपनेदोस्तोंकेबारे मेंबातकरनेसेकतरातेहैं! "
1997 मेंरिटायरहोने केबाद, कावकैबिनेटकेसुरक्षासलाहकार (असलमें, पहलेराष्ट्रीयसुरक्षासलाहकार) नियुक्तहुएऔरनएप्रधानमंत्री, राजीवगाँधीकोसुरक्षाकेमामलोंऔरविश्वकेखुफियाविभागकेअध्यक्षोंसेसंबंधस्थापितकरनेमेंसलाहदेनेलगे।
उन्होनेबहुतअहमकिरदारनिभाया "पॉलिसीऔररिसर्चस्टाफ" कोएकआन्तरिकप्रबुद्धमंडलबनानेमें, जोकिआजकीराष्ट्रीयसिक्यूरिटीकाउन्सिलसेक्रेट्रीएटकाअग्रगामीहैं।उन्होंनेभारतकीएकसुरक्षाबलइकाई, नेशनलसिक्यूरिटीगार्ड (एनएसजी) काभीगठनकियाथा।
ज्वाइंटइंटेलिजेंसकमिटीकेचेयरमैनके. एन. दारुवालाद्वारालिखागयायेनोटआर. एन. कावकोसहीरूपसेचित्रितकरताहै :
"दुनियाभरमेंउनकेसंपर्ककुछअलगहीथे — खासकरएशिया, अफगानिस्तान, चीनऔरईरानमें।वेसिर्फएकफोनलगाकरकामकरवासकतेथे।वेऐसेटीम - अध्यक्षथेजिन्होंनेअंतरविभागीयस्पर्धा, जोकिभारतमेंआमबातहै, कोखत्मकरदिया। "
प्रचारोंसेदूररहनेवालेएकशर्मीलेऔरव्यक्तिगतइंसानकावपब्लिकमेंबहुतकमदिखतेथे।वोदोस्तोंऔररिश्तेदारोंकीशादियोंमेंभीतस्वीरोंकेलिएपोसनहींदेतेथे।हालाँकिउनसेकईबारउनकीजीवनीलिखनेके लिएकहागया, लेकिनउन्होंनेकभीहामीनहींभरी।
जहाँउनकीकुशाग्रऔरतीक्ष्णबुद्धिकेबारेमेंबहुतकुछकहागया, वहींबहुतकमलोगजानते हैंकिभारतकेपहलेआसूचनाप्रमुखएकपारंगतमूर्तिकारभीथे, जिन्होंनेअपनेवन्यजीवनकेप्रतिजुनूनकेचलतेघोड़ोंकीबहुतसीभव्यमूर्तियाँबनाईहै।वेगांधारचित्रोंकेअपनेबढ़ियासंग्रहणकेलिएभीजानेजातेथे।
आर. एन. काव 2002 मेंचलबसे, हमारेदेशसेएकऐसीशख्सियतछीनकरजिन्होंनेराष्ट्रकीसुरक्षाके लिएअथाहयोगदानदिएमगरकभीदिखावानहींकिया।इसमहानस्पायमास्टरनेभारतमेंआधुनिकआसूचनाकीनींवरखीजोआजएकमहलबनकरहमारेराष्ट्रकीसुरक्षाकररहीहै।