आपने बॉलीवुड के एक्शन हीरो सुनील शेट्टी को सिल्वर स्क्रीन पर बहुत से लोगों की जान बचाते हुए देखा होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पर्दे का यह हीरो यौन तस्करी से बचे उन 128 लोगों के जीवन में भी नायक बनकर आया जो शेट्टी के कारण ही अपने घरों तक सुरक्षित वापस लौट पाए।
यह घटना, जिस पर सुनील शेट्टी ने अबतक चुप्पी साधे रखी थी, उसके बारे में हाल ही में खुलासा हुआ है। यह सुनील शेट्टी के नेक काम की अनकही कहानी है। यह घटना 24 साल पहले (1996) की है। यह तब तक एक रहस्य बना रहा जब तक कि ऑपरेशन में बचाई गई महिलाओं में से एक चारिमाया तमांग ने इस बचाव कार्य में शेट्टी के महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में दुनिया को नहीं बताया था।
चारिमाया तमांग ने वाइस इंडिया डॉक्यूमेंट्री - ‘द फॉरगॉटन वन्स: ह्यूमन ट्रैफिकिंग इन नेपाल’ में इसका खुलासा किया है। उन्होंने कहा, "जब सरकार इस बात को लेकर उलझन में थी कि क्या फैसला लिया जाए, उस वक्त सुनील शेट्टी ने हमारी मदद की।"
24 साल पहले क्या हुआ था?
5 फरवरी 1996 को मुंबई पुलिस ने कामाथीपुरा रेड लाइट एरिया में छापा मारा और 14 से 30 साल की उम्र के बीच के 456 लोगों को यौन तस्करी से बचाया। जिनमें से 128 महिलाएं नेपाल की थीं। इनमें से अधिकांश महिलाओं के पास नागरिकता का प्रमाण नहीं था, इसलिए नेपाल सरकार भी उन्हें वापस लेने से डर रही थी।
ऐसे समय में जब हर कोई महिलाओं को सुरक्षित रूप से काठमांडू भेजने का रास्ता खोज रहा था उसी दौरान शेट्टी ने इस खबर के बारे में सुना।
उन्होंने यह जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली और एक फ्लाइट की व्यवस्था कर अपने पैसे से 128 महिलाओं के लिए टिकट का इंतजाम कर उन्हें सुरक्षित घर भेजा।
शेट्टी ने इस ऑपरेशन का श्रेय मुंबई पुलिस और सेव द चिल्ड्रन एनजीओ ’की संस्थापक विपुल कादरी को दिया है। वह इस घटना को मीडिया की पहुंच से दूर रखने पर भी अड़े रहे। हाल ही में रेडियो सरगम के साथ इंटरव्यू में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया, “हम खुद ही अपना गुणगान नहीं करना चाहते थे, हम लड़कियों को जोखिम में नहीं डालना चाहते थे क्योंकि इस मामले में माफिया शामिल थे। ”
घटना के फिर से चर्चा में आने के बाद कई हस्तियों ने ट्विटर पर शेट्टी को उनके नेक कार्य के लिए बधाई दी। जय भानुशाली, जिन्होंने उनके साथ देसी कट्टे फिल्म में एक्टिंग की थी, उन्होंने यह ट्वीट किया:
सुनील से मिलने का मौका
रेडियो सरगम से बात करते हुए सुनील शेट्टी ने उस एक घटना का भी जिक्र किया, जब उनकी मुलाकात चारिमाया तमांग से हुई और वह यह जानकर हैरान रह गए कि तमांग उन लड़कियों में एक थीं, जिन्हें बचाया गया था।
सुनील बताते हैं कि, “ तमांग ने मुझे बताया कि उन्होंने यौन तस्करी से बचे लोगों के लिए अपना संगठन शुरू किया और इसे दुनिया भर में पहचान मिली है। यह वाकई मेरे लिए एक ख़ास पल था।”
चरिमाया तमांग शक्ति समूह की संस्थापक सदस्य हैं, जो नेपाल में स्थित एक गैर सरकारी संगठन है और 1996 की घटना में बचे लोगों द्वारा शुरू किया गया था। यह संगठन सेक्स तस्करी के खिलाफ काम करता है और बचे लोगों को पुनर्वास प्रदान करता है।
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दक्षिण एशिया में यौन तस्करी के मामलों में नेपाल शीर्ष पर है, शक्ति समूह जैसे गैर सरकारी संगठन हर दिन नया बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। चारिमाया तमांग ने सिर्फ 15 महिलाओं के साथ शक्ति समूह की शुरूआत की थी लेकिन अब 135 से अधिक महिलाएं काम करती हैं। 2013 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त होने सहित इस संगठन ने दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की है।
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शेट्टी ने 128 नेपाली महिलाओं के जीवन को बदलने में मदद की। आज वे सभी महिलाएं अपनी कहानियां खुद लिखने के लिए तैयार हैं और अपना भविष्य संवारने में सक्षम हैं। यह कहानी हमें बताती है कि इस तरह के नेक काम करने से लोगों की ज़िंदगी में कितना बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
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